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भारत के GSLV-3 रॉकेट ने 36 'वनवेब' उपग्रहों के साथ उड़ान भरी

1999 से अब तक भारत ने कुल 381 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए हैं.

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भारत (India) के GSLV MK-3 रॉकेट, जिसका नाम बदलकर अब LVM3 M2 रखा गया है, ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के रॉकेट पोर्ट से शनिवार, 23 अक्टूबर की रात उड़ान भारत का ये रॉकेट यूके स्थित 'वनवेब' के 36 उपग्रहों को भी अपने साथ लेकर गया है.

43.5 मीटर लंबा और 644 टन वजनी LMV3 M2 रॉकेट 5,796 किलोग्राम या लगभग 5.7 टन वजन वाले 36 उपग्रहों को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से रात 12.07 बजे उड़ाया गया. अपनी उड़ान में सिर्फ 19 मिनट में LMV-3 कम पृथ्वी की कक्षा (LEO) में नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड (वनवेब) के 36 छोटे ब्रॉडबैंड संचार उपग्रहों को साथ लेकर उड़ा है.

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यदि प्रक्षेपण सफल होता है, जो 1999 से अब तक ऐसे कुल 381 विदेशी उपग्रह हो जाएंगे जिन्हें भारत ने लॉन्च किया. वनवेब के 36 उपग्रहों के एक और सेट को जनवरी 2023 में कक्षा में स्थापित करने की योजना है. वनवेब, भारत भारती ग्लोबल और यूके सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम है. इसके अलावा उपग्रह कंपनी संचार सेवाओं के लिए कम पृथ्वी की कक्षा में लगभग 650 उपग्रहों का एक समूह बनाने की योजना बना रही है.

तीन चरण वाला रॉकेट है LMV 3

LVM 3 एक तीन चरण वाला रॉकेट है, जिसमें पहले चरण में तरल ईंधन, दो स्ट्रैप ठोस ईंधन से संचालित मोटर्स, दूसरा तरल ईंधन से संचालित और तीसरा क्रायोजेनिक इंजन है. इसरो के भारी लिफ्ट रॉकेट की क्षमता एलईओ तक 10 टन और जियो ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) तक चार टन है.

आम तौर पर जीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल भारत के भूस्थिर संचार उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए किया जाता है और इसलिए इसे जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) नाम दिया गया है.

उड़ान भरने वाला रॉकेट लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में वनवेब उपग्रहों की परिक्रमा करेगा. यह GSLV MK3 का पहला व्यावसायिक प्रक्षेपण है और पहली बार कोई भारतीय रॉकेट लगभग छह टन का पेलोड ले जाएगा.

वनवेब पहली बार अपने उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए एक भारतीय रॉकेट का उपयोग कर रहा है.

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