अब तक सात नाम सामने आ चुके हैं जो 2001 के संसद हमले की 22वीं बरसी के दिन बुधवार, 13 दिसंबर को लोकसभा में हुए बड़े सुरक्षा उल्लंघन (Parliament Security Breach) में शामिल थे. सागर शर्मा और मनोरंजन डी लोकसभा के अंदर और नीलम आजाद और अमोल शिंदे को संसद के बाहर से हिरासत में लिया गया है. सवाल यही है कि क्या ये सभी एक दूसरे को जानते हैं? इन्होंने इसकी योजना कैसे बनाई होगी?
संसद परिसर में आए दो प्रदर्शनकारी बाहर थे और दो अंदर, चारों एक दूसरे को जानते हैं क्योंकि जो स्प्रे इन्होंने इस्तेमाल किया वो एक जैसा था.
बाद में पुलिस को पता चला कि ये सभी सोशल मीडिया पर जुड़े हुए हैं, और एक-दूसरे को जानते हैं. इन चारों के अलावा एक और शख्स ललित झा भी जिसने नीलम और अमोल का संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन का वीडियो इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया था. पुलिस को गुरुग्राम से एक विशाल नाम के शख्स के बारे में जानकारी मिली जो घटना के समय संसद के पास तो नहीं था, लेकिन उसने पांचों को रहने के लिए जगह दी थी.
माना जा रहा है कि ललित झा ने यह वीडियो पश्चिम बंगाल में एक एनजीओ चलाने वाले एक अन्य व्यक्ति को भेजा था.
कैसे हुई संसद उल्लंघन की प्लानिंग-प्लॉटिंग?
गिरफ्तार हुए आरोपियों ने कहा कि वे किसी संगठन से नहीं जुड़े हैं और वे केवल बेरोजगारी जैसे कई मुद्दों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए संसद आए थे. लेकिन पुलिस ने कहा कि मुख्य साजिशकर्ता कोई और ही है.
जानकारी के मुताबिक उन्होंने सुरक्षा उल्लंघन से पहले संसद के बाहर रेकी की थी. सभी आरोपी सोशल मीडिया पेज भगत सिंह फैन क्लब से जुड़े हैं. सुरक्षा उल्लंघन की योजना सोशल मीडिया पर ही बनी.
करीब डेढ़ साल पहले ये सभी मैसूर में मिले थे: इस साल की शुरुआत में जुलाई में सागर ने संसद में एंट्री की कोशिश की थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया. 10 दिसंबर को ये सभी अपने-अपने राज्यों से दिल्ली पहुंचे. वे इंडिया गेट के पास जमा हुए जहां रंगीन पटाखे बांटे गए.
फरार चल रहे ललित झा को आखिरी बार राजस्थान के निमराना में ट्रेस किया गया है. सागर शर्मा और मनोरंजन ने ऑपरेशन का नेतृत्व किया और रेकी की. एनजीओ संस्थापक नीलाक्ष आइच, जिन्हें ललित झा ने घटना का वीडियो भेजा था - उसने कहा कि ललित ने कभी भी अपनी डीटेल्स नहीं बताई और कभी भी उसने अपनी जगह का भी जिक्र नहीं किया.
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