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"वे सो नहीं पा रहे": अरुणाचल के पतंजलि स्कूल में बच्चों को बुरी तरह पीटने का आरोप

Patanjali School: इस आक्रोश के जवाब में, अरुणाचल सरकार ने स्कूल को बंद करने का आदेश जारी किया है.

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न्यूज
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(चेतावनी: खबर में हिंसा और हमले का काफी ज्यादा जिक्र है, पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें.)

रोजमेरी केची (बदला हुआ नाम) ने द क्विंट को बताया "मेरा बेटा स्कूल वापस न जाने पर अड़ा हुआ है. उसे डर है कि वहां कोई और शिक्षक उसकी फिर से बुरी तरह पिटाई करेगा. उसने मुझसे कहा कि वह एक अलग स्कूल में जाना चाहता है."

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रोजमेरी का बेटा अरुणाचल प्रदेश के पक्के-केसांग जिले के सिजोसा में पतंजलि आयुर्वेद की ओर से संचालित प्राथमिक विद्यालय, आचार्यकुलम में कक्षा 1 का छात्र है. आरोप है कि सिर्फ रोजमेरी की ही बेटे से ही नहीं, कई और बच्चों से मारपीट की गई.

आचार्यकुलम में एक शिक्षक के कथित तौर पर एक बच्चे की पिटाई का वीडियो सामने आया, जिसको लेकर राज्य के लोगों में बड़े पैमाने पर आक्रोश है. स्थानीय पुलिस के अनुसार, कम से कम 20 बच्चों के साथ मारपीट किए जाने की सूचना है.

चोयांग तेनजिन (बदला हुआ नाम), जिनकी नौ साल की बेटी को भी कथित तौर पर पीटा गया. उन्होंने द क्विंट को बताया कि आरोपी शिक्षक, साध्वी देवकृति ने "उनकी बेटी को इतनी बुरी तरह पीटा कि वह अपना हाथ भी नहीं हिला पा रही है."

"मेरी बेटी की बांस की छड़ी से पिटाई हुए 4-5 दिन से ज्यादा का समय हो गए हैं, लेकिन वह अभी भी अपने हाथ को बिल्कुल भी नहीं हिला पा रही है. मेरी बेटी इस घटना से इतनी आहत है कि वह बुरे सपनों के कारण सो भी नहीं पाती है."
चोयांग तेनजिन

गोलोसो गांव में बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद के स्वामित्व वाले एक मेगा हर्बल गार्डन के अंदर स्थित स्कूल को दो साल पहले स्थापित किया गया था. बता दें कि, इस घटना के चलते स्कूल चलाने वाले पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने 10 दिसंबर को साध्वी देवकृति की सेवाएं समाप्त कर दी हैं.

साथ ही पक्के-केसांग के पुलिस अधीक्षक ताशी दरांग के अनुसार, साध्वी देवकृति के खिलाफ सिजोसा पुलिस स्टेशन में भी मामला दर्ज किया गया है और मामले की जांच की जा रही है.

उन्होंने बताया कि, "10 दिसंबर को, हमें एक माता-पिता से शिकायत मिली कि आचार्यकुलम में शिक्षक ने उनके बच्चे को बुरी तरह पीटा गया. जिसके बाद मामला दर्ज किया गया है. हमने बच्चे की मेडिकल जांच की और पाया कि चोटें गंभीर नहीं थीं."

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'प्रार्थना ठीक से न पढ़ने पर छात्रों को बुरी तरह पीटा गया'

अखिल पक्के-केसांग डिस्ट्रिक्ट स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष नबाम थॉमस ने द क्विंट को बताया कि पिछले हफ्ते 7 दिसंबर को कम से कम 20 छात्रों के साथ मारपीट किया गया था. उनका दावा है, "जहां कक्षा 1 के छात्रों को प्रार्थना ठीक से नहीं करने के लिए पीटा गया, वहीं कक्षा 2 और 3 के छात्रों को इसलिए पीटा गया क्योंकि उनकी संस्कृत ठीक नहीं थी."

इन आरोपों को लेकर द क्विंट ने आचार्यकुलम से संपर्क किया है. जब भी वे हमारे सवालों का जवाब देंगे हम इस खबर को उनकी प्रतिक्रियाओं के साथ अपडेट करेंगे.

रोजमेरी के बेटे ने उसे बताया कि प्रार्थना ठीक से नहीं पढ़ने के कारण उसे और उसके सहपाठियों को पीटा गया था. उन्होंने कहा कि, "जब मेरा बेटा उस दिन [7 दिसंबर] स्कूल से वापस आया, तो मैंने उसके पूरे शरीर पर चोट के निशान देखे. जब मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ, तो उसने मुझे बताया कि उसके स्कूल इन चार्ज ने उसके सभी सहपाठियों [उनमें से 11] को पीटा था] प्रार्थना ठीक से नहीं करने के लिए पीटा. हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं ताकि उन्हें पीटा जाए."

घटना की जांच में, अरुणाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एपीएससीपीसीआर) ने भी पाया कि स्कूल इन चार्ज, साध्वी देवकृति (जिन्हें छात्र कथित तौर पर 'माताजी' कहते हैं) ने छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया है. कक्षा 1 से 4 तक शारीरिक शोषण - और उन्हें घटना के बारे में अपने माता-पिता से बात न करने की धमकी भी दी है.
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स्कूल को किया जाएगा बंद

आक्रोश के जवाब में, अरुणाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार, 14 दिसंबर को सेइजोसा में इस स्कूल को बंद करने की अधिसूचना जारी की है.

सिजोसा के अतिरिक्त उपायुक्त टीआर टापू द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में कहा गया है कि घटना सामने आने के बाद, उन्होंने "स्कूल का दौरा किया और 10 दिसंबर को मामले के बारे में पूछताछ की."

उन्होंने बताया कि, "मामला सच पाया गया है," स्कूल "किसी भी सरकारी बोर्ड से उचित संबद्धता या पंजीकरण के बिना चलाया जा रहा था, जो कि बच्चों के नि:शुल्क अधिकार की धारा 18 के उल्लंघन के समान है."

इसमें आगे बताया गया कि, "इसलिए, जब तक मामला किसी तार्किक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच जाता या कानून के विभिन्न नियमों के तहत स्कूल चलाने के लिए कोई अन्य प्रावधान नहीं किया जाता, तब तक स्कूल बंद रहेगा."

इस बीच, ईस्टमोजो ने बताया कि साधवी देवकृति ने "संबंधित माता-पिता द्वारा दर्ज की गई लिखित शिकायत के 24 घंटों के भीतर सेइजोसा को छोड़ दिया था. सूत्रों ने यह भी बताया कि स्थानीय पुलिस ने असम-अरुणाचल सीमा पार करने में उनकी सहायता की."

बाल अधिकार निकाय ने जोर देकर कहा है कि केवल टर्मिनेशन पर्याप्त नहीं है और उसकी तत्काल गिरफ्तारी और उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की है. इसमें कहा गया है कि पैनल ने बाल अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए सरकारी और निजी दोनों शिक्षण संस्थानों के सभी कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की गहन जांच की लगातार सिफारिश की है.

पक्के-केसांग जिले की अरुणाचल प्रदेश महिला कल्याण सोसायटी की अध्यक्ष याजे नबाम ने द क्विंट से कहा, "राज्य के निजी स्कूलों में ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है. बच्चों को अनुशासित करने की जरूरत है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन इस तरह के क्रूर तरीके उपयोग नहीं किए जा सकते. इसलिए, केवल शिक्षक की सेवाओं को खत्म करना पर्याप्त नहीं है. क्या होगा अगर वह दूसरी स्कूल में जाकर भी ऐसी ही व्यवहार करे? हम चाहते हैं कि उसे गिरफ्तार किया जाए क्योंकि ऐसी घटनाएं होती रही हैं, लेकिन यह सबके सामने पहली बार आई है."

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 अरुणाचल प्रदेश में निजी स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ी'

अरुणाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य सचिव खोड़ा राखी ने द क्विंट को बताया कि राज्य में "निजी स्कूलों की अनियंत्रित वृद्धि" हुई है.

वे कहती हैं

"शिक्षा विभाग को इन निजी स्कूलों की बढ़ती संख्या पर ध्यान देना होगा और इन स्कूलों में नियमित निरीक्षण करना होगा, जिससे यह देखा जा सके कि क्या वे आरटीई [बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009] अधिनियम के अनुसार चलाए जा रहे हैं. वे अन्य विवरणों के अलावा, नए भर्ती किए गए लोगों के चरित्र और उन्होंने अपनी पिछली नौकरी क्यों छोड़ी, इसके बारे में पता लगाने की जरूरत है,"

"एक शिक्षक को बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार होने से पहले प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. हमें शिक्षकों के बारे में शिकायतें मिली हैं कि उन पर जरूरत से ज्यादा काम का बोझ डाला जाता है - और फिर वे अपना तनाव बच्चों पर निकालते हैं."
खोड़ा राखी, सदस्य सचिव, अरुणाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग

नामांकन और निजी स्कूलों के प्रति अभिभावकों के दृष्टिकोण को लेकर हालिया में किए गए अध्ययन में पाया गया कि निजी स्कूल "अरुणाचल प्रदेश के राजधानी परिसर में तेजी से बढ़ रहे हैं, जो दर्शाता है कि इसकी मांग बढ़ रही है."

अध्ययन में पाया गया कि कई अभिभावकों का यह भी मानना ​​है कि निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों की तुलना में अधिक सुविधाएं, बेहतर शिक्षण स्टाफ और बुनियादी ढांचा है.

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