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2018: आठ राज्यों में चुनाव हैं, किस पार्टी का न्यू ईयर हैपी होगा?

साल 2018 में चुनावों की भरमार है. चेक कर लीजिए, आपका राज्य लिस्ट में है कि नहीं.

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गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकारें बनने के साथ साल 2017 का पावर पैक्ड चुनावी चैप्टर खत्म हो गया, लेकिन 2018 नए इम्तिहानों के साथ सामने है. नए साल में विधानसभा चुनावों वाले राज्यों में हिंदी बेल्ट के राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ हैं. दक्षिण का कर्नाटक और नॉर्थ-ईस्ट के मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड शामिल हैं.

साल 2018 का सामान्य या छुट्टियों वाला कैलेंडर तो आपको अपने मोबाइल फोन में मिल जाएगा, लेकिन जरा इस चुनावी कैलेंडर पर भी नजर डालिए.

साल 2018 में चुनावों की भरमार है. चेक कर लीजिए, आपका राज्य लिस्ट में है कि नहीं.
ये चुनावों के संभावित महीने हैं. सरकारें अपनी सुविधा से इनमें बदलाव कर सकती हैं
ग्राफिक्स: नीरज गुप्ता/क्विंट हिंदी
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इन आठ राज्यों में लोकसभा की 99 सीटें हैं, जिनमें से फिलहाल 79 बीजेपी के पास हैं. कई राज्यों की विधानसभाओं में भी बीजेपी अपने चरम पर है. 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद 2014 के लोकसभा मुकाबले में नरेंद्र मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने कई राज्यों में अपना वोट शेयर जबरदस्त तरीके से बढ़ाया. लेकिन दिलचस्प बात है कि सीटों में भारी गिरावट के बावजूद कांग्रेस अपने वोट शेयर को कमोबेश बचाए रखने में कामयाब रही.

हमने महीने के हिसाब से आपको चुनावी कैलेंडर दिखाया, लेकिन आगे सियासी अहमियत के मुताबिक हम इन तमाम राज्यों का लेखा-जोखा आपके सामने रखेंगे.

मध्य प्रदेश: 15 साल से बीजेपी राज

2013 के विधानसभा चुनाव में तीन-चौथाई के करीब सीटें हासिल करने वाली बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी जीत का सिलसिला जारी रखा और 29 में से 27 सीटें जीतीं. लेकिन दिलचस्प बात ये कि करारी हार के बावजूद कांग्रेस का वोट शेयर सिर्फ 2 फीसदी घटा. बीजेपी ने सेंध निर्दलियों के वोट बैंक में लगाई.

15 साल से बीजेपी राज देख रहे मध्य प्रदेश में हालत गुजरात जैसे ही हैं. लोग मुख्मंयत्री शिवराज सिंह चौहान से नाराज हैं और सरकार के खिलाफ व्यापम जैसे घोटाले हैं. लेकिन अंदरूनी राजनीति में उलझी कांग्रेस को पंजाब की तर्ज पर एक लोकल चेहरा आगे करना होगा और वो भी जल्द से जल्द.

पाई चार्ट में 2013 और 2014 पर अलग-अलग क्लिक करने पर आप विधानसभा और लोकसभा चुनावों का वोट शेयर देख सकते हैं.

राजस्थान: हर चुनाव, नई सरकार

दिसंबर 2017 में राजस्थान के निकाय उपचुनावों में ज्यादातर सीटें जीतकर कांग्रेस ने बीजेपी के माथे पर बल ला दिए हैं. हालंकि कांग्रेस के लिए संघर्ष ये होगा कि वो पिछले चार साल से सूबे में पार्टी की जड़ें जमा रहे सचिन पायलट को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए या अनुभवी अशोक गहलोत को. वैसे भी कांग्रेस के प्रभारी महासचिव रहे गहलोत गुजरात में अच्छे प्रदर्शन का इनाम चाहेंगे.

राजस्थान में बीजेपी अपने चरम पर है और कांग्रेस के मुकाबले वोट शेयर भी काफी ज्यादा है. 2018 का चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बीजेपी में मुख्यमंत्रियों के खास ग्रुप का हिस्सा बनना चाहेंगी. लेकिन रास्ता आसान नहीं है. संघ से तनाव, राजपूतों की नाराजगी और पार्टी की अदरूनी लड़ाई उनकी चुनौतियां हैं.

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छत्तीसगढ़: कांटे की टक्कर

2014 में लोकसभा की 11 में से 10 सीट जीतने वाली बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा की राह आसान नहीं है. कांग्रेस पार्टी साल 2016 में ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी और उनके बेटे से जुड़े विवादों से पीछा छुड़ा चुकी है. पार्टी की लोकल लीडरशिप ने जोगी की खाली जगह भरने के लिए खासा काम भी किया है. और, मौजूदा मुख्यमंत्री रमन सिंह के कंधों पर 15 साल की एंटी इन्कंबेंसी है ही.

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कर्नाटक: वापसी को बेचैन बीजेपी

कर्नाटक साउथ का अकेला राज्य है, जहां बीजेपी सरकार चला चुकी है. 2013 के विधानसभा चुनाव में वोट शेयर और सीट के मामले में कांग्रेस से मीलों पीछे रही बीजेपी के लिए 2014 के लोकसभा नतीजे किसी बंपर लॉटरी से कम नहीं थे. 28 में से 17 सीटों पर जीत और वोट शेयर में दोगुने से भी ज्यादा की बढोतरी. सत्ता वापसी के लिए बीजेपी ब्रांड मोदी के भरोसे है, तो कांग्रेस की ताकत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का चेहरा है. पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी के लिए भी ये पहली बड़ी चुनौती है.

कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस के बीच 50-50 का मुकाबला दिख रहा है. अगर किसी को बहुमत न मिला, तो पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) किंग मेकर बन सकती है.

नॉर्थ-ईस्ट की चुनावी जंग

इन चार बड़े राज्यों के अलावा मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में भी 2018 में ही विधानसभा चुनाव होने हैं (देखें 2018 का चुनावी कैलेंडर). हालांकि नॉर्थ-ईस्ट के इन चार राज्यों में लोकसभा की सिर्फ 6 सीटें हैं, लेकिन वहां तक बीजेपी के फुट प्रिंट बढ़ाने की बेचैनी पार्टी में दिखती है. गुजरात में वोटिंग के अगले ही दिन पीएम ने मिजोरम में रैली करके इसका इशारा भी दे दिया था.

त्रिपुरा में 3 बार के सीपीएम मुख्यमंत्री माणिक सरकार को चुनौती मिलना मुश्किल ही लगता है. बीजेपी ने 2013 चुनावों के 2 फीसदी वोट शेयर को बढ़ाकर 2014 में 6 फीसदी कर लिया था. हालांकि इस दौरान कांग्रेस 37 से घटकर 15 फीसदी पर पहुंच गई.

नगालैंड में नगा पीपल्स फ्रंट (एनपीएफ) सत्ता में है. 60 विधानसभा सीटों वाले राज्य में कांग्रेस पार्टी नेतृत्व की कमी से जूझ रही है. फिलहाल एनपीएफ की सरकार में शामिल बीजेपी ने 2018 चुनावों में भी ये साथ जारी रखा, तो कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है.

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