प्लास्टिक की बोतल (Plastic Bottle) से पानी पीने को सभी स्वस्थ मानते हैं, वे मानते हैं कि प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी साफ और सुरक्षित होता है, लेकिन ये बात पूरी तरह से सही नहीं है. प्लास्टिक बोतल में बंद पानी न केवल पर्यावरण या पशु-पक्षियों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि आपकी सेहत को भी इससे नुकसान पहुंचता है.
प्लास्टिक बोतल में बंद पानी हार्ट के लिए खराब, इम्यूनिटी पर भी पड़ता है असर
1. भारत सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री
पीटीआई के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि, "भारत सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है और पिछले पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है."
"प्लास्टिक पर्यावरणीय मुद्दों में से सबसे अहम मुद्दा बन गया है जिसका हम आज सामना कर रहे हैं. प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पारिस्थितिक तंत्र पर गहरा असर डाल रहा है और इससे वायु प्रदूषण भी बढ़ता है."
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादवरॉयटर्स के अनुसार हर दस मिनट में 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें बिकती हैं.
Expand2. हार्वर्ड की रिसर्च क्या कहती है?
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च के अनुसार जो प्लास्टिक की बोतल पोलिकार्बोनेट से बनी होती है और अगर उससे कोई पानी पीता है तो उनके मूत्र (यूरिन) में एक खास किस्म के केमिकल्स की मात्रा ज्यादा होती है जिसका नाम है बिसफेनल ए (bisphenol A - BPA). यह केमिकल हानिकारक होता है.
इसकी वजह से हार्ट और डाइबिटीज की समस्या बढ़ सकती है.
Expand3. क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
वेदांम्रित की डॉ वैशाली शुक्ला बताती हैं, जब भी प्लीस्टिक की बोतल हीट के संपर्क में आती है तो यह पानी में माइक्रो प्लास्टिक्स छोड़ती है जो मानव शरीर के लिए हानिकारक है. यह हार्मोनल इंबैलेंस, लिवर की समस्या और इंफर्टिलिटी को बढ़ावा देती है.
वो कहती हैं जब तक बहुत आवश्यक ना हो तब तक प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल न करे, इसकी बजाय अन्य विकल्प देखें. एक प्लास्टिक की बोतल पर्यावरण में हजारों सालों तक रहती है.
Expand4. प्लास्टिक की बोतल के अलावा क्या विकल्प हैं?
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में रेडियोलॉजी और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट के एचओडी डॉ विमल सोमेश्वर ने कहा कि, प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने वालों में हार्मोनल गड़बड़ी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. पुरुषों में इससे शुक्राणुओं (स्पर्म) की संख्या कम हो सकती है और लड़कियों में इंफर्टिलिटी बढ़ सकती है.
वे आगे कहते हैं कि, यहां तक कि बोतलबंद पानी पीने वाले लोगों में लीवर और ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना भी अधिक होती है. यह इम्यूनिटी सिस्टम पर भी हमला करता है. समय आ गया है कि हम हमें तांबे के बने कंटेनर और कांच की बोतलों में बंद पानी पीएं.
डॉ विमल सोमेश्वर(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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भारत सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री
पीटीआई के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि, "भारत सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है और पिछले पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है."
"प्लास्टिक पर्यावरणीय मुद्दों में से सबसे अहम मुद्दा बन गया है जिसका हम आज सामना कर रहे हैं. प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पारिस्थितिक तंत्र पर गहरा असर डाल रहा है और इससे वायु प्रदूषण भी बढ़ता है."केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव
रॉयटर्स के अनुसार हर दस मिनट में 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें बिकती हैं.
हार्वर्ड की रिसर्च क्या कहती है?
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च के अनुसार जो प्लास्टिक की बोतल पोलिकार्बोनेट से बनी होती है और अगर उससे कोई पानी पीता है तो उनके मूत्र (यूरिन) में एक खास किस्म के केमिकल्स की मात्रा ज्यादा होती है जिसका नाम है बिसफेनल ए (bisphenol A - BPA). यह केमिकल हानिकारक होता है.
इसकी वजह से हार्ट और डाइबिटीज की समस्या बढ़ सकती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
वेदांम्रित की डॉ वैशाली शुक्ला बताती हैं, जब भी प्लीस्टिक की बोतल हीट के संपर्क में आती है तो यह पानी में माइक्रो प्लास्टिक्स छोड़ती है जो मानव शरीर के लिए हानिकारक है. यह हार्मोनल इंबैलेंस, लिवर की समस्या और इंफर्टिलिटी को बढ़ावा देती है.
वो कहती हैं जब तक बहुत आवश्यक ना हो तब तक प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल न करे, इसकी बजाय अन्य विकल्प देखें. एक प्लास्टिक की बोतल पर्यावरण में हजारों सालों तक रहती है.
प्लास्टिक की बोतल के अलावा क्या विकल्प हैं?
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में रेडियोलॉजी और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट के एचओडी डॉ विमल सोमेश्वर ने कहा कि, प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने वालों में हार्मोनल गड़बड़ी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. पुरुषों में इससे शुक्राणुओं (स्पर्म) की संख्या कम हो सकती है और लड़कियों में इंफर्टिलिटी बढ़ सकती है.
वे आगे कहते हैं कि, यहां तक कि बोतलबंद पानी पीने वाले लोगों में लीवर और ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना भी अधिक होती है. यह इम्यूनिटी सिस्टम पर भी हमला करता है. समय आ गया है कि हम हमें तांबे के बने कंटेनर और कांच की बोतलों में बंद पानी पीएं.डॉ विमल सोमेश्वर
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)