ADVERTISEMENTREMOVE AD

विष्णु प्रभाकर: 300 कहानियां, 8 उपन्यास, कैसे और क्यों लिखी 'आवारा मसीहा'?

Vishnu Prabhakar ने 'आवारा मसीहा' को लिखने के लिए अपने जिंदगी के एक दशक से ज्यादा का वक्त खर्च किया.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

"कोई भी धर्म हो, उसके कट्टरपन को लेकर गर्व करने के बराबर मनुष्य के लिए ऐसी लज्जा की बात, इतनी बड़ी बर्बरता और दूसरी नहीं है."

ये बातें उन्होंने अपनी किताब “आवारा मसीहा” में लिखी है, जो बंगला के महान लेखक रहे शरतचंद्र चटर्जी की जीवनी है. आज जो समाज में उन्माद पसरा हुआ है. इसकी कल्पना लेखक ने कई सालों पहले ही कर ली थी, जो आज भी प्रासंगिक है. हमें उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कैसे लिखी गई “आवारा मसीहा"?

सोचिए उस दौर में न तो गूगल था और ना ही इंटरनेट की सुविधा थी. आज हमारे पास कनेक्टविटी है, हम लोग इंटरनेट के जरिए कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़े हुए है, लेकिन उस दौर में किसी की जिंदगी के बारे में जानकारी हासिल कर पाना कोई आसान काम नहीं था लेकिन ये कठिन काम करने का निर्णय लेखक विष्णु प्रभाकर ने किया.

“आवारा मसीहा” के बारे क्विंट हिंदी से बातचीत में विष्णु प्रभाकर के बेटे अतुल प्रभाकर बताते हैं कि

विष्णु जी ने 1959 - 60 में आवारा मसीहा लिखने का काम शुरू किया. इसके बाद उन्होंने शरतचंद्र की खोज-खबर के लिए देश के विभिन्न राज्यों सहित देश- विदेश कि यात्राएं की.उनके बारे में जानकारियां जुटाई. उन सूचनाओं का विश्लेषण किया. आखिरकार सन् 1974 में शरतचंद्र की जीवनी आवारा मसीहा प्रकाशित हुई. जिसके बाद उन्हें इस रचना के लिए पद्म विभूषण, साहित्य अकादमी सम्मान सहित कई अन्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया. इस रचना की वजह से उन्हें साहित्य की दुनिया में एक अलग पहचान मिली.

विष्णु प्रभाकर ने आवारा मसीहा के जरिए एक संदेश देने कि कोशिश की है "इंसान को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए हर परिस्थिति में अपना बेहतर देना चाहिए. तभी सफलता संभव है."

कैसे थे साहित्यकार विष्णु प्रभाकर? 

क्विंट हिंदी के साथ हुई बातचीत में अतुल कुमार प्रभाकर ने अपने पिता के बारे में बताते हुए कहा कि विष्णु प्रभाकर हिंदी के उन बड़े और मूर्धन्य लेखकों में रहे, जिनका व्यक्तित्व बहुत खुला, खरा और उदार था. सबको एकदम अपना बना लेने वाले लेखक थे,उनमें एक बड़प्पन था. सामने वाले की लघुता के बावजूद उसे अपने प्रेम से भर कर गले लगा लेना उनकी खूबी थी.

वो बताते हैं कि ऐसा ही उनके साहित्य में भी नजर आता है, जिसमें एक सादगी भरा जीवन समझने को मिलता है.

विष्णु प्रभाकर ने साहित्य की तमाम विधाओं में लिखा और बहुत कुछ लिखा. बहुत से लेखक इस भ्रम में रहते हैं कि कम लिखने में ही गौरव है. लेकिन विष्णु जी उनमें से नहीं थे. लिखना उनके लिए आनंद भी था और जरूरत भी. लिखने से जो कुछ मिलता, उसी से उनका जीवन का मकसद साबित होता था.
अतुल प्रभाकर, पुत्र, विष्णु प्रभाकर
ADVERTISEMENTREMOVE AD

"समाज में हमेशा हस्तक्षेप किया"

अतुल प्रभाकर आगे बताते हैं कि विष्णु प्रभाकर, प्रेमचंद की तरह अपनी लेखनी में समाज की कुरुतियों पर सवाल करते थे. सारी तकलीफों को झेलते हुए उनके पिता लेखक बने लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी. लेखक के रूप में वे हमेशा समाज में सार्थक हस्तक्षेप करते रहे. यही वजह रही कि उनकी पहचान हमेशा एक स्वाभिमानी लेखक के रूप में ही रही. वे जो कहते थे, उसे कर दिखाते थे. वे केवल बातें करने वाले लेखक नहीं थे, उनके अपने जीवन मूल्य और आदर्श थे. वे गांधीवादी लेखक के रूप में भी शुमार किए जाते है.

वो आगे कहते है कि “मेरे पिता गांधीवादी लेखन से भी काफी प्रभावित रहे, काका कालेलकर के साथ मिलकर गांधी साहित्य पर भी बहुत कुछ उन्होंने लिखा है.

1931 में शुरू किया था लेखन

विष्णु प्रभाकर ने साहित्य लेखन का कार्य साल 1931 में शुरू किया था. पहली कहानी भी इसी दौरान प्रकाशित हुई. 'धरती अब भी घूम रही है' और 'शरीर से परे' उनकी दो सबसे प्रसिद्ध कहानियां रही, जिसके लिए उन्हें पुरस्कार मिला. उन्होंने लगभग 300 कहानियां, 200 नाटक, 8 उपन्यास, 3 लघुकथा संग्रह, 1 कविता संग्रह, 10 - 11 जीवनी लिखी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
विष्णु प्रभाकर को साहित्य अकादमी द्वारा भी सम्मानित किया गया. भारत सरकार द्वारा पद्मविभूषण से अलंकृत विष्णु प्रभाकर पर हाल ही साहित्य अकादमी ने एक मोनोग्राफ भी जारी किया है.

अतुल प्रभाकर ने बताया कि विष्णु प्रभाकर की रचनावली का हाल ही प्रकाशित हुई है, जिसका प्रकाशन साहित्य अकादमी ने किया है. रचनावली में विष्णु प्रभाकर की विभिन्न विधाओं में लिखी प्रतिनिधि रचनाओं का संकलित किया गया है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×