ADVERTISEMENTREMOVE AD

जस्टिस लोया डेथ केस: सुप्रीम कोर्ट में टली 7 दिनों के लिए सुनवाई

महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपे विशेष सीबीआई जस्टिस बीएच लोया की मौत से संबंधित दस्तावेज

Published
न्यूज
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

जस्टिस लोया की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तारीख तय किए बिना सुनवाई एक हफ्ते के लिए टाल दी है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी थी. सुनवाई शुरू होने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने विशेष सीबीआई जस्टिस बीएच लोया की मौत से संबंधित दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में पेश किया.

इस दौरान महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसके द्वारा पेश की गई कुछ गोपनीय रिपोर्टों को छोड़कर याचिकाकर्ता अन्य दस्तावेज हासिल कर सकते हैं. उधर, सुप्रीम कोर्ट ने लोया की मौत की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘यह ऐसा मामला है जहां उन्हें (याचिकाकर्ताओं) सब कुछ पता होना चाहिए.'' इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस शांतनगौडार की बेंच ही करेगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

CJI पर सवाल खड़े करने वाले जजों ने भी उठाया था लोया केस का मुद्दा

बता दें कि शुक्रवार को चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद ये मामला एक बार फिर सुर्खियों में आया था. प्रेस कॉन्फ्रेंस में जजों ने सवालों के जवाब देते हुए कहा था कि हां जज लोया की मौत का मामला भी उनकी बेचैनी, विरोध और असंतोष की वजह है.

जस्टिस लोया की मौत की स्वतंत्र जांच कराने संबंधी मांग की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को सौंपे जाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.

इस मामले की जांच की मांग करने वाली याचिकाएं शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए पेश की गईं थी. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को इस मामले से जुड़े सारे दस्तावेज 15 जनवरी तक न्यायालय के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए थे.

0

जजों की मुलाकात के दौरान भावुक हो गए थे अरुण मिश्रा

सीजेआई दीपक मिश्रा के साथ सुप्रीम कोर्ट के जजों की सोमवार को हुई मुलाकात के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा यह कहते हुए रो पड़े कि मामला उठाने वाले चारों जजों ने उनकी 'क्षमता' और 'ईमानदारी' पर सवाल उठाकर उन्हें 'अनुचित रूप से' निशाना बनाया.

उन्होंने कहा कि भले ही चारों जजों ने उनका नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने दिवंगत जस्टिस बी.एच.लोया के मामले समेत जिन मामलों का जिक्र किया, उनसे यही नतीजा निकला.

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि वह बहुत मेहनत से काम कर रहे हैं और उनके ऊपर काम का बहुत बोझ भी है. उन्होंने कहा कि इससे पहले के सीजेआई टी.एस.ठाकुर और जे.एस.खेहर ने भी उन्हें बहुत मुश्किल मामले सौंपे थे.

[ गणतंत्र दिवस से पहले आपके दिमाग में देश को लेकर कई बातें चल रही होंगी. आपके सामने है एक बढ़ि‍या मौका. चुप मत बैठिए, मोबाइल उठाइए और भारत के नाम लिख डालिए एक लेटर. आप अपनी आवाज भी रिकॉर्ड कर सकते हैं. अपनी चिट्ठी lettertoindia@thequint.com पर भेजें. आपकी बात देश तक जरूर पहुंचेगी ]

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×