देश भर के विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों को एड-टेक कंपनियों के प्रति आगाह किया गया है. यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से कहा है कि एड-टेक कंपनियों के साथ मिलकर ओपन एंड डिस्टेंस लनिर्ंग और ऑनलाइन माध्यमों से चलाए जाने वाले पाठ्यक्रमों से बचें. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी एआईसीटीई ने भी विभिन्न तकनीकी संस्थानों से इसका पालन करने को कहा है.
यूजीसी और एआईसीटीई ने विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों को तो हिदायत दी ही है लेकिन इनके साथ ही छात्रों और अभिभावकों को भी सतर्क रहने को कहा है। यूजीसी ने देशभर के छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि इस प्रकार के किसी भी पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन से पहले वेबसाइटों पर संबंधित कार्यक्रम की मान्यता के बारे में जानकारी हासिल करें. छात्रों के साथ साथ अभिभावकों को भी दाखिले से पहले ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि संबंधित पाठ्यक्रम यूजीसी से मान्यता प्राप्त है या नहीं.
एआईसीटीई ने भी अपने संबंधित संस्थानों व एड-टेक कंपनियों के मध्य फ्रेंचाइजी समझौते के प्रति सचेत किया है। वहीं यूजीसी के मुताबिक ऐसी कई जानकारी सामने आई हैं जिनके मुताबिक अनेक एड-टेक संस्थान छात्रों को प्रभावित करने के लिए लगातार मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों के नाम का सहारा ले रही हैं।
इसके लिए एड-टेक कंपनियां बकायदा मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों के नाम का इस्तेमाल करते हुए टीवी, न्यूज पेपर और सोशल मीडिया पर विज्ञापन दे रही हैं। विज्ञापन में बताया जाता है कि एड-टेक कंपनियां मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों की सांझेदारी में शैक्षणिक पाठ्यक्रम कार्यक्रम चला रही हैं। ऐसी स्थिति में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों का नाम देखकर छात्र एड-टेक कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं।
यूजीसी के सचिव सचिव रजनीश जैन ने इस संबंध में एक आधिकारिक निर्देश जारी किया है। विश्वविद्यालयों के लिए जारी किए गए निर्देश में उन्होंने कहा कि तय नियमों के मुताबिक देश के उच्च शिक्षण संस्थान फ्रेंचाइजी समझौते के अन्तर्गत ओपन एंड डिस्टेंस लनिर्ंग और ऑनलाइन माध्यमों से यह कार्यक्रम नहीं चलाएंगे।
--आईएएनएस
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