कृषि कानूनों के खिलाफ करीब डेढ़ महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गुरुवार 7 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला. हजारों किसान अपने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली की सीमाओं को छूकर लौट गए. लेकिन इस ट्रैक्टर रैली की मीडिया कवरेज को लेकर स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और किसान नेता योगेंद्र यादव ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने एक बार फिर मीडिया मैनेजमेंट के जरिए इस बड़े ट्रैक्टर मार्च को दबाया जा रहा है.
26 जनवरी के बाद दिल्ली के अंदर होगा ट्रैक्टर मार्च
योगेंद्र यादव ने ट्विटर पर अपना एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि ट्रैक्टर मार्च की शानदार सफलता से सरकार घबरा गई है और उसने लेटेस्ट चाल चली है. योगेंद्र यादव ने अपने वीडियो में कहा,
“किसानों ने आज 26 जनवरी की एक झलक दिखाई. इस झलक से घबराई सरकार ने खेल खेलने शुरू कर दिए हैं. ये सरकार सिर्फ मीडिया मैनेजमेंट पर चलती है. आज उसी का क्लासिक खेल हो रहा है. जब 8 दिसंबर को शानदार भारत बंद हुआ तो शाम को खबर चली कि अमित शाह ने अचानक किसानों को बैठक के लिए बुला लिया. भारत बंद की जगह अमित शाह खबर में थे. आज भी यही हुआ.”
यादव ने कहा कि, “दिल्ली के बॉर्डर पर आज तमाम ट्रैक्टर चले. हमारा अनुमान है कि इस मार्च में 5 हजार से ज्यादा ट्रैक्टर आए. इसे देश के इतिहास में याद किया जाएगा. हम सरकार को बताना चाहते हैं कि अगर 26 जनवरी तक इस समस्या का समाधान नहीं होता है तो हमें ये ट्रैक्टर मार्च दिल्ली के अंदर लाकर करना होगा. ये हम करना नहीं चाहते हैं. हम नहीं चाहते हैं कि गणतंत्र दिवस पर कोई धब्बा लगे.”
चलाई गई प्रस्ताव की खबर
यादव ने कहा कि, मीडिया मैनेजमेंट की उस्ताद सरकार ने सोचा कि आज तो हर चैनल पर ट्रैक्टर दिखाई देंगे. इसी दौरान पंजाब के बाबा लखा सिंह जी की कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात करवाई गई. इसके ठीक बाद बीजेपी ने मीडिया में रिलीज देनी शुरू की. बताया कि हमने किसानों को एक नया प्रस्ताव भेजा है. ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है. लेकिन मीडिया में चल रहा है. असली खेल ये है कि ट्रैक्टर की खबर दब जाए और सरकार के प्रस्ताव की खबर आए. जिसमें सरकार को झुकता हुआ दिखाया जा रहा है.
सरकार के प्रपोजल किसानों के लिए नहीं मीडिया के लिए
योगेंद्र यादव ने ये भी बताया कि जिस प्रस्ताव की बात हो रही है, उसमें ये भी कहा जा रहा है कि सरकार अब किसानों को ये प्रस्ताव देने जा रही है कि जो राज्य इन कानूनों को लागू नहीं करना चाहते, वो ना करें. उन्होंने कहा कि, अगर ऐसा प्रस्ताव दिया जा रहा है तो फिर केंद्र सरकार ने ये कानून बनाए ही क्यों हैं? सरकार का इंट्रेस्ट कुछ करने में नहीं बल्कि खबरें चलाने में है. जो प्रपोजल पे प्रपोजल दिए जा रहे हैं वो मीडिया के लिए और सुप्रीम कोर्ट की फाइल भरने के लिए दिए जा रहे हैं.
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