उत्तर प्रदेश चुनाव सातवें चरण में पहुंच चुका है. 7 मार्च को 9 जिलों की 54 सीटों पर वोट डाले जाने हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ (Azamgarh Seat) की है. एसपी के लिए आजमगढ़ सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है. जिन 54 सीटों पर वोट डाले जाने हैं उनमें से 2017 में 11 सीटों पर एसपी का कब्जा है. इन सीटों में एक बड़ा नाम दुर्गा प्रसाद यादव (Durga Prasad Yadav) की आजमगढ़ सदर का है. ऐसे में समझते हैं कि आजमगढ़ सदर सीट को एसपी का मजबूत 'दुर्ग' और दुर्गा प्रसाद यादव को अखिलेश का मजबूत सिपाही क्यों माना जाता है?
आजमगढ़ में 10 सीट, लेकिन सबसे ज्यादा वोट मार्जिन से जीते थे दुर्गा
आजमगढ़ में गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ सदर, मेहनगर, अतरौलिया, निजामाबाद, फूलपुर पवई, दीदारगंज और लालगंज विधानसभा सीटें हैं. साल 2017 में 10 में से 5 सीटों पर एसपी का कब्जा हुआ. 5 में से सबसे ज्यादा 12.40% वोट मार्जिन से दुर्गा प्रसाद यादव जीते थे.
अबकी बार जिन 54 सीटों पर मतदान होना है, उनमें से 2017 में 11 सीट एसपी ने जीती थी. 11 सीटों में भी सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले उम्मीदवार दुर्गा प्रसाद यादव ही थे. साल 2012 में 54 में से 34 सीट पर एसपी का कब्जा था. बीजेपी वाराणसी की 3 और जौनपुर की 1 सीट और बीएसपी 7 सीट जीती थी.
37 साल से जीत रहे चुनाव, हर बार क्षेत्र का लगभग आधा वोट मिला
दुर्गा प्रसाद यादव 37 साल से विधायक हैं. 1985 में निर्दलीय चुनाव लड़कर पहली बार विधायक बने. तब उन्हें 50.6% वोट मिले थे. तब से लेकर अब तक वे आजमगढ़ सदर से विधायक हैं. सिर्फ 1993 में बीएसपी से राज बली यादव विधायक बने. आजमगढ़ विधानसभा सीट पर दुर्गा प्रसाद यादव के प्रभाव को उनके वोट प्रतिशत से समझ सकते हैं.
दुर्गा प्रसाद यादव 1985 से लेकर अब तक कुल 8 बार विधायक बने. 8 बार के चुनाव में उन्हें औसत 48% वोट मिले. यानी पूरी विधानसभा का लगभग आधा वोट. दुर्गा, अखिलेश यादव के अलावा मुलायम सिंह के भी करीबी माने जाते हैं. एसपी की सरकार बनने पर उन्हें मंत्री बनाया गया था.
दूसरे नंबर पर रही है बीएसपी, बीजेपी 2017 में रनर अप रही
आजमगढ़ सदर सीट से साल 2017 में दूसरे नंबर पर बीजेपी के अखिलेश मिश्रा थे, उन्हें 28% वोट मिले. 2012 में दूसरे नंबर पर बीएसपी के सर्वेश सिंह सीपू थे, उन्हें 33% वोट मिले. 2007 में दूसरे नंबर पर बीएसपी के रमाकांत थे, उन्हें 35% वोट मिले. 2002 में दूसरे नंबर पर बीएसपी के आरपी राय थे, उन्हें 29% वोट मिले. 1996 में दूसरे नंबर पर बीएसपी के ओम प्रकाश थे, उन्हें 37% वोट मिले थे.
2009 लोकसभा चुनाव हार गए थे दुर्गा, लेकिन यादव उम्मीदवार रहा विनर
आजमगढ़ सदर सीट से दुर्गा प्रसाद यादव लगातार जीत रहे हैं, लेकिन 2009 में वे लोकसभा चुनाव की आजमगढ़ सीट हार गए थे. तब रमाकांत यादव 35% वोट पाकर पहले नंबर पर थे. बीएसपी के अकबर अहमद डम्पी 28% वोटों के साथ दूसरे और दुर्गा प्रसाद यादव 17% वोट के साथ तीसरे नंबर पर थे. दरअसल, इस सीट पर यादव वोटर ज्यादा है, यही वजह है कि दुर्गा प्रसाद यादव भले चुनाव हार गए, लेकिन यहां से सांसद एक यादव उम्मीदवार ही बना.
मोदी लहर में एसपी का मजबूत दुर्ग बनकर उभरा आजमगढ़, दी कड़ी टक्कर
पूर्वांचल में आजमगढ़ को एसपी का गढ़ इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि मोदी लहर में भी बीजेपी इस सीट से नहीं जीत सकी. साल 2014 में मुलायम सिंह यादव ने यहां से चुनाव लड़ा और 35% के साथ जीत दर्ज की. 2019 में अखिलेश यादव 60% वोटों के साथ यहां से सांसद बने.
मोदी लहर में भी बीजेपी एसपी के इस दुर्ग को नहीं भेद पाई. आजमगढ़ सदर में सबसे ज्यादा 70 हजार यादव हैं. इनके अलावा 25 हजार ब्राह्मण, 45 हजार क्षत्रिय, 50 हजार वैश्य, 50 हजार मुस्लिम और 60 हजार दलित वोटर हैं.
अबकी बार आजमगढ़ सदर से एसपी ने दुर्गा प्रसाद को फिर से मैदान में उतारा है. उनके सामने बीजेपी के अखिलेश कुमार मिश्रा, बीएसपी के सुशील कुमार सिंह और कांग्रेस के प्रवीण कुमार सिंह हैं. मतदान 7 मार्च को है. 10 तारीख को नतीजे आ जाएंगे. ऐसे में देखना होगा कि क्या अबकी बार बीजेपी-बीएसपी एसपी के इस दुर्ग को भेदने में सफल होती हैं या फिर दुर्गा प्रसाद फिर से जीत का परचम लहराते हैं.
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