नवाब मलिक (Nawab Malik) महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government) के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रवक्ता जैसे ही अंडरवर्ल्ड से रिश्तों के आरोप में ED द्वारा गिरफ्तार (Nawab Malik arrested) किए गए, वैसे ही केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के बीच तनातनी की खबरें फिर से जोर पकड़ने लगीं. वैसे तो पिछले कई सालों से गैर भाजपा शासित राज्यों में केंद्र व राज्य सरकार की एजेंसियों के बीच टकराव देखने को मिल रहा है, पर महाराष्ट्र में यह कुछ ज्यादा ही हो रहा है. जहां भाजपा की एक पुरानी सहयोगी पार्टी शिव सेना भाजपा की प्रमुख विरोधी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर सत्ता पर काबिज है. इस तनातनी के गवाह कई सारे मामले बने हैं जो वहां पिछले दो सालों में घटे हैं. आइए नजर डालते हैं इन सारे मामलों के साथ इनके कारणों पर-
कहां से हुई इस खींचतान की शुरुआत
महाराष्ट्र और केंद्र सरकार के टकराव के कारणों को ढूंढ़ना है तो हमें 24 अक्तूबर 2019 की तारीख पर जाना होगा. इस दिन महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित हुए थे. बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर यह चुनाव लड़ा, सरकार बनाने लायक सीटें भी पा लीं, पर गठबंधन के दोनों दलों में सत्ता की शीर्ष कुर्सी सीएम पद को लेकर खटास आ गई. राज्य में कुछ दिन राष्ट्रपति शासन लगा रहा और इस बीच शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस से पटरी सेट कर ली.
इन तीनों ने मिलकर राज्य में सरकार गठित करने की पूरी तैयारी कर ली थी, और अगली सुबह ही सरकार बनाने की तैयारी में थे. बीजेपी शिवसेना के दूर जाने के वार से चोट खाई बैठी थी. लिहाजा पलटवार करते हुए बीजेपी ने उनके खेमे में इतनी बड़ी सेंध लगाई कि जिसे शिवसेना और साथ के दल सहन नहीं कर सके. 23 नवंबर 2019 की तारीख को एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजीत पवार को तोड़कर बीजेपी ने अपने साथ मिलाया और देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की रातोरात शपथ ले डाली.
बीजेपी ने प्रतिप्रहार तो जबरदस्त किया था, वह एनसीपी के सबसे बड़े ब्रह्मास्त्र यानी शरद पवार के सामने आने से असफल साबित हो गया. अजीत पवार वापस एनसीपी में लौट आए, देवेंद्र फडणवीस को 80 घंटे बाद ही इस्तीफ़ा देना पड़ा तथा उद्धव के नेतृत्व में महा विकास आघाडी सरकार का गठन हुआ. उसके बाद केंद्र और महाराष्ट्र के बीच शतरंज की तरह एक दूसरे को मात देने का जाे खेल शुरू हुआ है वो आज तलक जारी है. नवाब मलिक की गिरफ्तारी को भी उसी से जोड़कर देखा जा रहा है.
खींचतान के सारे मामलों पर नजर
राज्य के चर्चित भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में इन दोनों धड़ों के टकराव का पहला मामला देखने मिला था. महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार ने योजना बनाई कि इसकी जांच के लिए एक एसआईटी बनाकर उसे जांच सौंपी जाए. जैसे ही महाराष्ट्र सरकार ने आरोप पत्रों की समीक्षा बैठक की, केंद्र ने एक कदम आगे बढ़ते हुए मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार और केंद्र में विवाद पैदा होने का एक दौर सा शुरू हो गया.
केंद्र ने फ्रांस के सहयोग से 1,650-1,650 मेगावाट के 6 परमाणु बिजली संयंत्रों की स्थापना के लिए महाराष्ट्र के जैतापुर को चुना, पर महाराष्ट्र सरकार ने विरोध करते हुए कहा कि स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए बिना कोई भी परियोजना लागू नहीं करने देंगे.
मुंबई अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे अर्थात बुलेट ट्रेन परियोजना को पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए जमीन देने से साफ इंकार कर दिया.
मुंबई में आरे के जंगलों के बीच देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मेट्रो कार शेड बनाने का फैसला किया था, बाद में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार आई और यहां मेट्रो कार शेड यहां न बनाते हुए वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक लैब या फिर वाइल्ड लाइफ रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर बनाने का फैसला किया.
जेएनपीटी पर बढ़ते हुए भार को कम करने केंद्र सरकार की तरफ से 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वाढवण बंदरगाह के निर्माण को मंजूरी दी गयी है. पर उद्धव सरकार इसके निर्माण के विरोध में आ गई.
महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच भी टकराव की खबरें आती रहती हैं. पिछले साल फरवरी में राज्यपाल कोश्यारी को उत्तराखंड के मसूरी जाना था तो उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग से सरकारी विमान से जाने की परमिशन नहीं मिली. बाद में वे निजी विमान से गए. बाद में महाराष्ट्र बीजेपी ने इस मामले को खूब उछाला.
राज्य की महा विकास अघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी पर एक टीवी पत्रकार ने अपने शो में तीखी टिप्पणी की, तो महाराष्ट्र पुलिस ने उस पत्रकार से जुड़े एक दूसरे मामले को खोलकर उसे गिरफ्तार करवा दिया. पर मीडिया में यही चर्चा रही कि महाराष्ट्र सरकार में शामिल कांग्रेस सोनिया गांधी पर अनर्गल टिप्पणी बर्दाश्त नहीं कर सकी, इसीलिए जर्नलिस्ट को दूसरे मामले की फाइल खोलकर गिरफ्तार कराया गया.
महाराष्ट्र में ही 16 अप्रैल 2020 को पालघर में 2 साधुओं को पीट-पीटकर मार डाला गया तो बीजेपी ने इस मामले में उद्धव सरकार को घेरते हुए उस पर हमला किया तथा कहा कि महाराष्ट्र पुलिस मामले की सही से जांच नहीं कर रही है.
जून 2020 में जब बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड कर लिया तब इस मामले की जांच को लेकर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के बीच टकराव खुलकर देखने को मिला. महाराष्ट्र पुलिस की ओर से एक्टर की खुदकुशी की जांच चल रही थी, तभी बिहार पुलिस ने बीच में आकर एफआईआर दर्ज कर ली और मामला सीबीआई को देने की सिफारिश की. केंद्र ने देर ना लगाते हुए जांच सीबीआई को दे दी. महाराष्ट्र सरकार इस पर आपत्ति जताते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट तक ले गई. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया, पर तब तक केंद्र व राज्य सरकार इस मामले में टकराव की स्थिति में आ चुकी थीं.
सुशांत सिंह राजपूत की दोस्त रिया चक्रवर्ती को जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तार किया तो शिव सेना इस कार्रवाई के विरोध में आ गई. उन्होंने इसे महाराष्ट्र और बॉलीवुड को बदनाम करने की साजिश करार दिया.
सुशांत आत्महत्या मामले में जब कंगना रनौट भी कूद पड़ी तो राज्य और केंद्र की शक्तियों ने भी अपना दमखम दिखाने की भरपूर कोशिश की. कंगना ने उद्धव ठाकरे पर तीखा बयान देते हुए मुंबई को पाक अधिकृत कश्मीर जैसा बता दिया. इसके बाद शिवसेना नेताओं ने कंगना के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्हें मुंबई ना आने की धमकी दी. इस पर केंद्र की तरफ से कंगना को Y कैटेगरी की सिक्योरिटी दे दी गई. सुरक्षा के साथ जलवा दिखाती कंगना जैसे ही मुंबई पहुंची, बीएमसी ने उसी दिन उनके दफ्तर पर बुलडोजर चलवा दिया. कंगना के बहाने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की यह खींचतान खूब चर्चा का विषय बनी थी.
टीआरपी स्कैम पर भी महाराष्ट्र और केंद्र में पटरी नहीं बैठी. तीन टीवी चैनलों पर जब टीआरपी में छेड़छाड़ का आरोप लगा और लखनऊ में शिकायत दर्ज की गई तो इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई. महाराष्ट्र सरकार ने ऐसी किसी भी जांच के लिए सीबीआई को दी जाने वाली अपनी सामान्य सहमति ना देने का फैसला लिया.
उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया (Antilia) के सामने विस्फोटक मिलने के मामले में भी केंद्र और राज्य के बीच शह मात का खेल चला. अंबानी के घर के सामने से जो गाड़ी मिली थी, उसके मालिक मनसुख हीरेन के मर्डर आदि की जांच मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनात सचिन वाजे को दी गई. बाद में महाराष्ट्र सरकार ने अपने एंटी टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) को इसकी जांच का जिम्मा दिया. चूंकि मामले में विस्फोटकों का पाया जाना रिपोर्ट किया गया था तो केंद्र सरकार ने एंट्री करते हुए जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को दे दी. मामले एक साथ जुड़े थे और जांच केंद्र व राज्य की दो एजेंसी कर रही थी, तो तनातनी होना निश्चित थी और वह जमकर हुई.
एनआईए ने 13 मार्च को पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनात सचिन वाजे को ही गिरफ्तार किया और मुंबई पुलिस हेडक्वार्टर में स्थित CIU के दफ्तर में छापेमारी की और यहां से कई दस्तावेज जब्त कर खुलासा किया कि पुलिस हेडक्वार्टर में ही स्कॉर्पियो वाली यह पूरी साजिश रची गई थी. बाद में दोनों मामलों की जांच एनआईए को ही सौंप दी गई. इस पूरे मामले को देखकर तो एक बारगी लगने लगा था कि केंद्र व राज्य की एजेंसियों मामले के तार खोलने के बजाय एक दूसरे की काट करने की इनवेस्टिगेशन तो नहीं कर रहीं.
केंद्र की एजेंसियों की ओर से महाराष्ट्र सरकार पर हमले कम नहीं किए गए. 2 नवंबर 2021 को इनकम टैक्स विभाग ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार की 1000 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली और इसी दिन ईडी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि वह पुलिस अधिकारियों को हर महीने 100 करोड़ों रुपए वसूली का टारगेट देते थे.
अभी पिछले दिसंबर में ही जब महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पहुंचने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए एयरपोर्ट पर RTPCR टेस्ट और 14 दिन का क्वारंटीन अनिवार्य किया तो, केंद्र सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन का हवाला देकर कहा कि सिर्फ खतरे वाले देशों और वैक्सीन न लगवाने वालों को ही टेस्ट कराना हेागा. महाराष्ट्र ने कहा कि हम पर केंद्र की गाइडलाइन को लेकर कोई बाध्यता नहीं है. हमअपने नियम ही लागू करेंगे.
अब आते हैं नवाब मलिक के मामले पर
मुंबई नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मुंबई डिवीजन के डायरेक्टर समीर वानखेड़े की अगुवाई में एक क्रूज पर छापेमारी की गई. मादक पदार्थ जब्त करने के साथ एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान समेत कई गिरफ्तार हुए. इसके बाद ही केंद्र और महाराष्ट्र के बीच के टकराव ने बहुत तीखा मोड़ ले लिया. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने बेहद आक्रामक रुख अपनाते हुए केंद्र पर बड़े हमले बोलना शुरू किए. उनका आरोप था कि समीर वानखेड़े महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी हैंं और ड्रग्स के फर्जी मामले बनाकर ब्लैकमेल से राशि कमाते हैं. नवाब मलिक पिछले 4 महीने से वानखेड़े के बहाने केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसियों को कटघरे में रख रहे थे. अब अंडरवर्ल्ड से जुड़ाव के आरोप लगाकर ईडी ने नवाब मलिक की गिरफ्तारी की है तो केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के बीच टकराव का यह दौर कहां जाकर रुकेगा यह कोई नहीं जानता.
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