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मध्य प्रदेश में 2013 के बाद चौराहों पर स्थापित की गई प्रतिमाएं हटेंगी

रायसेन व भोपाल में अवंतिका बाई व पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की प्रतिमा के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी

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जबलपुर, 3 मार्च (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में यातायात में बाधा खड़ी करने वाली वर्ष 2013 के बाद स्थापित की गई प्रतिमाएं हटाने के उच्च न्यायालय की न्यायाधीश शील नागू व न्यायाधीश पी के कौरव की युगलपीठ ने आदेश दिए हैं। इनमें प्रमुख हैं राजधानी भोपाल में स्थापित अर्जुन सिंह और रायसेन में रानी अवंतिका बाई की प्रतिमा।

रायसेन व भोपाल के मुख्य चैराहों में रानी अवंतिका बाई तथा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की प्रतिमा लगाये जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गयी थीं। न्यायाधीश शल नागू तथा न्यायाधीश पी के कौरव की युगलपीठ ने अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए उक्त मूर्तियों को हटाने के आदेश जारी किये हैं। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद यातायात में बाधित सार्वजनिक स्थानों में लगी मूर्तियों को हटाया जाये।

रायसेन निवासी प्रदीप कुमार व अन्य तथा जबलपुर निवासी अधिवक्ता ग्रीष्म जैन की तरफ से दायर की गयी याचिकाओं मंे सार्वजनिक स्थानों में मूर्तियां लगाये जाने के कारण यातायात बाधित होने को चुनौती दी गयी थी। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेष का हवाला देते हुए कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों को निर्देशित किया था कि सार्वजनिक सड़कों ,फुटपाथ तथा सडक किनारे और अन्य सार्वजनिक उपयोगिता स्थान में किसी भी संरचना के निर्माण की अनुमत्ति प्रदान नहीं करें। इसके बावजूद भोपाल के टीटी नगर लिंक रोड पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की दस फुट की मूर्ति लगाई जा रही है। रायसेन में भी मुख्य चौराह में रानी आवंतिका बाई की मूर्ति स्थापित हो रही है।

याचिका में यातायात व्यवस्था का हवाला देकर कहा गया कि टीटी नगर के जिस स्थान से चन्द्रशेखर आजाद की मूर्ति पूर्व में हटाई गई थीं, वहीं पर अब पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मूर्ति स्थापित करना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। युगलपीठ ने दोनों याचिकाओं की सुनवाई पूर्ण करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किये थे।

युगलपीठ द्वारा गुरूवार को पारित किए गए आदेश में युगलपीठ ने प्रतिमाएं हटाने का आदेश दिए जाने के साथ भोपाल नगर निगम पर 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राहुल दिवाकर तथा अधिवक्ता सतीष वर्मा ने पैरवी की।

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