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2014 के बाद पहली बार लोकसभा में BJP की सीटें घटकर 272 रह गईं

2014 से लेकर अबतक हुए लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी गंवाती जा रही है अपनी सीटें, यहां है पूरा ब्योरा

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2014 के बाद ऐसा पहली बार है, जब लोकसभा में बीजेपी की सीटें घटकर 272 रह गईं. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 282 सीटें हासिल हुई थीं. ये सीटें कम कैसे होती जा रही हैं? इसका बड़ा कारण ये है कि उपचुनाव में बीजेपी अपनी कई सीटों को बचाने में नाकाम रही है. साल 2014 से अब तक हुए उपचुनाव में बीजेपी अपनी सिर्फ 4 ही सीटें बचा पाई है. रतलाम, गुरदासपुर, अलवर, अजमेर, फूलपुर, गोरखपुर में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है.

दूसरी तरफ बीजेपी ने अपने सांसद कीर्ति आजाद को सस्पेंड कर दिया है. एक और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा बागी तेवर अख्तियार किए हुए हैं. ऐसे में तकनीकी तौर पर तो बीेजेपी बहुमत के आंकड़े से पीछे नजर आ रही है.

हालांकि, 272 सीटों के बावजूद बीजेपी केंद्र की सत्ता में अब भी मजबूत है. दिक्कत ये है कि उसकी निर्भरता एनडीए गठबंधन के सहयोगियों पर बढ़ गई है. हाल ही में बीजेपी के नेता बीएस येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था. इसके कारण पार्टी की सीटें घटकर 272 पर आ गई हैं.

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2014 के बाद से अब तक हुए उपचुनावों में BJP का परफॉर्मेंस कैसा रहा, डालते हैं एक नजर:

इसी साल मार्च में यूपी के गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली थी. इस हार के मायने कुछ अलग थे, क्योंकि दोनों सीटों पर सालों तक दुश्मन रही एसपी-बीएसपी ने मिलकर बीजेपी के साथ मुकाबला किया था. सत्ता विरोधी लहर कहें या विपक्ष की रणनीति, 2014 के बाद से ही कई उपचुनाव में बीजेपी को हार मिली है.

2014 में मोदी 'लहर' की बात की जा रही थी. ऐसे में 2014 में हुए बीड और नरेंद्र मोदी की सीट वडोदरा में बीजेपी ने करीब 7 लाख और 3 लाख वोटों से उप चुनाव जीता. 2015 में इस 'लहर' के रास्ते में रुकावट एमपी के रतलाम सीट पर आई और बीजेपी ने वो सीट कांग्रेस के हाथों गंवा दी. साल 2017 और 2018 में हुए 3 लोकसभा उपचुनाव में इस लहर की रफ्तार कुंद पड़ी और बीजेपी ने गुरदासपुर, अलवर, अजमेर, गोरखपुर, फूलपुर सीटें गंवा दीं.

2014 में बीजेपी की जीती हुई 11 सीटें फिलहाल उसके हाथ में नहीं हैं. ये रही वो सीटें:

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कैराना, गोंदिया-भंडारा, पालघर में है उपचुनाव

फिलहाल, पार्टी के पास कैराना, गोंदिया-भंडारा, पालघर में अपनी सीटें बचाने की चुनौती है. बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद से कैराना लोकसभा की सीट खाली है. भंडारा-गोंदिया सीट से पिछले साल बीजेपी के नाना पटोले ने इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वहीं बीजेपी सांसद चिंतामणि वनगा के निधन के बाद पालघर सीट खाली हो गई.

इन तीनों सीटों पर बीजेपी को कड़ी टक्कर का सामना करना होगा. कैराना में बीजेपी के सामने आरएलडी-एसपी गठबंधन समेत पूरे विपक्ष की चुनौती है. पालघर में उसे शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी का सामना करना है.

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