गुजरात (Gujarat) में कांग्रेस की और हिमाचल (Himachal Pradesh) में कांग्रेस की जीत दोनों का कनेक्शन अब राजस्थान से जोड़ा जा रहा है. कनेक्शन इसलिए भी ढूंढा जा रहा है क्योंकि गुजरात में राजस्थान सीएम अशोक गहलोत सीनियर ऑब्जर्वर बनाए गए थे. वहीं पायलट हिमाचल प्रदेश में ऑब्जर्वर थे.
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स का कहना है कि इसके फायदे और नुकसान दोनों नेताओं पर पड़ सकते हैं. कई यूजर्स का कहना है कि इसका सीधा फायदा सचिन पायलट को मिलेगा, क्योंकि जहां वो ऑब्जर्वर थे, हिमाचल. वो राज्य कांग्रेस जीतने में सफल रही.
जहां एक ओर गुजरात चुनावों में हुई हार की जिम्मेदारी लेते हुए प्रदेश प्रभारी रघु शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष के नाम चिट्ठी लिखकर इस्तीफे की बात की है. वहीं गहलोत का अभी तक कोई बयान नहीं आया है. पिछली बार भी अशोक गहलोत गुजरात में रणनीतिकार रहे हैं. लेकिन इस बार तो राज्य में कांग्रेस की हालत और पिछली बार से भी ज्यादा खराब है.
क्या राजस्थान झगड़े का असर पड़ा गुजरात चुनावों पर?: राजस्थान में अशोक गहलोत राजनीतिक गहमागहमी में उलझे रहे. बता दें कि गहलोत के गुट के विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था. एक तरफ गुजरात चुनावों का प्रचार शुरू हो चुका था, वहीं गहलोत विधायकों की इस्तीफे दिए जा रहे थे. गहलोत ने सचिन पायलट को गद्दार तक बता दिया था. शायद इसका असर गुजरात की चुनावी रणनीति बनाने पर पड़ा होगा.
बता दें कि जहां पिछली बार गहलोत के रहते गुजरात में 77 सीटें कांग्रेस को मिलीं थीं. वहीं इस बार कांग्रेस के खाते में सिर्फ 17 सीटें ही आ पाईं.
गुजरात में राजस्थान के मंत्रियों और विधायकों की भी ड्यूटी लगाई गई थी, लेकिन सितंबर महीने में विधायक दल की बैठक के बहिष्कार के साथ ही गहलोत गुट के विधायक ने अपना इस्तीफा भी देना शुरू कर दिया. जिस वजह से ये गुजरात में ग्राउंड में नहीं जा पाए.
वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट ने ऑब्जर्वर के तौर पर लगातार चुनाव प्रचार किया था. ऐसा भी हो सकता है कि इस बात को पायलट खेमा भुनाने से पीछे न हटे.
क्या था राजस्थान में सियासी बवाल?: ऐसा माना जा रहा था कि अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाएगा और सचिन पायलट के सिर पर ताज सजेगा. लेकिन अचानक से गहलोत गुट के 70 विधायकों ने स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया. दोनों नेताओं के बीच सियासी घमासान बढ़ने के बाद, पार्टी आलाकमान ने उन्हें दिल्ली भी बुलाया था ताकि बातचीत की जा सके.
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