मोदी सरकार की सत्ता में वापसी के साथ ही अमेरिका की टाइम मैगजीन ने यू-टर्न ले लिया है. पीएम मोदी को डिवाइडर इन चीफ बताने वाली टाइम मैगजीन ने अब उन्हें भारत को एकजुट करने वाला बताया है. टाइम ने अपनी वेबसाइट पर दी गई हेडलाइन में लिखा है- 'मोदी ने भारत को इतना एकजुट किया, जितना दशकों में कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया.'
इस आर्टिकल में एक सवाल पूछा गया है कि, “कैसे यह कथित विभाजनकारी शख्सियत न केवल सत्ता में कायम रह पाया है, बल्कि उसके समर्थक और भी ज्यादा बढ़ गए हैं?” और, इस प्रश्न के जवाब में कहा गया है, एक प्रमुख कारण यह रहा है कि मोदी भारत की सबसे बड़ी कमी यानि जातिगत भेदभाव को पार करने में कामयाब रहे हैं
मोदी ने गरीबों से खुद को जोड़ा
इस आर्टिकल को मनोज लाडवा ने लिखा है. उन्होंने मोदी के दोबारा उभरने का श्रेय उनके पिछड़ी जाति में पैदा होने को दिया है. इस आर्टिकल में उन्होंने लिखा है, 'नरेंद्र मोदी का जन्म भारत के सबसे वंचित सामाजिक समूहों में से एक में हुआ था. उन्होंने देश के कामगारों और गरीबों से खुद को सीधे जोड़कर अपनी एक नई पहचान बनाई. जो आजादी के बाद 72 सालों में सबसे ज्यादा समय भारत की सत्ता पर रहने वाला नेहरू-गांधी परिवार कभी नहीं कर पाया.
मोदी की नीतियों के खिलाफ कड़ी और अलग-अलग तरह की आलोचनाओं के बावजूद, पिछले पांच दशकों में कोई भी प्रधानमंत्री भारत के वोटर्स को इतना एकजुट नहीं कर पाया, जितना उन्होंने किया है. लाडवा इंडिया ग्लोबल बिजनेस प्रकाशित करने वाली ब्रिटेन की मीडिया कंपनी इंडिया इंक के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं.
भारत को गरीबी ने निकालने का किया काम
टाइम मैगजीन के इस नए आर्टिकल में लिखा गया है कि "सामाजिक रूप से विकासशील नीतियों के जरिए पीएम मोदी ने कई भारतीयों- हिंदू और धार्मिक अल्पसंख्यक दोनों - को किसी भी पिछली सरकार की तुलना में गरीबी से तेज रफ्तार से बाहर निकाला है. हालांकि पहले इसी मैगजीन के पहले आर्टिकल में लिखा गया था कि पीएम मोदी ने इन पांच सालों में सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश की.
चुनाव के दौरान बताया था 'डिवाइडर इन चीफ'
टाइम मैगजीन ने अपने कवर पेज पर लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी की फोटो के साथ एक हेडलाइन लगाई थी. जिसकी काफी चर्चा हुई. इस हेडलाइन में पीएम मोदी को इंडियाज डिवाइडर इन चीफ (भारत का विभाजनकारी मुखिया) बताया गया. आर्टिकल में पीएम मोदी पर देश के फाउंडिंग फादर्स और बड़े पदों पर रहने वाले लोगों पर भी हमला बोलने का आरोप लगाया गया था. इसमें लिखा था, मोदी की जीत के बाद एक शक पैदा हुआ, जब उन्होंने कई सम्मानित लोगों पर हमला बोलना शुरू किया. उन्होंने नेहरूवाद और समाजवादी विचारधारा पर हमला बोला. इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस मुक्त भारत की भी बात की.
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