कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब (Hijab) बैन को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की है. पिछले कई दिनों से कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद चल रहा है. इससे पहले की सुनवाई में ये मामला चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की बेंच के समक्ष गया था.
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
पिछले दिनों हुई सुनवाई में सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने अपना सबमिशन खत्म करते हुए बेंच से उनके उस अंतरिम आदेश को वापिस लेने की अपील की जिसमें मामले की सुनवाई पूरी होने तक किसी भी तरह के धार्मिक कपड़ों को पहन कर आना मना है. इस अंतरिम आदेश में भगवा शॉल और हिजाब शामिल हैं.
वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कहा था कि, "राज्य का कहना है कि हम एक धर्मनिरपेक्ष राज्य हैं, हम तुर्की नहीं हैं, माय लॉर्ड. हमारा संविधान पॉजिटिव सेकुलरिज्म प्रदान करता है और सभी धर्मों को मान्यता दी जानी चाहिए."
इस दौरान उन्होंने कहा था कि इसके मुताबिक सिर पर दुपट्टा पहनने और मेरी यूनिफॉर्म नहीं बदलने की एक सहज प्रथा है. यह बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का ही एक पहलू है. अगर हेडस्कार्फ़ पहनने की छूट दी जाती है तो यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के अनुरूप होगा.
बता दें कि पिछले दिनों हिजाब विवाद के बीच कर्नाटक के एक कॉलेज में अंग्रेजी की एक प्रोफेसर ने कॉलेज में हिजाब पहनने की छूट न मिलने के बाद आत्म-सम्मान का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था. कर्नाटक के तुमकुरु में स्थित जैन पीयू कॉलेज में लेक्चरर चांदिनी ने कहा कि उन्होंने लगभग तीन साल तक कॉलेज में काम किया है, लेकिन पहली बार उनसे अपना हिजाब हटाने के लिए कहा गया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)