गुजरात (Gujarat) और हिमाचल (Himachal Pradesh) चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. दोनों जगह बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने अपनी-अपनी ताकत झोंक दी है. ऐसे में एक नजर हिमाचल के बड़े बीजेपी नेताओंं और गुजरात के बड़े बीजेपी नेताओं से जुड़ी सीटों पर डालते हैं. और जानने की कोशिश करते हैं कि इस बार और पिछले विधानसभा चुनावों में जीत-हार में इनका क्या योगदान रहा.
अमित शाह के लोकसभा क्षेत्र में शाह की मेहनत कितनी रंग लाई? अमित शाह के लोकसभा क्षेत्र गांधीनगर में 7 विधानसभा सीटें हैं. शाह ने विधानसभा चुनावों के चलते यहां 4 दिनों का दौरा किया था. बीजेपी ने यहां सभी 7 सीटों को जीतने का टारगेट रखा था.
इन सीटों में 2017 में कैसा था बीजेपी का प्रदर्शन? : पिछले विधानसभा चुनाव में यहां की 7 सीटों में से 5 में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. सिर्फ 2 सीटों कलोल और गांधीनगर नॉर्थ सीटों को कांग्रेस ने अपने नाम किया था.
अमित शाह पास या फेल?: बीजेपी ने बाकी की 2 सीटें भी अपने नाम कर ली हैं. कुल मिलाकर अमित शाह के लोकसभा क्षेत्र में आने वाली 7 विधानसभा सीटों में अब बीजेपी काबिज है. कहा जा सकता है कि अमित शाह की मेहनत बेकार नहीं गई.
हार्दिक पटेल के क्षेत्र में कैसा रहा बीजेपी का प्रदर्शन? : गुजरात में पाटीदार आंदोलन खड़ा करने वाले हार्दिक पटेल ने साल 2020 में बीजेपी जॉइन की थी. वो इस बार गुजरात की विधानसभा सीट और अपने घर वीरमगाम से विधायक चुने गए हैं.
इस सीट में 2017 में क्या था बीजेपी का हाल?: 2017 विधानसभा चुनावों में इस सीट से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.
हार्दिक पटेल पास या फेल?: सूरत जिले में आने वाली वीरमगाम सीट पाटीदार बहुल इलाका है. गुजरात में इस बार बीजेपी की जीत की एक बड़ी वजह पाटीदार लोगों को अपनी ओर खींचना भी था. एक बड़े पाटीदार नेता के तौर पर हार्दिक पटेल ने भी उसमें अहम भूमिका निभाई है. यानी हार्दिक पटेल का बीजेपी में आना बीजेपी के लिए जरूर सफल रहा.
सीएम भूपेंद्र पटेल के क्षेत्र में कैसा रहा बीजेपी का हाल?: गुजरात के मौजूदा सीएम भूपेंद भाई पटेल ने अहमदाबाद की घाटलोडिया सीट से बंपर जीत हासिल की है.
इस सीट में 2017 में क्या था बीजेपी का हाल?: साल 2017 विधानसभा चुनावों में भी इस सीट पर भूपेंद्र पटेल ने ही जीत हासिल की थी. साल 2012 में भी यहां से बीजेपी ने ही जीत हासिल की थी. तब बीजेपी की तरफ से आनंदीबेन पटेल उम्मीदवार थीं. बता दें कि इसके पहले ये क्षेत्र गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था. जो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का गृह क्षेत्र भी है.
भूपेंद्र पटेल पास या फेल?: यहां से भूपेंद्र पटेल ने करीब 2 लाख वोटों से कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया है. यानी सीएम पटेल को 'पास' कैटेगरी में रखना गलत नहीं होगा.
अनुराग ठाकुर के इलाके का हाल? : हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे और केंद्र में मंत्री अनुराग ठाकुर हमीरपुर से आते हैं. वो यहां से लगातार 4 बार सांसद भी हैं.
इस सीट पर 2017 में कैसा था बीजेपी का प्रदर्शन?: बीजेपी का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट में 2017 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.
अनुराग ठाकुर पास ये फेल? : इस बार हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने जीत हासिल की है. वहीं बीजेपी और कांग्रेस दोनों को लगभग 23-23 प्रतिशत वोट मिले हैं. यानी अनुराग ठाकुर अपने ही क्षेत्र में बीजेपी को जीत दिलाने में असफल रहे.
जयराम ठाकुर के इलाके का क्या रहा हाल? : भले ही राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं बन पाई, लेकिन राज्य के वर्तमान सीएम जयराम ठाकुर ने मंडी जिले में अपनी विधानसभा सीट सिराज से जीत का ताज पहना है.
इस सीट पर 2017 में क्या था बीजेपी का हाल? : 2017 चुनाव में भी इस सीट पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी. तब भी इस सीट पर जयराम ठाकुर ने चुनाव लड़ा था. खास बात ये है कि जयराम ठाकुर इस सीट से 6 बार चुनाव जीत चुके हैं.
जयराम ठाकुर पास या फेल?: मंडी जिला सीएम जयराम ठाकुर का गढ़ माना जाता है. यहां की 10 सीटों में बीजेपी ने 9 में जीत हासिल की है. जबकि यहां 5 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए थे. कह सकते हैं. अपने इलाके में जयराम ठाकुर सफल रहें.
जेपी नड्डा के गढ़ हिमाचल में क्या रहा बीजेपी का हाल ?: चुनाव प्रचार शुरू होते ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने गढ़ हिमाचल में हर जगह चुनाव प्रचार के लिए गए. लेकिन पार्टी में आपसी कलह ने जोर पकड़ा तो पार्टी में ही कई बागी हो गए. राज्य में सीएम बदलने की बात हुई तो पार्टी आलाकमान ने मना कर दिया. ये भी वजह रही कि जेपी नड्डा अपने ही राज्य में कोई जादू नहीं चला सके.
जेपी नड्डा बिलासपुर से 4 बार चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने आखिरी चुनाव यहां से 2007 में लड़ा था. ऐसे में जानते हैं कि उनके क्षेत्र बिलासपुर में बीजेपी ने कैसा प्रदर्शन किया है.
पिछली बार भी और इस बार भी सीट गई बीजेपी के पास: 2017 विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने जीत हासिल की थी, इस बार भी बीजेपी ने यहां पर जीत हासिल की है.
यानी जहां नड्डा पूरे राज्य में तो कामयाब नहीं रहे, लेकिन बिलासपुर के लोगों ने एक बार फिर से बीजेपी को जीत का सेहरा बांधा है. हालांकि, एक सच ये भी है कि यहां बीजेपी सिर्फ 276 वोटों से ही जीत हासिल कर पाई है.
पीएम मोदी और गुजरात चुनाव: पीएम मोदी की बात करें तो पूरा गुजरात ही उनके लिए चुनावी मैदान है. वो वडनगर में जन्में, वडोदरा से 2 बार लोकसभा चुनाव जीते और मणिनगर से 3 बार विधायकी. जानते हैं कि इन तीनों जगहों पर बीजेपी का क्या हाल रहा.
पहले तो वडनगर की बात करें, तो ये ऊंझा विधानसभा क्षेत्र में आता है. यहां से इस बार बीजेपी ने जीत हासिल की है.
कैसा था 2017 में बीजेपी का प्रदर्शन? : 2017 में यहां से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. इस सीट को भी बीजेपी का गढ़ माना जाता है. क्योंकि यहां से 2017 के पहले तक बीजेपी लगातार 5 बार जीती थी.
वडोदरा सिटी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां से बीजेपी ने जीत हासिल की है. इस बार इस सीट से मनीषा वकील ने जीत हासिल की है.
कैसा था 2017 में बीजेपी का प्रदर्शन? : 2017 में भी इस सीट से बीजेपी की ओर से मनीषा वकील ने ही जीत दर्ज की थी.
मणिनगर की बात करें तो ये वो जगह है जहां से 3 बार पीएम मोदी विधानसभा चुनाव जीते हैं, वो भी भारी वोटों से. इस बार यहां से बीजेपी ने जीत हासिल की है.
कैसा था 2017 में बीजेपी का प्रदर्शन? : 2017 में भी यहां से बीजेपी ने कांग्रेस को शिकस्त दी थी.
क्या बड़े नेताओं का जादू चला?:
गुजरात के बारे में बोले तो इसका जवाब हां है. क्योंकि मोदी, शाह, भूपेंद्र पटेल और हार्दिक का जादू चल गया. जहां मोदी और शाह के चुनावी मैदान रह चुके इलाकों से बीजेपी ने जीत हासिल की वहीं गुजरात में बहुमत पाकर सरकार भी बना रही है.
लेकिन अगर हिमाचल में 'नेताओं के जादू' की बात करें तो कह सकते हैं कि ये सही तरीके से नहीं चला. बड़े नेताओं जैसे कि जेपी नड्डा और जयराम ठाकुर के घरेलू राजनीतिक मैदानों में तो बीजेपी ने जीत का परचम लहराया. लेकिन ये सभी प्रदेश में उस परचम को लहराने में नाकामयाब रहे. वहीं अनुराग ठाकुर के इलाके हमीरपुर में बीजेपी जीत नहीं दर्ज कर पाई.
हिमाचल की बात करें तो दहाई की गिनती में बीजेपी से बगावती तेवर दिखाने वाले नेताओं को समझाने में न तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कामयाब रहे और न ही केंद्रीय मंत्री के पद पर बैठे अनुराग ठाकर.
पीएम मोदी का वो फोन कॉल जो पिछले दिनों काफी वायरल हुआ था, वो भी किसी काम नहीं आया. मोदी ने फतेहपुर सीट से जिस बागी उम्मीदवार कृपाल सिंह परमार को फोन किया था. उन्होंने भी चुनाव न लड़ने की मोदी की बात को अनसुना कर दिया. हालांकि, उन्हें सिर्फ 2794 वोट ही मिले, लेकिन उनका बगावती तेवर कांग्रेस के काम आ गया. और यहां से कांग्रेस ने जीत अपने नाम कर ली.
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