मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दमोह (Damoh) के गंगा जमुना स्कूल (Ganga Jamuna School) का एक पोस्टर सुर्खियों की वजह बन गया है. इस पोस्टर में हिंदू धर्म की लड़कियां कथित तौर पर हिजाब (Hijab) पहने दिखाई दे रही हैं, जिसके बाद रातों रात ये देश का प्रमुख मुद्दा बन गया.
बता दें कि स्कूल के बच्चों ने इस साल कक्षा दसवीं में बेहतर रिजल्ट दिया था, जिसका एक पोस्टर लगाना स्कूल के लिए मुसीबत का सबब बन गया.
आरोप है कि हिंदू संगठनों के विरोध के बाद न सिर्फ स्कूल की मान्यता निरस्त कर दी गई, स्कूल पर धर्मांतरण, ट्रेरर फंडिंग के अलावा स्कूल संचालक सहित प्रबंधन कमेटी पर कई आरोप लगे. स्कूल के मुखिया के कई व्यापारिक ठिकानों पर आयकर सहित राज्य स्तरीय जीएसटी छापेमारी और जमीनों की इंक्वायरी के अलावा कई विभागों के अधिकारियों ने संयुक्त कार्रवाही की है.
हिजाब के विवाद से शुरू हुए इस पूरे घटनाक्रम में दमोह के गंगा जमुना स्कूल पर जिस तरह से कार्रवाई की जा रही है, उसके बाद ये एक बड़ा सवाल है कि आखिर 1200 बच्चों को शिक्षा देने वाला स्कूल और उसके अंदर ये सब कैसे चलता रहा.
क्या है पूरा मामला?
गंगा जमुना स्कूल दमोह जिले में है, जहां 1200 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं.
दरअसल 25 मई को मध्यप्रदेश के 12वीं बोर्ड का रिजल्ट आया.
इसके दो दिन बाद स्कूल की ओर से 27 मई को अच्छा परिणाम लाने वाले बच्चों का एक होर्डिंग लगाया इसमें 4 हिंदू छात्राओं की हिजाब/हेड स्कार्फ पहने फोटो लगाए.
इसके अगले ही दिन यानी कि 28 मई को हिजाब पहनी हुई इन बच्चियों की फोटो इंटरनेट पर वायरल हो गई.
मामले को तूल पकड़ता देख 30 मई को जिला प्रशासन ने डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) और स्थानीय थाना इंचार्ज ने स्कूल में जाकर निरीक्षण किया
30 मई को डीईओ और थाना इंचार्ज सहित प्रशासन ने इस मामले में क्लीन चिट दे दी.
इसके बाद इस घटनाक्रम के आस पास राजनीति गरमाने लगी.
1 जून को दमोह कलेक्ट्रेट के सामने हिंदू संगठनों ने विरोध किया और मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की
जिसके बाद 2 जून को दमोह कलेक्टर ने जांच कमेटी का गठन किया और इसी दिन स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई.
इसके अगले ही 3 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर कलेक्टर द्वारा गठित जांच टीम में एसडीएम और CSP रैंक के अधिकारियों को शामिल किया गया.
मामले में 4 जून को राज्य बाल संरक्षण एवं अधिकार आयोग की टीम पहुंचीं और जांच चालू की साथ ही दस्तावेज भी जब्त किए
इसके अगले दिन मामले ने नया मोड़ लिया और तीन शिक्षिकाओं द्वारा धर्मांतरण करने की भी बात आई.
इस पूरे मामले में 7 जून को बीजेपी नेताओं ने विरोध प्रदर्शन के दौरान डीईओ दमोह के मुंह पर स्याही पोत दी.
अभी फिलहाल मामले की जांच जारी है.
जिला प्रशासन का क्या कहना है ? क्यों पहले क्लीन चिट और फिर दोबारा जांच के आदेश दिए गए?
अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ से संबंधित गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल, जिसमें 99 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे शिक्षा लेते है साथ ही कुछ हिंदू बच्चे भी यहां पढ़ाई करते है उसे पूरी स्वतंत्रता है कि अपने स्कूल का ड्रेस कोड खुद सलेक्ट करे.
ड्रेस कोड का हिस्सा है एक हेड स्कार्फ.
हालांकि कुछ हिन्दू संगठनों ने एकमत होकर स्कूल द्वारा जारी पोस्टर पर आपत्ति दर्ज की है. उन्होंने आरोप लगाए की यहां जबरन हिन्दू बच्चियों को हिजाब पहनाया जा रहा है.
लेकिन स्कूल प्रबंधन के अनुसार यहां किसी को सर पर स्कार्फ जिसे हिजाब का नाम दिया गया उसे बांधना अनिवार्य नहीं है और ना ही हिंदू बच्चियों पर कोई दबाव है कि वे स्कार्फ या हिजाब बांधे.
विवाद ने तूल पकड़ा तो राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर स्कूल की जांच के आदेश जारी किए जिस पर दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने एक जांच टीम गठित कर स्कूल की जांच कि और कलेक्टर व दमोह एसपी ने जांच रिपोर्ट में कुछ नहीं मिलने पर क्लीन चिट दे दी. संगठन के लोग इस जांच से संतुष्ट नहीं हुए इसके बाद राज्य बाल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष कानूनगो ने जांच पर सवाल खड़े किए और फिर राज्य बाल आयोग की टीम दमोह पहुंची स्कूल की जांच करने और उन बच्चियों से मिलने घंटों जांच करने के बाद हिजाब को तो आधार नहीं बनाया, बल्कि अनेक तरह की अनिमितताओं के चलते स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी गई.
हालांकि प्रारंभिक जांच में पहले क्लीन चिट दे दी गई थी, लेकिन फिर हिंदूवादी संगठनों और NCPCR के दखल के बाद दोबारा जांच के आदेश दिए गए थे.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा था कि "दमोह के एक विद्यालय में अनियमितताएं पाए जाने पर उसकी मान्यता तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई. मेरे भांजे-भांजियों के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. साथ ही मध्य प्रदेश सरकार ऐसे कृत्यों के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है".
हमने मामले की शुरुआत में कथित हिजाब वाले पोस्टर में जिन लड़कियों की फोटो छपी थी उसमे एक लड़की से बात की थी जिसका कहना था कि स्कूल में कभी भी उनपर हिजाब/हेडस्कार्फ पहनने को लेकर दबाव नहीं बनाया गया था.
स्कूल पर धार्मिक शिक्षा देने का भी आरोप लगा था, जिसे एक छात्रा की मां ने सिरे से नकारते हुए कहा था कि "वो हेड स्कार्फ है और ड्रेस कोड का एक हिस्सा है.
इसपर छात्रा की मां ने आगे कहा कि उन्हे कभी आपत्ति नहीं हुई, क्योंकि स्कूल प्रबंधन ने कभी हेडस्कार्फ पहनने को लेकर दबाव नहीं बनाया और न ही स्कूल में धर्म की शिक्षा दी जाती है.
स्कूल के मालिक के अन्य ठिकानों पर छापेमारी
मामले ने तब और तूल पकड़ा जब स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाए गए कि स्कूल की शिक्षिकाओं का धर्मांतरण कराकर उन्हें मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बनाया गया है
इस पर जमकर हंगामा हुआ, यहां तक कि बीजेपी नेताओं ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, लेकिन जब स्कूल की शिक्षिकायें खुद कलेक्टर के ऑफिस पहुंचकर और कैमरे के सामने उन्होंने ये बयान दिया कि उनके धर्मांतरण करने से स्कूल या प्रबंधन का कोई लेना देना नहीं बल्कि जब स्कूल खुला ही नहीं था उससे पहले ही उन्होंने धर्म बदल कर इस्लाम मजहब अपना लिया था.
बहरहाल गंगा जमुना स्कूल के मालिक के अन्य ठिकानों पर भी अब छापेमारी की कार्रवाई चालू हो गई है. गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल के संचालक मोहम्मद हाजी इदरीश के जो अन्य कारोबार है उन ठिकानों पर जिला प्रशासन की अनेक विभागों की टीम ने संयुक्त कार्यवाही शुरू कर दी है, जिसमें कि ट्रेरर फंडिंग के आरोपों की जांच के साथ आयकर, राज्य स्तरीय जीएसटी टीम की छापामारी सहित दाल मिल, हार्डवेयर और जमीनों की पड़ताल सहित अनेक प्रतिष्ठानों पर दर्जन भर टीमें एक साथ लगातार दो दिनों तक दस्तावेजों की पड़ताल करती नजर आईं.
यहां कार्यवाही चल ही रही थी की मुख्यमंत्री से लेकर गृह मंत्री और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने तक अपना कड़ा रुख अपनाया, जिसके जबाब में अस्ससुद्दीन ओवैसी की भी एंट्री हो गई है.
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