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'मैंने एक लड़की से प्यार किया,उसने मुझसे..हमें क्यों सजा', MP में प्यार करना मना

'निषिद्ध' या 'वर्जित' प्यार की कीमत क्या है - पारिवारिक प्रतिरोध, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार?

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"मैंने एक महिला से प्यार किया और बदले में उसने भी मुझसे प्यार किया. इसमें कहां और क्या गलत है? क्या कोई हमें बता सकता है? हमें क्यों और किस बात की सजा दी जा रही है?"

'forbidden' love की कीमत क्या है- पारिवावालों का विरोध, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार? लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले के एक अंतरधार्मिक कपल (24 वर्षीय आकिब और 22 वर्षीय मानवी) को इसकी कुछ ज्यादा बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है.

अप्रैल 2022 में आकिब और मानवी की शादी हुई थी, तब से ही ये कपल इधर-उधर भाग रहा है. मानवी ने द क्विंट को बताया कि "क्योंकि हम एक ही धर्म को नहीं मानते हैं इसलिए समाज अभी भी हमारे और हमारे रिश्ते के खिलाफ है. हम एक साल बाद भी सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं."

यहां तक कि आकिब के परिवार को भी हमारे प्यार और शादी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. लगभग उसी समय, उनके एकमात्र घर को ध्वस्त कर दिया गया, उनके आठ सदस्यों के परिवार को अपमानित किया गया और उनकी गरिमा को लूट लिया गया.

23 अप्रैल 2022 को, इस अंतरधार्मिक कपल जोकि वयस्क हैं और सहमति से एक साथ हैं, को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा यह कहते हुए संरक्षण (प्रोटेक्शन) दिया गया था कि "उन्हें अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है." लेकिन इसके बावजूद भी आकिब का घर तोड़ा गया और अभी तक ये जोड़ा भागने को मजबूर है.

'निषिद्ध' या 'वर्जित' प्यार की कीमत क्या है - पारिवारिक प्रतिरोध, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार?

23 अप्रैल 2022 को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट द्वारा इस अंतरधार्मिक कपल को प्रोटेक्शन प्रदान किया गया था.

(इलस्ट्रेशन : चेतन भाकुनी / द क्विंट)

इस कपल को अपने प्यार के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ी? यह कहानी इसी को दर्शाती है.

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एक फोन कॉल जिससे बदल गई आकिब की जिंदगी

आकिब और मानवी स्कूल में मिले थे, वहीं इनको एक-दूसरे से प्यार हो गया था. इससे पहले कि वे एक-दूसरे के लिए अपने प्यार का इज़हार करते, वे दस साल तक दोस्त रहे. आकिब ने उस समय तक एक सरकारी अधिकारी के लिए ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया था, जबकि मानवी मास्टर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई कर रही थी.

"मेरे परिवार को हमारे रिश्ते के बारे में पता था, लेकिन मार्च 2022 में मैंने उन्हें औपचारिक रूप से बताया कि मैं उससे शादी करना चाहती हूं. वे आकिब को जानते थे क्योंकि वह कई बार हमारे घर आया था. मेरी मां ने यह कहते हुए शादी के लिए साफ मना कर दिया कि वह हिंदू नहीं है. मेरे भाई ने आकिब को जान से मारने की धमकी दी थी."
मानवी

मानवी ने जब अपने रिश्ते के बारे में अपने माता-पिता को बताया, उसके बाद चीजें तेजी से आगे बढ़ीं. माता-पिता गुस्सा होकर मानवी को पड़ोस के जिले (जबलपुर) के कुंडम में उसकी बुआ के घर भेज दिया.

मानवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि उसके परिजनों ने उसे परेशान किया और एक महीने तक घर से बाहर नहीं निकलने दिया. उसने द क्विंट को बताया कि "मैं सदमे, पीड़ा और निराशा में थी. मैं रोते हुए दिन गुजारती थी."

लेकिन 3 अप्रैल, 2022 की रात सफेद दुपट्टे से अपना चेहरा ढंके हुए मानवी घर की छत से भाग निकली.

"एक दिन, मैंने अपनी बुआ को टेरेस का दरवाजा बंद करते हुए देखा. मैंने सोचा कि आखिर उन्होंने चाबियां कहा छिपाई होंगी. कुछ दिनों बाद, मैं सुबह-सुबह चुपके से अपने कमरे से निकली, चाबियां लीं और टेरेस से बाहर निकल गयी. मैं बगल वाले घर की छत पर कूद गयी और वहां से बचकर बाहर निकलने के लिए मैं लोहे की सीढ़ी से नीचे उतर गई."
मानवी

अपने फैसले से व्याकुल होकर 4 अप्रैल को तड़के मानवी रोते हुए अपनी बुआ के घर से चली गई. इसके बाद उसने रास्ते में गुजरते हुए दो लोगों से फोन मांगा और आकिब को फोन किया.

'निषिद्ध' या 'वर्जित' प्यार की कीमत क्या है - पारिवारिक प्रतिरोध, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार?

4 अप्रैल 2022 को मानवी ने आकिब से संपर्क किया.

(इलस्ट्रेशन : चेतन भाकुनी / द क्विंट)

"मानवी और मैंने एक महीने में बात नहीं की थी. इसलिए, 4 अप्रैल को, सुबह-सुबह जब मेरे फोन की घंटी बजी, तब मैं थोड़ा घबरा सा गया था. मैंने फोन उठाया, दूसरी तरफ मानवी थी. उसने मुझसे कहा कि वह सड़क के किनारे मेरा इंतजार कर रही है. फोन पर उसने मुझसे कहा कि 'मैं मर जाऊंगी लेकिन अपने माता-पिता के घर वापस नहीं जाऊंगी.' मैंने उस समय वहीं किया जो कोई भी करता..."
आकिब
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आकिब ने कहा "मैं जबलपुर गया और उसे वहां से ले आया."

(इलस्ट्रेशन : चेतन भाकुनी / द क्विंट)

आकिब ने कहा, "मैं जबलपुर गया, उसे वहां लिया और उसके बाद से हर मोड़ पर मैं उसके साथ हूं."

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शर्मिंदिगी, बदनामी और दमन का चक्र

जिस दिन जबलपुर में आकिब और मानवी एक-दूजे के हुए, उसी दिन से डिंडोरी में आकिब के परिवार के लिए शर्मिंदिगी, बदनामी और दमन का चक्र शुरू हो गया.

मानवी के भाई मोहित ने 5 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उसने आरोप लगाया कि आकिब ने उसकी बहन का अपहरण कर लिया है.

मोहित की डिंडोरी में मोबाइल फोन की दुकान है. पिछले एक महीने में क्विंट ने कई बार मोहित से संपर्क किया, लेकिन उसने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और उसका केवल इतना कहना है कि "परिवार में कोई भी मानवी के संपर्क में नहीं है."

मोहित की शिकायत के आधार पर, डिंडोरी के शाहपुरा पुलिस स्टेशन में आकिब के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 (अपहरण की सजा) और 386 (किसी व्यक्ति को मॄत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने इस कपल (मानवी और आकिब) की तलाश शुरु कर दी. लेकिन उस समय तक यह कपल डिंडोरी से लगभग 100 किमी दूर शाहडोल तक का सफर तय कर चुका था.

4 अप्रैल को सुबह करीब 10.48 बजे, आकिब के पिता हबीब (पहचान छिपाने के लिए नाम बदल दिया गया है) ने फोन पर इस कपल से बात की थी. उन्होंने कहा कि मैंने इनसे तुरंत डिंडोरी वापस लौटने की सलाह दी थी.

"मैंने उन्हें बताया कि इस मामले ने एक सांप्रदायिक मोड़ ले लिया है, लेकिन मानवी वापस नहीं लौटना चाहती थी."
हबीब

5 अप्रैल को, पुलिस ने हबीब को शाहपुरा पुलिस स्टेशन बुलाया और कथित तौर पर उन्हें अपना पता बताने के लिए मजबूर किया.

"मुझे नहीं पता था कि वे कहां थे. उनको लेकर मैं चिंतित था. स्थिति बिगड़ती जा रही थी. यह नैरेटिव बनाया गया था कि एक मुस्लिम शख्स ने एक हिंदू महिला का अपहरण कर लिया है. हमें अपनी और अपने बच्चों की जान का डर था क्योंकि तब तक हिंदू दक्षिणपंथी समूहों ने हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया था."
हबीब

हबीब के मुताबिक, जब उन्होंने पुलिस स्टेशन से दोबारा इस कपल से फोन पर संपर्क किया तब एक कर्मचारी ने उन्हें डिंडौरी लौटने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था.""

"हम डरे हुए थे, लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि चीजें इतनी तेजी से नियंत्रण से बाहर हो जाएंगी. मेरे परिवार ने पुलिस केस फाइल कर दिया था, पुलिस हमें खोज रही थी, आकिब पर मेरे अपहरण का आरोप लगाया गया था... लेकिन मुझे हम दोनों की जान का डर था, इसलिए हम वापस नहीं लौट सके..."
मानवी

मानवी और आकिब शहडोल से छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा पहुंचे.

'निषिद्ध' या 'वर्जित' प्यार की कीमत क्या है - पारिवारिक प्रतिरोध, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार?

मानवी और आकिब शहडोल से छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा पहुंचे.

(इलस्ट्रेशन : चेतन भाकुनी / द क्विंट)

यहां तक कि हबीब को कथित रूप से अभी भी पुलिस थाने में रखा गया था, लेकिन इसके बावजूद भी दक्षिणपंथी समूह प्रशासन से लगातार आकिब के परिवार के खिलाफ "कार्रवाई करने" की मांग कर रहे थे.

मध्यप्रदेश में एक विवादास्पद कानून (मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021) है, जिसका उद्देश्य शादी के वादे के साथ जबरन या छल या कपटपूर्वक धर्म परिवर्तन को रोकना है. लेकिन दक्षिणपंथी समूहों द्वारा अक्सर इसका प्रयोग अंतरधार्मिक विवाहों को आपराधिक बनाने के लिए एक टूल के रूप में उपयोग किया जाता है, क्यों ये समूह इन विवाहों को "लव जिहाद" के रूप में देखते हैं.

शादी और विध्वंस

7 अप्रैल को दंतेवाड़ा के एक मंदिर में मानवी और आकिब शादी के बंधन में बंध गए.

'निषिद्ध' या 'वर्जित' प्यार की कीमत क्या है - पारिवारिक प्रतिरोध, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार?

मानवी और आकिब 7 अप्रैल को दंतेवाड़ा के एक मंदिर में शादी के बंधन में बंध गए.

(इलस्ट्रेशन : चेतन भाकुनी / द क्विंट)

उसी दिन, डिंडोरी के जिला प्रशासन ने "अवैध निर्माण" का हवाला देते हुए हबीब के परिवार की तीन दुकानों को ध्वस्त कर दिया.
'निषिद्ध' या 'वर्जित' प्यार की कीमत क्या है - पारिवारिक प्रतिरोध, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार?

डिंडोरी के जिला प्रशासन ने उसी दिन "अवैध निर्माण" का हवाला देते हुए हबीब के परिवार की तीन दुकानों को ध्वस्त कर दिया.

(इलस्ट्रेशन : चेतन भाकुनी / द क्विंट)

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कुछ घंटे बाद, बीजेपी के पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे, बीजेपी के जिला अध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत, और कई अन्य प्रदर्शनकारियों ने आकिब के घर पर "बुलडोजर एक्शन" की मांग करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) 45 को ब्लॉक कर दिया.

जब सरकार कथित बदमाशों या गैंगस्टरों के घरों या व्यवसायों को नष्ट करने के लिए भारी मशीनरी का उपयोग करती है तब इस कार्रवाई को "बुलडोजर एक्शन" के तौर पर संदर्भित किया जाता है. उत्तर प्रदेश में इस कदम (बुल्डोजर एक्शन) का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है, लेकिन इस विवादास्पद 'नीति' का प्रयोग मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बढ़ता हुआ देखा गया है.

प्रदर्शनकारियों से जिला कलेक्टर और डिंडोरी के अनुविभागीय मजिस्ट्रेट ने मुलाकात की और अगले दिन 8 अप्रैल को आकिब के घर जोकि उनके पिता हबीब के नाम पर था, को तोड़ दिया गया.

राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि घर सरकारी जमीन पर बनाया गया था. इस तोड़-फोड़ और आकिब के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बीच कोई संबंध नहीं था.

राज्य सरकार ने कहा, "यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि याचिकाकर्ता नंबर 2 (आकिब) के खिलाफ 5 अप्रैल 2022 को FIR दर्ज की गई थी जबकि जबकि याचिकाकर्ता नंबर 2 (आकिब) के पिता के खिलाफ मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत 25 मार्च 2022 को कार्यवाही प्रारंभ की गयी थी."

इसके अलावा, यह भी कहा गया कि हबीब को 30 मार्च को पेश होने के लिए कहा गया था और एफआईआर दर्ज होने के एक दिन बाद 6 अप्रैल को तोड़ने की कार्यवाही के अंतिम आदेश जारी किए गए थे.

हालांकि, विध्वंस के तुरंत बाद, जिला कलेक्टर के आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट किया गया कि : "कलेक्टर श्री रत्नाकर झा ने डिंडोरी जिले में एक छात्रा के अपहरण के आरोपी आकिब खान की दुकान और घर को ढहा दिया है..."

मानवी ने आरोप लगाते हुए द क्विंट से कहा कि "आकिब के घर को अंधाधुंध तरीके से तोड़ दिया गया. उसके परिवार को उस अपराध के लिए सजा दी गई जो उन्होंने किया ही नहीं था." मानवी ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया था और इसे संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए गुहार लगाते हुए अपने परिचितों और पत्रकारों के साथ साझा किया था.

"मैंने उनसे कहा कि मैं अपनी मर्जी से आयी हूं. आकिब ने मुझे अगवा नहीं किया है... मैं उसके साथ रहना चाहती हूं और उससे शादी करना चाहती हूं. लेकिन कोई सुन नहीं रहा था. दक्षिणपंथी समूहों का बहुत दबाव था, इस वजह से मेरी आवाज, इस कहानी के मेरे पक्ष को अनसुना कर दिया गया. वैसे भी उन्होंने आकिब के घर को तोड़ दिया था. यह वही घर होता जहां मेरी शादी होती और वहां मैं रहती."
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जैसे ही विध्वंस की काली छाया पड़ी, आकिब और मानवी दंतेवाड़ा में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे थे. वे लगातार घूम रहे थे, लेकिन अपने ठिकाने के बारे में चुप्पी साधे रहते थे. क्योंकि उन्हें इस बात का डर था कि कहीं ऐसा न हो कि पुलिस आकिब के परिवार को उनकी लोकेशन का खुलासा करने के लिए मजबूर कर दे.

"हमने सोचा था कि विवाह की गांठ बांधने से हम कभी न टूटने वाली गांठ की तरह जुड़ जाएंगे. लेकिन आकिब के घर और दुकानों को तोड़ने की घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि जल्द ही कुछ भी बदलने वाला नहीं है.
मानवी

एक पखवाड़े के बाद, उन्होंने महसूस किया कि वे आगे नहीं बढ़ सकते और उन्होंने कोर्ट से सुरक्षा (प्रोटेक्शन) लेने का फैसला किया.

जब कोर्ट ने दखल दिया

18 अप्रैल को, मानवी ने सिंगल जज बेंच के सामने बयान दर्ज कराया, जिसकी अध्यक्षता मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति नंदिता दुबे कर रही हैं.

"मैंने उनसे कहा कि अपहरण का कोई मामला नहीं है जैसा कि दिखाया जा रहा है. मैं अपनी मर्जी से आकिब के साथ आयी हूं."
मानवी

22 अप्रैल को, उच्च न्यायालय ने मानवी और आकिब के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता (मानवी) "वयस्क है जिसने स्वेच्छा से 24 वर्षीय आकिब से शादी की है."

अपनी याचिका में, मानवी ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें अपनी जान का खतरा है, और उनके परिवार, दक्षिणपंथी समूहों और उनके समुदाय के लोगों से आगे और परेशानी होने का डर है. इस पर अदालत ने कहा था कि "पुलिस उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी."

इसके बाद मानवी ने पुलिस को एक लिखित बयान दिया और कहा :

"चूंकि हमारे परिवार के सदस्य शादी के लिए राजी नहीं हो रहे थे और हम दोनों खतरे में थे इसलिए हम दोनों ने फैसला किया कि हमें यहां से कहीं और जाकर शादी कर लेनी चाहिए... हम दोनों के घर छोड़ने के बाद, हमारा परिवार और हमारे समुदाय के सदस्य के लिए यह मामला सांप्रदायिक मुद्दे में बदल गया. मेरे पति के खिलाफ शाहपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई और मेरे ससुर के घर और दुकान पर बुलडोजर चला दिया गया."

मानवी के बयान और कोर्ट के आदेश की वजह से आकिब के खिलाफ अपहरण का मामला खारिज हो गया.

"चूंकि जिस महिला का कथित तौर पर अपहरण हुआ था, उसने (मानवी ने) माननीय उच्च न्यायालय के सामने यह कहा है कि वह अपनी मर्जी से आकिब के साथ गई थी, इसलिए हमारी ओर से वह मामला बंद कर दिया गया था. उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए, हमने उसका बयान लिया और वह मामला बंद कर दिया."
अखिलेश दाहिया, प्रभारी, शहपुरा पुलिस थाना
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डिंडोरी में एक नई जिंदगी की शुरुआत

आकिब के खिलाफ मामला खारिज किए जाने और कोर्ट द्वारा सुरक्षा प्रदान किए जाने के आदेश के बाद इस कपल ने वापस डिंडोरी लौटने का साहस जुटाया. लेकिन यहां वे ज्यादा समय तक नहीं टिक पाए.

"डिंडोरी में एक विवाहित जोड़े के रूप में साथ रहने के दौरान हमारे बारे में समाज की धारणा नहीं बदली. ऐसे में हमें खुद के अलावा आकिब के भाई-बहनों, उसकी मां और उसके पिता की भी चिंता थी. उन्होंने हमारे शादी के फैसले की बड़ी कीमत चुकाई थी."
मानवी

पांच महीने के संघर्ष के बाद आखिरकार इस जोड़े ने डिंडोरी छोड़ने का फैसला किया.

'निषिद्ध' या 'वर्जित' प्यार की कीमत क्या है - पारिवारिक प्रतिरोध, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार?

पांच महीने के संघर्ष के बाद इस कपल ने डिंडोरी छोड़ने का फैसला किया.

(इलस्ट्रेशन : चेतन भाकुनी / द क्विंट)

इस बीच, हबीब, जिन्होंने अपने तीन बेटों और तीन बेटियों के लिए घर बनाने में अपना खून और पसीना लगाया था, वे हर अपने नुकसान को लेकर आंसू बहाते हैं.

"विडंबना यह है कि कलेक्टर और अधिकारियों ने मुझे बताया कि उन्होंने मेरे बेटे के अपराधों के कारण मेरा घर तोड़ दिया था. लेकिन जब हमने कोर्ट में शिकायत की तो उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण की वजह से कार्रवाई की गई थी. हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया था, और जब अधिकारियों ने मेरा घर गिराया तब मुझे पुलिस थाने में रखा गया था. आज, हम किराए के घर में हैं और जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं."

उन्होंने (हबीब ने) आगे कहा कि उनके दो बच्चे अपनी परीक्षा में नहीं शामिल हो सके, और उन्हें एक शैक्षणिक वर्ष छोड़ना पड़ा.

2015 में स्थानीय पार्षद का चुनाव लड़ने वाली एक गृहिणी, आकिब की मां अमीना (पहचान छिपाने के लिए नाम बदल दिया गया) ने कहा कि "हमारे घर पर बुलडोजर चलाकर, परिवार की प्रतिष्ठा और सम्मान को हमेशा के लिए कलंकित कर दिया गया है."

"वे (जिला प्रशासन) नहीं जानते कि उन्होंने क्या किया है. उन्होंने मेरे बेटे को अपहरणकर्ता के तौर पर प्रस्तुत किया, उस पर (आकिब पर) मेरी बहू से छेड़छाड़ का आरोप लगाया और हमारी बात सुनने से इनकार कर दिया..."
अमीना

हबीब ने कहा, "उन्होंने सिर्फ ईंट-गारे को नहीं तोड़ा. उन्होंने एक खुशहाल परिवार को बर्बाद कर दिया. उन्होंने मेरे बच्चों की उम्मीदों को कुचल दिया, उन्होंने उनकी शिक्षा पर पानी फेर दिया और सामान्य जिंदगी के विचार को ध्वस्त कर दिया."

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1,100 किमी दूर लेकिन हमेशा सतर्क

अपनी और मानवी की मौजूदा लोकेशन का खुलासा किए बगैर आकिब ने द क्विंट को फोन पर बताया कि "हम जानते हैं कि दक्षिणपंथी समूह यहां हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकते, लेकिन हम चांस नहीं ले सकते."

आकिब ने कहा कि "मैं हमेशा सतर्क रहता हूं, मेन गेट के ताले की दो बार जांच करता हूं, जब भी मैं घर से बाहर निकलता हूं, मानवी को मेरे जाने के बाद ताला लगा लेने के लिए कहता हूं."

आकिब वर्तमान में एक निजी कंपनी में बतौर ऑफिस बॉय कार्यरत हैं और 15,000 रुपये मासिक कमाते हैं. उन्होंने कहा, 'गुजारा करना बहुत मुश्किल है.'

मानवी भी काम करना शुरू करना चाहती हैं, लेकिन उनके डॉक्यूमेंट्स उनके परिवार के पास हैं. मानवी का कहना है कि "मुझे उन्हें (डॉक्यूमेंट्स को) वापस लाने में मुश्किल हो रही है. जैसे ही मैं उन्हें हासिल कर लूंगी, मैं अपनी मास्टर डिग्री पूरी करूंगी और नौकरी की तलाश शुरू करूंगी."

"मुझे पता है कि आज के समय में, आकिब के लिए अपने दम पर सब कुछ मैनेज करना मुश्किल है. हम पार्टनर हैं- और हम एक साथ मिल फिर से अपनी जीवन बनाना चाहते हैं."

मानवी ने कई बार अपनी मां से दोबारा जुड़ने की कोशिश की है. मानवी का कहना है कि "भले ही वह मुझसे बात करती है, लेकिन वह मेरी शादी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है." हालांकि, मानवी जल्दी से स्पष्ट करती हैं कि "सामाजिक दबाव" ने उनकी मां के साथ उनके संबंधों को "फिर से वापसी न होने पाने की स्थिति" पर धकेल दिया होगा. दूसरी ओर, मानवी और उनकी सास अमीना के बीच नजदीकियां बढ़ गई हैं, दोनों हर दिन बात करके एक-दूसरे को सांत्वना देती हैं.

मानवी कहती हैं कि "एक महिला के तौर पर मैं समझ सकती हूं कि मेरी सास किस दौर से गुजर रही हैं. भले ही मैं उनके साथ शारीरिक रूप से नहीं रह सकती, लेकिन हर दिन हम बात करते हैं. मैं उन्हें यह बताती हूं मैं और आकिब कैसे हैं और हमने अपना दिन कैसे बिताया, जबकि वह मुझे अपने दिन के बारे में बताती हैं."

इसी बीच, अमीना ने कहा कि "भले ही हम एक ही छत के नीचे नहीं रह रहे हैं, लेकिन मानवी मेरा परिवार है. मुझे बस इस बात का अफसोस है कि मैं उसका उस तरह स्वागत नहीं कर पाई, जैसा मैं चाहती थी... आकिब की शादी को लेकर मैंने बड़े सपने देखे थे... मैं उस दिन तब तक डांस करने के सपने देखे थे जब तक कि मेरा दिल संतुष्ट न हो जाए."

तमाम चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद, आकिब और मानवी अपने रिश्ते में सुकून पाने में कामयाब रहे हैं.

मानवी कहती हैं कि "प्यार एक ताकतवर चीज है. अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो आप उनके लिए, उनके साथ सब कुछ कर सकते हैं. मेरे मामले में भी सारी ताकत, इच्छाशक्ति और तमाम बाधाओं से लड़ने का साहस हमारे बीच के प्यार से ही आया है. मैंने आकिब को अपने जीवन साथी के रूप में चुना है, और हम सभी बाधाओं को पार कर जाएंगे."

"हमने अपने परिवारों के साथ एक सुखी वैवाहिक जीवन की कल्पना की थी, लेकिन हमारे मामले में, हमारे पास घर भी नहीं है. मेरी एकमात्र इच्छा यही है कि मेरे माता-पिता को वापस उनका घर मिल जाए - और हमें न्याय मिले. किसी को प्यार करने से हमारा घर, हमारी जिंदगी नहीं छीननी चाहिए."
आकिब

आकिब ने कहा "लेकिन मैं उसके लिए कुछ भी करूंगा. हमारी किस्मत में लिखा है कि हम हर सुख-दुख में साथ रहेंगे."

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