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देवेंद्र फडणवीस की 'जलयुक्त शिवार' योजना पर भ्रष्टाचार के आरोप, होगी जांच

Devendra Fadnavis ने भी जांच का स्वागत करते हुए एमवीए सरकार के चुनौती को स्वीकार किया है.

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महाराष्ट्र विधानसभा के विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) महाविकास अघाड़ी सरकार के निशाने पर हैं. फडणवीस के कार्यकाल में शुरू हुए जलसंरक्षण योजना 'जलयुक्त शिवार' में भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे है. जिसके चलते सरकारी कमेटी ने जलयुक्त शिवार के तहत 900 निर्माण कार्यों में कथित घोटाले की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा जांच की शिफारिश की है. फडणवीस ने भी जांच का स्वागत करते हुए एमवीए सरकार के चुनौती को स्वीकार किया है.

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जांच की राजनीति?

बता दें कि महाराष्ट्र में एमवीए सरकार पर कई मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे है. सरकार के मंत्री और नेता केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर है. ऐसे में एमवीए के नेताओं ने इन केंद्रीय एजंसियों का दुरुपयोग किए जाने कई बार आरोप किए है. लेकिन अब एमवीए सरकार भी इसका जवाब पत्थर से देने की तैयारी में दिख रही है. इसीलिए एमवीए सरकार सीधे देवेंद्र फडणवीस की महत्वाकांक्षी योजना जलयुक्त शिवार की खुली जांच करने की तैयारी में है.

वरिष्ठ पत्रकार संजय जोग का कहना है कि, आए दिन एमवीए सरकार गिरने की चर्चा के बीच फडणवीस की एसीबी द्वारा जांच लगाकर सरकार में शामिल तीनों पार्टियां इशारा दे रही है कि वो बीजेपी के खिलाफ संघर्ष के लिए तैयार है.

साथ ही जिस तरह कांग्रेस - एनसीपी की सरकार में इरिगेशन स्कैम के मुद्दे पर अजित पवार और एनसीपी को बदनाम किया गया उसी तरह अब एमवीए सरकार शिवार योजना में कथित घोटाले की जांच का इस्तेमाल फडणवीस की इमेज को धक्का पहुंचाने के लिए कर सकती है. लेकिन इस जांच को लेकर सरकार किस हद तक जाएगी इसपर बहुत कुछ निर्भर करता है.

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जलयुक्त शिवार की दो सिरे से जांच हो रही है. सरकार ने इस मामले में पहले विभागीय जांच के आदेश दिए थे, जिसमें योजना के काम मे गड़बड़ी, टेंडरिंग और प्रशासनिक दिशा-निर्देशों के उल्लंघन को लेकर जांच होगी, जिसमे अधिकारियों पर गांज गिर सकती है.

लेकिन कमेटी के सिफारिश से होने वाली एसीबी जांच में वित्तीय अनियमतता और भ्रष्टाचार की जांच हो सकती है. जिसमे खुली जांच में योजना से जुड़े किसी को भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या इस जांच को एमवीए हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है.

योजना में अनियमत्ता के क्या है आरोप?

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार के बाद एमवीए सरकार ने जलयुक्त शिवार योजना में आ रही शिकायतों को गंभीरता से लिया. सीएम उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में ऑक्टोबर 2019 की कैबिनेट की बैठक में शिवार योजना में हुए कथित अनियमतता के खुले जांच की मांग उठी. जिसके बाद रिटायर्ड अधिकारी विजय कुमार की अध्यक्षता में समिति गठित हुई. इस समिति ने हाल ही में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कुल 900 निर्माण कार्यों की एसीबी द्वारा खुले जांच की सिफारिश की गई है.

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इससे पहले कैग ने भी जलयुक्त शिवार योजना के तहत हुए कामों पर आपत्ति जताई थी. कैग के मुताबिक इस योजना पर तकरीबन 9 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद योजना के उद्देश्य के हिसाब से भूजल स्तर नही बढ़ाया जा सका. साथ ही इस योजना के प्रबंधन में पारदर्शिता नही थी. कई गावों में ये योजना सिर्फ कागज पर थी, लेकिन उसे जमीन पर कार्यान्वित नही किया गया.

हालांकि देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया है कि वो किसी भी जांच के लिए तैयार है. 6.50 लाख निर्माण कार्यों में 900 कामों की जांच कोई बड़ी बात नही है. बल्कि इस योजना में बाधा ना आए, इसलिए फंडिंग से लेकर प्रबंधन तक सभी काम के अधिकार जिलाधिकारी को दिए गए थे. साथ ही योजना में भ्रष्टाचार की शिकायतें आने पर मैने खुद इसके जांच के आदेश दिए थे, जिसमे 600 से अधिक कामों की जांच हो चुकी हैं.

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क्या है जलयुक्त शिवार योजना?

2015 को पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने जलयुक्त शिवार योजना का ऐलान किया था. महाराष्ट्र के पाच हजार सूखा ग्रस्त गावों में जलसंरक्षण और प्रबंधन के जरिये सूखा मुक्त करने के उद्देश्य से इस योजना को शुरू किया गया था. जिन क्षेत्रों में कम बारिश और पानी के स्तर में गिरावट की समस्या से किसान पीड़ित है ऐसे 25 हजार गावों में अगले पांच सालों में पानी पहुंचाने का सरकार का प्लान था.

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