नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने आखिरकार काफी देरी और आलोचना के बाद शुक्रवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया.
मंत्रीमंडल का विस्तार लगभग तीन महीने से टल रहा था, इसलिए देउबा को आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ रहा था।
देउबा ने 13 जुलाई को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी और उन्होंने चार सदस्यीय कैबिनेट का गठन किया था। बाद में उन्होंने एक विदेश मंत्री और एक राज्य मंत्री को शामिल किया, लेकिन पांच अलग-अलग राजनीतिक दलों के सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर विवाद और असहमति के कारण, देउबा तब से मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए संघर्ष कर रहे थे।
राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री देउबा की सिफारिश के अनुसार, मंत्रिमंडल का विस्तार किया है।
देउबा ने प्रमुख मंत्रालयों को अपनी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास रखा है।
नेपाली कांग्रेस को रक्षा, गृह, विदेश मामले, सूचना और संचार, कानून, न्याय और संसदीय मामलों के विभाग मिले हैं।
संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, कैबिनेट का आकार 25 से अधिक नहीं हो सकता है। इसलिए शुक्रवार को देउबा ने नेपाली कांग्रेस के साथ ही सत्ताधारी गठबंधनों - नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत समाजवादी/यूनिफाइड सोशलिस्ट) और जनता समाजवादी पार्टी के 21 और मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया।
नए विस्तार में नेपाली कांग्रेस से पांच, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) से तीन तथा सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और जनता समाजवादी पार्टी से चार-चार मंत्री नियुक्त किए गए हैं। सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और सीपीएन (माओवादी सेंटर) को भी एक-एक राज्य मंत्री मिला है।
इससे पहले, नेपाली कांग्रेस के तीन मंत्री, माओवादी सेंटर के दो मंत्री और नेपाली कांग्रेस के एक मंत्री देउबा के मंत्रिमंडल का हिस्सा थे।
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