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UP: आजमगढ़ सीट पर फिर होगा समाजवादी पार्टी का कब्जा? पत्रकारों ने क्या बताया?

आजमगढ़ सीट पर 2022 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत हासिल की थी.

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लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 4 चरणों के मतदान हो चुके हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजेपी की सीटें घट सकती हैं. ऐसे में पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीटों पर क्या माहौल है? खासकर हॉट सीट मानी जा रही आजमगढ़ (Azamgarh) पर किसका पलड़ा भारी है?

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आजमगढ़ सीट पर 2022 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत हासिल की थी. निरहुआ बीजेपी के टिकट पर फिर मैदान में हैं, उनके सामने है समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव. क्या समाजवादी पार्टी अपना गढ़ आजमगढ़ इस चुनाव में फिर से हासिल कर पाएगी. क्विंट हिंदी ने आजमगढ़ के पत्रकारों से इस पर तफसील से चर्चा की है. इस दौरान पत्रकारों ने बताया कि आजमगढ़ में इस बार कौन से मुद्दे हावी रहेंगे और इसका क्या असर होगा.

आजमगढ़ सीट का क्या है इतिहास?

यूपी की पूर्वांचल की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक आजमगढ़ में अब तक 20 बार चुनाव हुए, जिसमें 6 बार कांग्रेस, चार-चार बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी, दो बार बीजेपी, एक बार कांग्रेस (आई), एक-एक बार जनता पार्टी और जनता दला, एक बार जनता पार्टी सेक्युलर को जीत मिली है.

आजमगढ़ सीट पर 2022 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत हासिल की थी.

आजमगढ़ सीट पर कब किसका रहा कब्जा?

(फोटो: क्विंट हिंदी/मोहन सिंह)

2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव और 2019 में अखिलेश यादव ने आजमगढ़ फतह किया था, जबकि 2022 के उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निर्हुआ ने एसपी के धर्मेंद्र यादव को 8,679 वोटों से हराया था.
आजमगढ़ सीट पर 2022 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत हासिल की थी.

2024 चुनाव में आजमगढ़ सीट पर कौन प्रत्याशी हैं?

(फोटो: क्विंट हिंदी/मोहन सिंह)

इस बार सबसे अहम बात यह है कि पिछली बार हुए उपचुनाव में बीएसपी ने गुड्डू जमाली को अपना उम्मीदवार बनाया था. जमाली आजमगढ़ के चर्चित नेता हैं और उन्होंने चुनाव में 2 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे. लेकिन इस बार गुड्डू जमाली पाला बदलकर अब समाजवादी पार्टी में शामिल होकर एमएलसी बन चुके हैं, यानी धर्मेंद्र यादव को इस मामले में बढ़त है. ऐसे में इस बार निरहुआ को सीट बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.

आजमगढ़ में क्या कहते हैं जातीय समीकरण?

यहां पर करीब 18 लाख मतदाता हैं. इसमें मुस्लिम-यादव वोटर्स सबसे ज्यादा हैं और इनका आकंड़ा 40 प्रतिशत के करीब हैं. वहीं, दलित वोटर्स की संख्या तीन लाख के करीब है. इसके अलावा 50 फीसदी से ऊपर अन्य जातियों के वोटर्स हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 में क्विंट हिंदी की हॉट सीट से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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