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Amritpal Singh गिरफ्तार या फरार?ऑपरेशन अमृतपाल में पंजाब पुलिस ने ऐसे बिछाया जाल

Amritpal Singh Crackdown: 5 चीजें जो हम अब तक जानते हैं और आगे क्या हो सकता है?

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पंजाब पुलिस (Punjab Police) का दावा है कि 'वारिस पंजाब दे' के मुखिया अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) की तलाश 20 मार्च को भी जारी है. इस बीच उसके चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. बड़ा सवाल अब भी बाकी है, कि अमृतपाल सिंह कहां है? आइए जानते हैं इस मामले से जुड़ी अहम चीजें और यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि इस केस में आगे क्या हो सकता है.

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1. रविवार रात तक 112 गिरफ्तारियां

पंजाब पुलिस द्वारा जारी की गई एक प्रेस नोट के मुताबिक 19 मार्च को 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इससे पहले 78 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिससे गिरफ्तारी की कुल संख्या 112 हो गई.

पुलिस ने यह भी कहा कि उसने जालंधर जिले के मेहतपुर गांव से एक इसुजु (ISUZU) वाहन बरामद किया है. वाहन का इस्तेमाल कथित तौर पर अमृतपाल सिंह करता था. पुलिस का कहना है कि छोड़े गए वाहन में .315 बोर की राइफल, 57 जिंदा कारतूस और एक वॉकी टॉकी था.

बता दें कि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि गिरफ्तार किए गए 112 लोगों में कितने लोग 'वारिस पंजाब दे' से जुड़े हुए हैं.

गिरफ्तार किए गए लोगों में शिरोमणि अकाली दल के अमृतसर के हरपाल सिंह बलेर और कृषि कार्यकर्ता नवदीप जलबेरा शामिल हैं. जिनका निजी संबंध अमृतपाल सिंह से अभी स्पष्ट नहीं हो सका है.

अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर ने सोमवार तड़के सरेंडर कर दिया. फिर एक्टर दलजीत सिंह कलसी और अमृतपाल सिंह के जाने-माने सहयोगी प्रधान मंत्री बाजेके जैसे लोग हैं.

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2. अमृतपाल सिंह की स्थिति स्पष्ट नहीं

पुलिस ने कहा है कि वह अमृतपाल सिंह की तलाश में है. पंजाब के मंत्री बलबीर सिंह ने मीडिया से कहा कि अगर अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार किया जाएगा तो वह (डीजीपी) बताएंगे.

हालांकि, अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह ने पत्रकार रतनपाल सिंह धालीवाल को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया कि हो सकता है 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख को पहले ही हिरासत में ले लिया गया है. उनका मानना ​​है कि पुलिस जिन लोगों को असम ले गई है उनमें अमृतपाल भी हो सकता है.

'वारिस पंजाब दे' के कानूनी सलाहकार ईमान सिंह खारा ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeus Corpus) याचिका दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अमृतपाल सिंह को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था और मांग की गई थी कि उसे कोर्ट में पेश किया जाए.

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3. प्रतिबंध बढ़ाया गया

20 मार्च को, पंजाब सरकार ने मोबाइल इंटरनेट, डोंगल सेवाओं और एसएमएस पर प्रतिबंध को 21 मार्च दोपहर तक के लिए बढ़ा दिया.

सरकार का दावा है कि ऐसा 'आंदोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों की भीड़' को रोकने के लिए किया गया है.

4. ट्विटर अकाउंट्स बंद किए गए

संगरूर के सांसद सिमरनजीत सिंह मान, पत्रकार गगनदीप सिंह और कमलदीप सिंह बराड़ के ट्विटर अकाउंट को सरकार की एक मांग के बाद भारत में बंद कर दिया गया है. फिलहाल अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह केंद्र या राज्य सरकार द्वारा किया गया है.

सिमरनजीत मान ने अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की थी.

गगनदीप सिंह और कमलदीप सिंह बराड़ अपने ट्विटर टाइमलाइन पर अमृतपाल सिंह केस से जुड़े अपडेट वक्त-वक्त पर देते रहे हैं. बराड़ इंडियन एक्सप्रेस के साथ काम करते हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उनका ट्विटर अकाउंट क्यों बंद किया गया.

पिछले दो दिनों में पंजाब के कई सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.

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5. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही

पूरे ऑपरेशन को लेकर केंद्र और पंजाब सरकार के बीच कुछ हद तक तालमेल नजर आ रहा है. जिस तरह से गुरुग्राम पुलिस ने अमृतपाल के सहयोगी दलजीत सिंह कलसी को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी की और चार बंदियों को असम ले जाया गया, उससे यह तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाती है क्योंकि केंद्र सरकार के बिना सहयोग से यह मुमकिन नहीं था.

अब आगे क्या?

इस केस में अब आगे क्या होने वाला है...यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि अमृतपाल सिंह कहां हैं. जबतक वो फरार है, पंजाब में उतनी ही अनिश्चितता जारी रह सकती है, जिसमें इंटरनेट प्रतिबंध भी शामिल है.

यह देखते हुए कि पंजाब जबरन लापता करने और एनकाउंटर के इतिहास से भरा एक राज्य है, अमृतपाल सिंह की सुरक्षा को लेकर चिंताएं होना तय है और यह हेबियस कॉर्पस याचिका की याद दिलाता है.

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अब तक, पंजाब सरकार इंटरनेट और आवामगन पर प्रतिबंध के जरिए किसी भी बड़ी भीड़ को रोकने में कामयाब रही है. लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमृतपाल सिंह के समर्थकों और यहां तक ​​कि जो उनकी राजनीति का समर्थन नहीं करते हैं लेकिन कार्रवाई का विरोध करते हैं, उनके बीच कुछ बेचैनी है.

अकाल तख्त, एसजीपीसी और प्रवासी सिख समुदाय के नेता पहले ही इस कार्रवाई को लेकर चिंता जता चुके हैं.

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