यूपी की अखिलेश सरकार ने बेरोजगारी भत्ते के तौर पर 20.58 करोड़ रुपये बांटने के लिए कार्यक्रम के आयोजन पर ही 15.06 करोड़ रुपये खर्च किए थे. ये खुलासा 18 मई को यूपी विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट से हुआ है.
रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि सरकार चाहती, तो इन खर्चों को रोक सकती थी, क्योंकि इस योजना के तहत दी गई राशि को डायरेक्ट लाभार्थियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए जाने का प्रावधान था.
कैग की ‘जनरल एंड सोशल सेक्टर’ रिपोर्ट के मुताबिक, अखिलेश सरकार ने 2012-13 में बेरोजगारी भत्ता वितरण के लिए आयोजित किए गए कार्यक्रमों में 8.07 करोड़ रुपये कुर्सियों, नाश्ते-पानी और दूसरे इंतजामों पर खर्च किए.
1.26 लाख बेरोजगारों को बांटे गए थे चेक
6.99 करोड़ रुपये लाभार्थियों को कार्यक्रम स्थल तक लाने में खर्च हुए. कार्यक्रम में 1.26 लाख बेरोजगार लोगों को भत्ते का चेक दिया गया. कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि 'बेरोजगारी भत्ता योजना' के राज्य के 69 जिलों के लाभार्थियों को पैसा सीधे उनके बैंक अकाउंट में भेजा जाना था. इसलिए चेक बांटने के लिए कार्यक्रम को टालकर इस खर्च से बचा जा सकता था.
2012 में योजना की शुरुआत
इस योजना की शुरुआत मई 2012 में हुई थी और नियम के अनुसार हर तिमाही भत्ते का भुगतान लाभार्थियों के सरकारी या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के बचत खातों में किया जाना था.
इस योजना के तहत 30 से 40 साल की उम्र वाले हाईस्कूल पास बेरोजगारों को एक हजार रुपये दिए जाते थे. इस योजना का लाभ पाने के लिए उत्तर प्रदेश का नागरिक होना और सालाना पारिवारिक आय 36 हजार रुपये से कम होने की शर्त थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)