आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) को संसद के मॉनसून सत्र से बचे हुए समय के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने ये कार्रवाई केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद पीयूष गोयल की शिकायत पर की. सांसद पीयूष गोयल ने कहा था कि सरकार चर्चा को तैयार है फिर भी सदन की कार्यवाही बाधित की जा रही है.
राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संजय सिंह ने बार बार मना करने के बाद भी सदन की कार्यवाही को बाधित की. इसलिए उन्हें पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित किया जाता है.
राज्यसभा में क्या हुआ?
दरअसल, सोमवार, 24 जुलाई को जब दूसरी बार जब राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो AAP सांसद संजय सिंह मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए वेल में पहुंच गए. सभापति की ओर से लगातार चेतावनी के बावजूद संजय सिंह नहीं माने और नारेबाजी करते रहे.
इस पर बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने कहा, "संजय सिंह का आचरण नियमों के खिलाफ है, मैं चेयर से अनुरोध करता हूं कि संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई करें."
इसके बाद सभापति ने सदन में मौजूद सांसदों से ध्वनिमत के जरिए सहमति ली और संजय सिंह को मॉनसून सत्र के बचे हुए समय के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया. बता दें कि, संजय सिंह समेत विपक्षी दल के नेता मणिपुर के मुद्दे पर पीएम मोदी के संसद में बयान दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
संजय सिंह ने निलंबन पर क्या बोले अन्य नेता?
संजय सिंह के निलंबन पर के विरोध में राज्यसभा में बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक से सभी विपक्षी दलों ने वॉकआउट कर दिया. आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, "सच की आवाज उठाते हुए संजय सिंह निलंबित हुए हैं, तो हमें कोई दुख नहीं, हमारी लीगल टीम देखेगी कि आगे इसपर क्या किया जा सकता है."
"यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यसभा सभापति ने संजय सिंह को निलंबित कर दिया. यह सही नहीं है, यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है. सदन स्थगित होने के बाद, हम सभापति के पास गए और उनसे इस निलंबन को रद्द करने का अनुरोध किया. यहां तक कि बीएसी की बैठक के दौरान भी, हम सभी बाहर चले गए क्योंकि हमारी बात बिल्कुल नहीं सुनी जा रही थी. सभापति को सांसदों से बात करनी चाहिए और स्वस्थ चर्चा करनी चाहिए."राघव चड्ढा, AAP सांसद
बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि, "आज AAP सांसद संजय सिंह ने जिस प्रकार हंगामा शुरु किया कि मजबूरन सदन को उनको निष्कासित करना पड़ा है. जब सरकार चर्चा के लिए तैयार है तो फिर ये (विपक्ष) सदन को क्यों नहीं चलने दे रहे."
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