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योगी: ...हमें सौंपे कोर्ट मामला, 24 घंटे में सुलझाएंगे मंदिर विवाद

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोर्ट के फैसले में देरी से लोगों का भरोसा उठ जाएगा.

Published
भारत
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राम मंदिर विवाद को लेकर बयानबाजी एक बार फिर शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर को लेकर बयान दिया है. आदित्यनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर विवाद पर अपना फैसला सुना दे, नहीं तो यूपी सरकार इसे 24 घंटे में निपटा देगी.

न्यूज चैनल इंडिया टीवी के शो में बोलते हुए आदित्यनाथ ने कहा, “अगर कोर्ट फैसला नहीं ले सकता, तो हमें इसे आगे ले जाने दे. हम राम मंदिर का मुद्दा 24 घंटे में निपटा लेंगे.”

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आदित्यनाथ ने कहा कि फैसले में देरी लोगों को केवल निराश करेगी.

अगर बिना वजह देरी होती है, तो संस्थान पर से लोगों का भरोसा उठ जाएगा. ये एक संकट पैदा कर रहा है.
योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री

विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि अगर अयोध्या विवाद सुलझ जाता है और ट्रिपल तलाक पर बैन लागू कर दिया जाता है, तो भारत में तुष्टीकरण की राजनीति हमेशा के लिए खत्न हो जाएगी.

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पीएम मोदी ने कहा था, कोर्ट में पूरा होने दे केस

जहां यूपी सीएम अयोध्या विवाद पर फैसला हाथ में लेने को तैयार हैं, वहीं कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ये मामला कोर्ट के सामने है, इसे वहीं पूरा होने दें.

एएनआई को दिए इंटरव्यू में पीएम ने कहा था, “न्यायिक प्रक्रिया को कानून के अनुसार चलने दिया जाना चाहिए. इसे राजनीतिक दृष्टि से नहीं तौलना चाहिए. मामला कोर्ट के सामने है, इसे पूरा होने दें. एक बार यह वहां से आता है, तो जहां भी सरकार की जिम्मेदारी शुरू होती है, हम सभी प्रयास करने के लिए तैयार हैं.”

पांच जजों की बेंच करेगी सुनवाई

राम मंदिर विवाद को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नई बेंच का गठन किया है, जिसमें चीफ जस्टिस के अलावा चार जस्टिस शामिल हैं. पांच जजों की ये बेंच 29 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी.

इससे पहले अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ गठित की गई थी. जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस SA बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एनवी रमाना शामिल थे.

5 जजों की पीठ को इस मामले की सुनवाई 10 जनवरी को करनी थी. लेकिन इससे पहले ही जस्टिस यूयू ललित ने इस कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया. जिसके बाद इस सुनवाई को टालना पड़ा और नई बेंच का गठन किया गया.

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