चौरसिया ने आईएएनएस को बताया कि सड़क के एक कोने में स्मार्ट सोशल डिस्टेंस अलार्म लगाया जाएगा। इसके 5 मीटर के दायरे में 2 से तीन लोग आने पर इसके सेंसर एक्टिव हो जाएगा और आलर्म बजने लगेगा। भीड़ ज्यादा होने पर इसमें दो नम्बर होंगे जो पुलिस चौकी और थाने के होंगे। विषम परिस्थितियों में यह पुलिस वालों लोकेशन सहित बातएगा कि यहां पर भीड़ है। जिसे पुलिस आसानी से कन्ट्रोल कर लेगी।
सेंसर के रेंज में एक साथ कई लोग आने पर यह एक्टिव होता है। इसमें लगे स्पीकर ऑडियो ऑन हो होकर लोगों को दूरी बनाने को कहेगा। बात न मानने पर नजदीक पुलिस थाने में आटोमैटिक कॉल कानेक्ट कर देता है। जब तक डिवाइस के सेंसर के रेंज में भीड़ इकठी रहेगी ये लगातार पुलिस को कल करता रहेगा।
इस उपकरण में इंफ्रारेड सेंसर डिस्टेंस सेंसर, वाइब्रेशन सेंसर मोबाइल फोन, का इस्तेमाल कर बनाया गया है। इसके अलावा इसमें जो भी वेस्ट मैटेरियाल का भी प्रयोग किया गया है। 15 दिन में तैयार होंने वाले इस उपकरण में करीब चार हजार का खर्च आया है। इस बंदी के दौरान उन्होंने अपने घर में छोटी लैब में इसे तैयार किया है। खाली समय में उन्होंने डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए इस उपकरण को बनाया है।
श्याम ने बताया कि "उपकरण भीड़भाड़ इलाके जैसे शॉपिंग मॉल, चौराहों, गली-कूचों में इकट्ठा होंने वाली भीड़ से यह अलर्ट करेगा। अगर कोई इसकी बात नहीं सुनेगा तो यह डिवाइस अटोमेटिक नजदीकी थाने को लोकेशन के साथ कल कर उस इलाके की सूचना भी देने में सहायक होगा। जिससे पुलिस पहुंचकर तुरंत सजा दे देगी।"
क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केन्द्र, वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पाण्डेय ने बताया कि "यह डिवाइस वर्तमान समय में कोविड का सबसे बड़ा हथियार सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन करने में काफी सहायक हो सकता है। इससे पहले भी श्याम चौरसिया ने कई इनोवेशन किये हैं जो देश में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।"
--आईएएनएस
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