नोएडा (Noida Lift Accident) की पारस टिएरा (Paras Tierea) हाउसिंग सोसायटी के टावर नंबर 24 में रहने वाली 35 साल की श्वेता ने कहा कि, "मुझे अपने बच्चों और अपने परिवार की जान का डर है."
दरअसल 3 अगस्त को अपार्टमेंट की एक लिफ्ट में खराबी के कारण 73 वर्षीय महिला की मौत हो गई, जिसके बाद निवासी लिफ्ट लेने से डर रहे हैं.
3 अगस्त की शाम करीब चार बजे टावर नंबर आठ की रहने वाली शुशीला देवी ने दूसरी मंजिल पर जाने के लिए लिफ्ट ली. देवी के बेटे देवेश कुमार की शिकायत के अनुसार, लिफ्ट में कथित तौर पर खराबी आ गई और दूसरी मंजिल पर जाने के बजाय, लिफ्ट फिसल गई और टावर की 24वीं मंजिल के आसपास बीच में कहीं फंस गई.
टेक्निशियन ने महिला को लिफ्ट से निकाला गया और पास के फेलिक्स अस्पताल ले गए जहां उनकी मौत हुई.
8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज
घटना के एक दिन बाद, क्विंट हिंदी नोएडा के सेक्टर 137 में हाउसिंग सोसाइटी के निवासियों से मुलाकात करने पहुंचा और मामले की जांच कर रहे नोएडा पुलिस कर्मियों से भी बात की. यह सोसायटी नोएडा सेक्टर 142 पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आती है.
नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने क्विंट हिंदी को बताया कि, "हमने आठ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिनमें सोसायटी के अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (AOA) के चार सदस्य, सोसायटी रखरखाव एजेंसी के तीन सदस्य और लिफ्ट बनाने वाली कंपनी (Thyssenkrupp) शामिल हैं."
कुमार की शिकायत के आधार पर, सेक्टर 142 पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 ए (लापरवाही के कारण मौत) और 287 (मशीनरी के संबंध में लापरवाही) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई.
पुलिस का दावा है कि शुरुआती जांच में पता चला कि लिफ्ट का रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा था. एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमने सीसीटीवी फुटेज और लिफ्ट का वार्षिक रखरखाव अनुबंध (AMC) मांगा. निवासियों का दावा है कि एएमसी समाप्त हो गई थी और इसको रिन्यू नहीं किया गया था."
"सोसाइटी का रखरखान ठीक से नहीं किया जा रहा"
श्वेता ने क्विंट हिंदी से कहा कि, "बस सोसायटी में देखिए और आपको पता चल जाएगा कि लिफ्ट, पानी, बिजली- हम सभी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं. सोसायटी का प्रबंधन ठीक से नहीं किया जा रहा है. एक किरायेदार के रूप में यह मेरा आखिरी महीना है, मैं इस सोसायटी को छोड़ रही हूं."
श्वेता राजस्थान के जयपुर की रहने वाली हैं और इस साल जून में वह टावर नंबर 24 में रहने आई थी. घटना के बाद से टावर की दो लिफ्टों में से एक को नोएडा पुलिस ने सील कर दिया है.
"मेरा फ्लैट 20वीं मंजिल पर है. मेरे पास सीढ़ियों का उपयोग करने का विकल्प भी नहीं है."श्वेता
क्विंट हिंदी से मिले कुछ निवासियों ने दुख जताया और बताया कि वे सोसायटी से निकलने की तैयारी में हैं. गुरुग्राम में एक आईटी कंपनी में काम करने वाले सक्षम ध्यानी ने कहा कि जैसे ही उनके यहां रहने का तीन महीने का कॉन्ट्रेक्ट खत्म होगा, वैसे ही वे यहां से चले जाएंगे.
2014 से सोसायटी में रहने वाले मधुश्री नागर ने कहा कि, "सोसाइटी के हर टावर में लिफ्ट को लेकर कुछ समस्याएं हैं. स्टूडियो टावर में 607 फ्लैट हैं और वहां केवल दो लिफ्ट लगाई गई हैं."
इमारतें जर्जर हालत में हैं, प्लास्टर जगह-जगह से उखड़ रहा है. इमारतों की दीवारों में दरारें आ गई हैं और लिफ्टों के स्विच खराब हैं.
नाम न छापने की शर्त पर, लिफ्ट बनाने वाली कंपनी थिसेनक्रुप के एक वरिष्ठ इंजीनियर ने क्विंट हिंदी को बताया कि, "खराबी के कारण, टावर नंबर 24 की लिफ्ट ओवरशूट हो गई और यह फंस गई. सोसाइटी की रखरखाव टीम लिफ्ट की कार से महिला को बचाने में विफल रही है."
उन्होंने दावा किया कि सोसायटी की रखरखाव टीम जब महिला को नहीं बचा पाई, तब उन्होंने कंपनी के लोगों को बुलाया. थिसेनक्रुप के इंजीनियर ने कहा, "हमारे कंपनी के लोग सोसायटी में मौजूद थे और एक अलग टावर में काम कर रहे थे. जैसे ही मदद के लिए फोन आया वैसे ही वे उन्हें बचाने चले गए."
यह पूछे जाने पर कि लिफ्ट कैसे और क्यों खराब हुई, इंजीनियर ने क्विंट हिंदी को बताया कि, "देखिए ये मामला अब पुलिस देख रही है, हमें फिलहाल नहीं पता है कि खराबी कैसे आई."
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