एनसीपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार को सिंचाई घोटाले में बड़ी राहत मिली है. नागपुर एसीबी के डीजी ने एफिडेविट दायर कर लिखा है की ये प्रशासनिक लापरवाही है. इस पर महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपने उसी साथी पर निशाना साधा है जिसके साथ वो पिछले दिनों शपथ लेते नजर आए थे. फडणवीस ने पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि सोची समझी रणनीती के तहत अजित पवार को क्लीनचिट देने का काम चल रहा है.
ABC नागपुर और अमरावती ने 159 टेंडरों की जांच की जिसमें अजित पवार पर लगाए गए आरोपों को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं. इसलिए अजित पवार पर कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है.
अजित पवार को मिली इस क्लीन चिट को लेकर कुछ ही हफ्तों पहले पवार को अपनी सरकार का डिप्टी सीएम बनाकर शपथ दिलाने वाले देवेंद्र फडणवीस ने अपना पुराना रुख इख्तियार करते हुए कहा,
“बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सिंचाई घोटाले मामले आज जो एफिडेविट ACB ने दायर किया है उसे हम खारिज करते हैं. इस एफिडेविट के जरिये मंत्री को बचाने की कोशिश चल रही है और पूरी जिम्मेदारी सेक्रेटरी पर डालने की कोशिश है.”
ACB ने दिया काफी बेसिक एफिडेविट
फडणवीस ने कहा कि 2018 में जो एफिडेविट ACB ने दिया था उसे नकारते हुए जो बातें आज के एफिडेविट में कही गई हैं, वो काफी संक्षिप्त हैं. उसके लिए कोई भी अविडेंस नहीं दिया गया है जो 2018 में ACB के DG ने कहा था. काफी बेसिक एफिडेविट दिया गया है. फडवीस ने आगे कहा, मुझे ऐसा लगता है की कोर्ट इसे मान्य नहीं करेगा, जरूरत पड़ी तो हम भी इस मामले में कोर्ट में बात रखेंगे और जिस तरह से अजित पवार को क्लीन चिट देने का खेल चल रहा है ये सोची समझी रणनीती के तहत हो रहा है.
क्या था पूरा मामला
दरअसल महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच अचानक देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार सुबह-सुबह शपथ लेते नजर आए. पता चला कि अजित पवार ने एनसीपी से पूछे बिना ही बीजेपी को सपोर्ट करने का प्लान बनाया है. लेकिन विधायकों की जरूरत पड़ने पर वो उन्हें बीजेपी के पाले में नहीं ला पाए. लेकिन बीजेपी के साथ आते ही अजित पवार को विदर्भ क्षेत्र सिंचाई परियोजना घोटाला मामले में क्लीन चिट की खबर सामने आई.
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में एसीबी ने एफिडेविट दायर किया. इसमें कहा गया कि विदर्भ क्षेत्र सिंचाई परियोजना में कथित अनियमिताओं के लिए अजित पवार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. उद्धव ठाकरे की सरकार के शपथग्रहण समारोह से एक दिन पहले याने 27 नवंबर को एसीबी ने नागपुर खंडपीठ को ये जानकारी दी थी.
इससे पहले महाराष्ट्र में अचानक जब देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने शपथ ली थी, उस वक्त एसीबी की एक चिट्टी सामने आई थी, जिसमें एसीबी ने सिंचाई घोटाले में कई प्रोजेक्ट्स की फाइल बंद करने के बारे में कहा गया था.
जैसे ही इसका संबंध अजित पवार से जोड़ा गया तो तुरंत एसीबी के डीजी परमबीर सींग ने प्रेस में ये बात साफ की थी कि जिन 9 प्रोजेक्ट की जांच पूरी हुई है उसका अजित पवार से कोई लेना देना नहीं है.
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