बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) सरकार के नाम से लोकप्रिय धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shashtri) पिछले कुछ हफ्तों में कई हिंदी समाचार चैनलों के प्राइम टाइम सब्जेक्ट बने हुए हैं. उनके रंग-बिरंगे परिधान उतने ही आकर्षक हैं जितना कि अपने भक्तों की समस्याओं का 'अनुमान' लगाने के उनके दावे और भारत को 'हिंदू राष्ट्र' बनाने की उनकी घोषणा.
लेकिन भगवान हनुमान को समर्पित मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम मंदिर के 26 वर्षीय स्वयंभू मुख्य पुजारी को एक और कारण से नजरअंदाज करना मुश्किल है.
2023 के अंत में होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दोनों ही बाबा के चरणों में देखी जा रही हैं.
ताजा नजारे कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की शास्त्री से मुलाकात के हैं, आने वाले दिनों में बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इनके दरबार में हाजरी लगाने जा सकते हैं.
कई लोगों का मानना है कि कमलनाथ, जिन्होंने लगातार खुद को एक समर्थित और समर्पित हिंदू के रूप में पेश किया है, उनके लिए शास्त्री से मुलाकात बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडा का काट है तो वहीं बीजेपी के लिए ये रोज का खेल है.
हिंदुत्व की पिच पर बल्लेबाजी कर रहे दोनों दलों की सियासत की बीच, हम निम्नलिखित सवालों का जवाब खोजने की कोशिश करते हैं:
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री फोकस में क्यों हैं?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ होकर भी बीजेपी क्यों है सतर्क?
क्या धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ कांग्रेस के रिश्ते पार्टी की प्रति बने जनता के विचारों को बदल पाएंगे?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सुर्खियों में क्यों हैं?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पिछले दो वर्षों में खासा प्रसिद्धि हासिल की - और वर्तमान में उनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं.
मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित बागेश्वर धाम के पुजारी बने शास्त्री को बुंदेलखंड में बहुत समर्थन प्राप्त है– लेकिन छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और उत्तर भारत के कई अन्य हिस्सों में भी उनके अनुयाई तेजी से बढ़े हैं.
स्थानीय सूत्रों ने क्विंट हिंदी को बताया कि सत्तारूढ़ बीजेपी ओबीसी और अन्य समुदायों के बीच विभाजन पैदा करने के लिए कट्टर हिंदुत्व बयानबाजी करने वाले शास्त्री का समर्थन कर रही है.
ऐसा इसलिए क्योंकि मध्यप्रदेश में हाल के वर्षों में विशेष रूप से 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद, पिछड़ा वर्ग, दलित और आदिवासी वर्ग ज्यादा संगठित और राजनीतिक रूप से आक्रामक हुए हैं.
एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ओबीसी समुदाय के बीच बढ़ते सामंजस्य और प्रदेश के दलित आदिवासी समुदायों के बीच जो नया नेतृत्व खड़ा हुआ है, खास तौर पर युवाओं का उसने बीजेपी को चुनाव से पहले हिंदुत्व की लहर और कट्टर हिंदूवादी विचारों को हवा देने के लिए मजबूर कर दिया है.
शास्त्री, जो अपने 'चमत्कार' के दावों और टीवी स्क्रीन पर अपनी मजाकिया उपस्थिति के चलते लोकप्रिय बने हुए हैं, उनको "दक्षिणपंथी दूतों के समूह में एक यंग प्लेयर के रूप में देखा जा रहा है, जो अपने काम और बयानों से सिर्फ बीजेपी को फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
माना जाता है कि शास्त्री के पूर्वज भी इसी पेशे में थे. लेकिन 26 साल के धीरेंद्र शास्त्री ने उन सबसे बेहतर इस्तेमाल किया है धार्मिक भावनाओं का. हाल ही में अंधविश्वास को बढ़ावा देने के आरोपों को लेकर खबरों में रहे शास्त्री की टिप्पणियों ने उन्हें अपने फैन फॉलोइंग को बढ़ाने में ही मदद की है.
और ऐसी बढ़ी है फैन फॉलोइंग कि क्या बीजेपी क्या कांग्रेस, सब नतमस्तक होते जा रहे हैं.
शास्त्री बीजेपी को फायदा पहुंचा रहे हैं, लेकिन पार्टी सतर्क है
मौजूदा बीजेपी शास्त्री की बयानबाजी को स्वीकार करती है और उसका समर्थन करती है क्योंकि यह उनके एजेंडे को बल दे रहे हैं. हालांकि, पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि वे "अल्पकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, न कि धीरेंद्र शास्त्री को पूर्ण समर्थन देने पर."
क्विंट से बात करते हुए, बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र परासर ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा पार्टी की विचारधारा का समर्थन करने वाले लोगों का स्वागत किया है - और शास्त्री उस बात की वकालत कर रहे हैं जो बीजेपी के रग-रग में बसी हुई है.
"लोगों को लग रहा है कि धीरेंद्र शास्त्री महाराज का बीजेपी से गठजोड़ है क्योंकि दोनों एक जैसी ही बात कर रहे हैं लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है. शास्त्री जी उन विचारों का समर्थन करते हैं जिनके लिए हम युगों से काम कर रहे हैं. उनके पास बड़े पैमाने पर अनुयायी हैं और हमारी लड़ाई को उनसे बल मिलता है. हम हमेशा समान विचारधारा वाले लोगों के साथ खड़े रहे हैं - और हम उनका स्वागत करते हैं."लोकेंद्र परासर
पार्टी के सूत्रों ने क्विंट को बताया कि बीजेपी शास्त्री और अन्य बाबाओं को लेकर सतर्क भी है और वो हवा को उसके सामान्य रूप में बहने दे रहे हैं.
"समान विचारधारा वाले साधु और संत हमेशा हमारे लिए एक बोनस होते हैं. लेकिन हम आसाराम बापू जैसे किसी स्थिति में में नहीं पड़ना चाहते हैं, और इसलिए हम किसी भी स्थायी रिश्ते पर विचार नहीं करेंगे और सावधानी बरत रहे हैं. हम हिंदू धर्म के एक स्तंभ के रूप में उनका सम्मान करते हैं और हम उनके विचारों का समर्थन करते हैं, लेकिन किसी पर भी 100 प्रतिशत भरोसा नहीं किया जा सकता है."बीजेपी के एक पार्टी सूत्र
बीजेपी तो बीजेपी कांग्रेस भी बाबा की दीवानी, लेकिन क्या ये रिश्ता कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा ?
शास्त्री द्वारा 'हिंदू राष्ट्र' बनाने की बात कहने के बाद हुई कमलनाथ की धीरेंद्र शास्त्री से मुलाकात ने मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को हवा दिया है.
क्विंट से बात करते हुए कमलनाथ और प्रदेश कांग्रेस के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एक "सच्चे भक्त और धार्मिक व्यक्ति" हैं - और जहां भी जाते हैं धार्मिक स्थलों का दौरा करते हैं.
"यह एक बहुत ही आम यात्रा थी. कमलनाथ एक सच्चे हिन्दू और धार्मिक व्यक्ति होने के नाते जहां भी जाते हैं, वहां के धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए हमेशा समय निकाल लेते हैं."पीयूष बबेले
शास्त्री के 'हिंदू राष्ट्र' बनाने वाले बयान और बुलडोजर कार्रवाई के लिए उनके समर्थन के बारे में पूछे जाने पर बबेले ने कहा:
"कमलनाथ जी हनुमान मंदिर गए. मंदिर के पुजारी धीरेंद्र शास्त्री जी से मिले और फिर बाहर आए और कहा कि देश संविधान के अनुसार ही चलेगा. क्या कोई और नेता ऐसा कर सकता है?"पीयूष बबेले
मध्य प्रदेश के पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दीपक तिवारी ने कहा कि कमलनाथ की बागेश्वर धाम वाली यात्रा एक "कैलकुलेटेड रिस्क" थी. वो आगे कहते हैं कि कांग्रेस को बीजेपी ने एक "मुस्लिम समर्थक" पार्टी का तमगा पहनाया हुआ है और जनता के बीच वो इस धारणा को पहुंचाने में काफी हद तक सफल हुए है. ऐसे में इस तरह की मुलाकातें कहीं न कहीं प्रदेश में कांग्रेस को बीजेपी द्वारा धकेली गई धारणा का मुकाबला करने में मदद कर सकती है.
"आप देखिए कि, राज्य में मुस्लिमों की आबादी बमुश्किल 7 प्रतिशत होने के बावजूद राज्य में हिंदू-मुस्लिम बयानबाजी कितनी हावी है. बीजेपी एक हद तक यह बताने में सफल रही है कि कांग्रेस हिंदू विरोधी है. इस विचार का मुकाबला करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि शेष 93 प्रतिशत मतदाता इससे प्रभावित न हों, कांग्रेस की संत-समर्थक गतिविधिया एक अच्छा उपाय हैं. और यह कमलनाथ से बेहतर कौन कर सकता है जिन्होंने हमेशा खुद को एक समर्पित हिंदू के रूप में प्रस्तुत किया है?"
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस इस तरह के बाबाओं की उपेक्षा करने या उनके खिलाफ खड़े होने के नुकसान जानती है, जो किसी न किसी तरह से जनता की धारणा को प्रभावित करते हैं.
मध्य प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों ने क्विंट को बताया कि कमलनाथ का बागेश्वर धाम का हालिया दौरा यह सुनिश्चित करने का प्रयास था कि उन्हें या उनकी पार्टी को हिंदू विरोधी नहीं माना जाए.
"यह स्पष्ट है कि बीजेपी लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. वे इस विचार को बढ़ावा दे रहे हैं कि कांग्रेस एक मुस्लिम समर्थक पार्टी है जो सच नहीं है. हम सभी के साथ हैं, हम समाज के हर वर्ग के लिए काम करने वाले लोग है. बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री इस वक्त छाए हुए हैं, समाचार पत्रों से लेकर लोगों की जुबान तक और हम नहीं चाहते हैं कि बीजेपी फिर किसी बाबा का दुरुपयोग करे, गलत बयानबाजी करवाए और कांग्रेस को कोई नुकसान हो."
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