पूर्व विदेश मंत्री और दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) की बेटी बांसुरी स्वराज (Bansuri Swaraj) ने सक्रिय राजनीति में एंट्री कर ली है. दिल्ली बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा (Virendra Sachdeva) ने बांसुरी को प्रदेश बीजेपी में लीगल सेल का सह-संयोजक (Co-Convenor) नियुक्त किया है.
संगठन में पहली बार बांसुरी को नियुक्ति दी गई है. बांसुरी ने अपनी नियुक्ति के लिए पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभार जताया है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, बीएल संतोष, वीरेंद्र सचदेवा की आभारी हूं, जिन्होंने मुझे दिल्ली बीजेपी लीगल सेल की सह-संयोजक के रूप में पार्टी की सेवा करने का अवसर दिया."
प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि स्वराज की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और इससे BJP को मजबूती मिलने की उम्मीद है. वह पहले भी कानूनी मामलों में पार्टी की मदद करती रही हैं.
कौन हैं बांसुरी स्वराज?
बांसुरी स्वराज पेशे से एक वकील हैं और उनके पास 16 साल का अनुभव है. 2007 में बांसुरी बार काउंसिल ऑफ दिल्ली से जुड़ी थी. उन्होंने वारविक विश्वविद्यालय (University of Warwick) से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री और लंदन के प्रतिष्ठित बीपीपी लॉ स्कूल (BPP Law School, London) से कानून की डिग्री हासिल की. इसके बाद, उन्होंने कानून में बैरिस्टर के रूप में भी योग्यता प्राप्त की और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट कैथरीन कॉलेज से मास्टर ऑफ स्टडीज पूरी की.
कई हाई प्रोफाइल केस पर किया काम
बांसुरी स्वराज ने अपने लीगल करियर में कई हाई प्रोफाइल केस और क्लाइंट्स के साथ काम किया है. उन्होंने रियल एस्टेट, टैक्स, कॉन्ट्रैक्ट्स से जुड़े झगड़े और कई क्रिमिनल केस भी लड़े हैं. बांसुरी को प्राइवेट प्रैक्टिस के दौरान ही हरियाणा के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त किया गया था.
बांसुरी स्वराज उस समय सुर्खियों में आई थीं जब वह पूर्व IPL कमिश्नर ललित मोदी की लीगल टीम से जुड़ी थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब बीजेपी ने बांसुरी का बचाव करते हुए कहा था कि सुषमा स्वराज की बेटी का अपना प्रोफेशन है और वह अपने काम के लिए आजाद हैं.
2019 में हुआ था सुषमा स्वराज का निधन
बता दें कि पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 6 अगस्त 2019 को उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कुल 11 बार चुनाव लड़ा, जिसमें तीन बार विधानसभा और सात बार सांसद का चुनाव जीतीं. कर्नाटक के बेल्लारी लोकसभा सीट का चुनाव काफी चर्चित रहा. हालांकि इस चुनाव में उन्हें सोनिया गांधी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. 1998 में वो दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं.
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