केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को गुरुवार को जादवपुर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने घेर लिया. साथ ही छात्रों ने काले झंडे भी दिखाए. बाबुल सुप्रियो को जादवपुर यूनिवर्सिटी में एबीवीपी के छात्रों ने एक सेमिनार में बोलने के लिए बुलाया था.
छात्रों ने सुप्रियो को करीब डेढ़ घंटे तक कैंपस में घुसने से रोके रखा. बता दें, वामपंथी संगठनों के छात्रों ने सुप्रियो का घेराव किया था और 'बाबुल सुप्रियो गो बैक' के नारे भी लगाए.
सुप्रियो के घेराव की बात फैल गई और मौके पर मीडिया भी पहुंच गई. सुप्रियो ने मीडिया से कहा, ‘‘मैं यहां पर राजनीति करने नहीं आया था. लेकिन मैं यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों की हरकत से दुखी हूं. उन्होंने मुझे मेरे बाल पकड़कर खींचा और धक्का भी दिया.’’
पूरे घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सुप्रियो ने कहा कि छात्रों ने बलवा जैसे हालात और सेमिनार को भंग करने की कोशिश की. सुप्रियो ने ये भी कहा कि वहां के कई छात्रों ने खुद को नक्सली बताते हुए उनको भड़काने की कोशिश भी की.
आर्ट्स फैकल्टी स्टूडेंट्स यूनियन से जु़ड़े छात्र ने कहा इस कैंपस में हम किसी फासीवादी को घुसने नहीं देंगे.
‘हम जादवपुर यूनिवर्सिटी जैसे लिबरल संस्थान में बीजेपी आरएसएस और एबीवीपी को कैंपस में अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए घुसने नहीं देंगे.’देबराज देबनाथ (आर्ट्स फैकल्टी स्टूडेंट्स यूनियन)
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और यूनिवर्सिटी के चांसलर जगदीप धनकड़ भी मौके पर पहुंचे. जगदीप धनकड़ जब बाबुल सुप्रियो को लेकर कैंपस से निकल रहे थे, उस दौरान भी छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा. धनकड़ ने सुप्रियो के घेराव को गंभीर मुद्दा बताया.
राज्यपाल ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी से इस मामले में जल्द कार्रवाई करने की मांग की. वहीं दूसरी ओर यूनिवर्सिटी के वीसी ने विरोध कर रहे छात्रों के साथ बात कर मामला शांत करने की कोशिश की लेकिन छात्र नहीं माने.
राज्यसभा सांसद स्वपनदास गुप्ता ने इस पूरे प्रकरण की निंदा की है और सुप्रियो का समर्थन किया है. साथ ही ये भी कहा कि विरोध करने वाले छात्र नक्सलियों के समर्थक हैं.
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