केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने 7 अप्रैल जो सुझाव दिया कि भारत में विभिन्न राज्यों के लोगों को अंग्रेजी की जगह एक-दूसरे के साथ हिंदी में बातचीत करनी चाहिए. अब इसपर कर्नाटक से लेकर बंगाल तक विवाद खड़ा हो गया है. इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल त्यागराजन ने कहा है कि अमित शाह की टिप्पणी पूरी तरह से तर्क से परे है और हिंदी देश के कम से कम 60%-70% लोगों के लिए मूल भाषा नहीं है.
7 अप्रैल को संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि जब अलग-अलग राज्यों के नागरिक एक-दूसरे से बात करते हैं तो "यह भारत की भाषा में होनी चाहिए".
गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने "9वीं क्लास तक के छात्रों के लिए हिंदी की प्रारंभिक शिक्षा और हिंदी शिक्षण परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया था. लेकिन तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि
" तीन भाषा का फॉर्मूला क्यों होना चाहिए? इसका कोई मतलब नहीं है... केंद्रीय मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पूरी तरह से तर्कहीन है. हिंदी देश के कम से कम 60%-70% लोगों के लिए पहली भाषा नहीं है...न अराजकतावाद के साथ-साथ आर्थिक रूप से उलटा तर्क भी है"
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है और हम इसे कभी नहीं होने देंगे- सिद्धारमैया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक ट्वीट में कहा, इतिहास स्पष्ट रूप से बताता है कि अन्य राज्यों में हिंदी को थोपने का कोई भी प्रयास अच्छा नहीं रहा है.
"हमें कन्नड़ पहचान पर गर्व है और हम मानते हैं कि कर्नाटक, जैसा कि हमारे कवि कुवेम्पु ने कहा है, भरत की बेटी है"
एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि "अमित शाह की जड़ें वहीं से हैं जहां गांधी पैदा हुए थे, लेकिन वो व्यवहार सावरकर की तरह करते हैं. गांधी ने जहां भाषाई विविधता की वकालत की वहीं सावरकर ने ब्रिटिश 'फूट डालो और राज करो' की मदद के लिए हिंदी का इस्तेमाल किया"
देश के लोग ऐसी बात को कभी स्वीकार नहीं करेंगे- सौगत रॉय
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा कि अगर अमित शाह और बीजेपी गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश करते हैं, तो इसका विरोध किया जाएगा. इतनी विविधता वाले इस देश के लोग ऐसी बात को कभी स्वीकार नहीं करेंगे.
साथ ही तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि "हम हिंदी का सम्मान करते हैं लेकिन हिंदी थोपने का विरोध कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जाता है. भाषा के मुद्दे पर सरकार को यथास्थिति बनाए रखनी चाहिए."
"भारत में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग भाषाएं हैं. अमित शाह को अपनी कही गई बातों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में थोपने के बजाय केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम क्यों नहीं करती है?"कुणाल घोष, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता
इस मुद्दे पर बोलते हुए शिवसेना नेता मनीषा कायंडे ने कहा कि "अमित शाह ने जो कहा है, उसमें क्षेत्रीय भाषाओं और पार्टियों के मूल्य को कम करने का एक एजेंडा लगता है"
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