दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र के दौरान मंगलवार को तब दिल्ली को पूर्ण राज्य के मुद्दे का उल्लेख हुआ जब उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यदि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया होता तो लोकपाल विधेयक यहां पारित कर दिया गया होता।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिसोदिया का समर्थन किया और कहा कि दिल्ली जिस सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही है वह ‘‘अर्ध राज्य’’ है।
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोग 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आयकर का भुगतान कर रहे हैं और दिल्ली को केंद्र से मात्र 534 करोड़ रुपये मिले।
उन्होंने कहा, ‘‘यह उत्पीड़न है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली यदि (पूर्ण) राज्य बन जाए, यह समाप्त हो जाएगा। उत्तर प्रदेश को 1.5 लाख करोड़ रुपये मिलते हैं। कुछ राज्यों को 10 लाख करोड़ रुपये मिलते हैं। मुम्बई सबसे अधिक आयकर का भुगतान करती है और दिल्ली का नम्बर इसमें दूसरा है।’’
केजरीवाल ने घोषणा की थी कि वह दिल्ली को पूर्ण राज्य की मांग को लेकर एक मार्च से अनिश्वितकालीन अनशन पर बैठेंगे लेकिन उन्होंने ‘‘भारत-पाक के बीच मौजूदा हालात के परिप्रेक्ष्य’’ में इसे स्थगित कर दिया।
जब सिसोदिया से पूछा गया कि पांच वर्ष में उनका सबसे बड़ा खेद क्या है, उन्होंने कहा कि यह कि दिल्ली को दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं प्राप्त कर सके।
सिसोदिया ने अपने बजट भाषण में कहा कि दिल्ली को यदि पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया होता तो भ्रष्टाचार जड़ से समाप्त हो गया होता।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि दिल्ली एक पूर्ण राज्य होता, सरकार बनने के दो महीने के भीतर लोकपाल विधेयक दिल्ली में पारित हो गया होता, जिसके लिए देश ने एक बड़ा आंदोलन देखा था।’’
भाषा
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