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जगनमोहन से नवीन तक,बड़ी जीत के बाद भी BJP क्यों तलाश रही सहयोगी? 

इन राज्यों में अभी भी बीजेपी को है सहयोगियों की जरूरत

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दिल्ली में रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी और YSRCP चीफ जगन मोहन रेड्डी के बीच हुई मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. इस मुलाकात को बीजेपी की उस कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है, जिसके तहत वह एनडीए की पार्टियों के अलावा नए सहयोगियों को तलाश रही है.

तो क्या वाकई बीजेपी इन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है? अगर ऐसा है तो क्यों? क्यों लोकसभा चुनाव में इतनी बड़ी जीत के बाद भी बीजेपी को नए साथियों की जरूरत पड़ रही है?

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राज्यसभा में बहुमत से काफी पीछे है बीजेपी

संसद के निचले सदन लोकसभा में भले ही बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत हो, लेकिन इस मामले में वह ऊपरी सदन राज्यसभा में काफी पीछे है. 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में बीजेपी के 73 सदस्य हैं. बात एनडीए की करें तो यह संख्या 102 तक पहुंच जाती है. ऐसे में अभी भी अहम बिलों को पास कराने के लिए बीजेपी को राज्यसभा में और सहियोगियों की जरूरत है.

अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए बीजेपी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) और बीजू जनता दल (BJD) जैसे दलों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में जुटी है. पिछले कुछ समय में बीजेपी की इन कोशिशों की स्क्रिप्ट का कुछ हिस्सा खुले तौर पर भी दिखा है.

बीते दिनों फानी प्रभावित ओडिशा के दौरे पर गए पीएम मोदी ने वहां के मुख्यमंत्री और BJD चीफ नवीन पटनायक के काम की तारीफ की थी. इसके बाद पीएम मोदी ने 23 मई को ट्वीट कर नवीन पटनायक को ओडिशा और जगनमोहन रेड्डी को आंध्र प्रदेश में उनकी जीत की बधाई दी थी. उन्होंने इन दोनों नेताओं को मुख्यमंत्री के तौर पर उनके आगामी कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं भी दी थीं.

BJD और YSRCP को लेकर BJP के सामने ये पेंच

नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी लोकसभा चुनाव से पहले ही अपने राज्यों के लिए विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं. ये दोनों नेता अभी भी अपनी इस मांग पर बने हुए हैं. BJD ने हाल ही कहा था कि ओडिशा को विशेष दर्जा देने सहित जो भी राज्य की परेशानियों को समझेगा, पार्टी उसका समर्थन करेगी. इस दौरान पार्टी ने एनडीए सरकार को समर्थन देने के भी संकेत दिए थे.

बात YSRCP की करें तो उसके नेता जगन मोहन रेड्डी रविवार को दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिले. पीएम मोदी से मुलाकात से पहले जगन मोहन ने कहा था, ''विशेष दर्जे के लिए हमारी मांग जारी रहेगी. मैं इसे लेकर पीएम मोदी से भी मिलूंगा.''

हालांकि रविवार को पीएम मोदी के साथ मुलाकात के बाद जगन मोहन का रुख नरम दिखा. उन्होंने कहा, ‘’अगर बीजेपी 250 सीटों तक ही सिमट जाती तो हम केंद्र सरकार पर ज्यादा निर्भर नहीं रहते. मगर अभी उसे हमारी जरूरत नहीं है. हम जो कर सकते थे, वो हमने किया और पीएम को अपनी स्थिति के बारे में बताया.’’

न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पीएम मोदी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान जगन मोहन ने मोदी सरकार को बाहरी या मुद्दों पर आधारित समर्थन देने को लेकर भी चर्चा की. ऐसे में आने वाले वक्त में यह देखना दिलचस्प होगा कि BJP अपनी अगुवाई वाली केंद्र सरकार में BJD और YSRCP का समर्थन हासिल कर पाती है या नहीं.

कई राज्यों में भी BJP को सहयोगियों की जरूरत

पिछले कुछ समय में देश के कई राज्यों में बीजेपी का विस्तार हुआ है. इसके बाद भी कई ऐसे राज्य हैं, जहां सरकार चलाने के लिए उसे सहयोगियों की जरूरत है. इन राज्यों में बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब और पूर्वोत्तर के राज्य शामिल हैं.

बीजेपी सहयोगियों की अहमियत किस तरह समझ रही है, इसे बिहार के उदाहरण से समझते हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बिहार की 40 में से 22 सीटों को अपने नाम किया था, मगर इस चुनाव में वह 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ी. बीजेपी ने सीटों की यह कुर्बानी जेडीयू के लिए दी. दरअसल उसे पता है कि बिहार में सरकार चलाने के लिए उसे आज भी जेडीयू की जरूरत है.

इसी तरह बीजेपी महाराष्ट्र में शिवसेना, पंजाब में अकाली दल और पूर्वोत्तर में नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस की पार्टियों की अहमियत भी समझती है.

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