(चेतावनी: आर्टिकल में आत्महत्या का जिक्र है. अगर आपके मन में आत्महत्या का खयाल आता है या आप किसी को जानते हैं, जो संकट में है, तो कृपया उनसे संपर्क करें और मेंटल हेल्थ एनजीओ के हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल करें.)
राजस्थान (Rajasthan) के कोटा (Kota) में नीट (NEET) की तैयारी कर रहे दो छात्रों की सुसाइड से मौत का मामला सामने आया है. एक छात्र की पहचान आदर्श के रूप में हुई है जो बिहार (Bihar) का रहने वाला था. वहीं दूसरे छात्र की पहचान महाराष्ट्र (Maharashtra) के अविष्कार शुभांगी के रूप में हुई है. पुलिस ने दोनों छात्रों का शव अपने कब्जे में लेकर परिवार को घटना की सूचना दे दी है.
हॉस्टल के कमरे में सुसाइड
बिहार के रहने वाले आदर्श ने अपने हॉस्टल के कमरे में रविवार को फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. आदर्श कोटा के कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र में रहकर एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में नीट परीक्षा की तैयारी कर रहा था.
जानकारी के मुताबिक कम नंबर आने के चलते आदर्श मानसिक तनाव से गुजर रहा था. जिसके बाद उसने फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया. सुसाइड की सूचना पर कुन्हाड़ी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लिया और मृतक के परिवार को मामले की जानकारी दी.
कोचिंग इंस्टीट्यूट की बिल्डिंग से कूदकर दी जान
महाराष्ट्र का छात्र अविष्कार शुभांगी कोटा में रहकर 12वीं और मेडिकल की तैयारी कर रहा था. कोटा के डीएसपी धर्मवीर सिंह के मुताबिक, रविवार को अविष्कार का एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में टेस्ट था, टेस्ट खत्म होने के निर्धारित समय से पांच मिनट पहले उसने टेस्ट खत्म किया और फिर कोचिंग इंस्टीट्यूट के छठे माले से नीचे कूदकर अपनी जान दे दी. मृतक छात्र कोटा में अपनी नानी के घर पर रहता था.
8 महीनों में 23 बच्चों ने की सुसाइड
कोटा में सुसाइड के मामले लगातार बढ़ रहे है. देश के सबसे बड़े कोचिंग हब कोटा में इस साल लगभग 23 बच्चे सुसाइड कर चुके हैं. इसी महीने 5 बच्चों ने सुसाइड किया. दो हफ्ते पहले ही उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले मनीष ने भी सुसाइड कर लिया था. उससे पहले यूपी के रामपुर का 18 साल का मनजोत सिंह भी सुसाइड कर चुका है.
सुसाइड रोकने को हॉस्टल उठा रहें कई कदम
कोटा में सुसाइड की घटनाओं को रोकने के लिए कोटा के हॉस्टलों ने कई कदम उठाए है. हॉस्टलों के कमरों में सीलिंग फैंन की जगह स्प्रिंग फैंन लगाए गए है. इसके अलावा कमरों की खिड़कियों और बालकनी पर लोहे की जाली लगाई गई है ताकि बच्चे कूदकर जान न दे दें.
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