कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में 27 सितंबर को किसानों ने भारत बंद (Bharat Bandh) बुलाया. कांग्रेस, एसपी, आरजेडी समेत कई पार्टियों ने बंद को अपना समर्थन दिया. इसी क्रम में गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को समर्थन देने दिल्ली कांग्रस अध्यक्ष अनिल चौधरी पहुंच गए. लेकिन किसानों ने पहले ही ये साफ कर दिया था कि वो किसी भी राजनीतिक दल को अपने मंच का इस्तेमाल नहीं करने देंगे. जैसे ही कांग्रेस नेता गाजीपुर में प्रदर्शन करने पहुंचे उन्हें प्रदर्शनकारी किसानों ने वहां से जाने का फरमान सुना दिया.
किसानों ने कांग्रेस नेताओं पर लगाए आरोप
प्रदर्शनकारी किसानों ने इसे गैर राजनीतिक प्रदर्शन बताते हुए अनिल चौधरी को धरना स्थल से उठने को कह दिया. किसानों ने उन पर आरोप लगाया कि वो पूरे प्रदर्शन को कांग्रेस का प्रदर्शन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, साथी ही उन पर मीडिया का लाभ लेने के भी आरोप लगाए. दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष ने कुछ देर तक इसे लेकर प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की, पर किसान नहीं माने और अंत में समर्थकों के साथ उन्हें धरनास्थल से उठना ही पड़ा.
पूरी घटना के बाद अनिल चौधरी ने कहा, 'मैं स्थिति को समझ सकता हूं, यह किसानों का मुद्दा है. हम इसे लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करेंगे. अगर किसान हमें यहां से जाने को कहेंगे तो हम चले जाएंगे, हमारा कोई पॉलिटिकल एजेंडा नहीं है.'
पूरे देशभर में देखा गया भारत बंद का असर
भारत बंद का असर देशभर में देखा जा रहा है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में किसानों के समर्थन में बड़े प्रदर्शन हुए. कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर 300 दिन से ज्यादा वक्त से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. आज भारत बंद की वजह से इन जगहों पर पुलिस की ओर से सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं. बंद की वजह से दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर भारी जाम लग गया, जबकि यूपी को दिल्ली से जोड़ने वाली डीएनडी पर भी गाड़ियां रेंगती दिखीं.
उधर संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार दोपहर को बयान जारी कर देशभर में बंद सफल होने का दावा किया. किसान मोर्चा का कहना है कि किसानों के बंद का पंजाब, हरियाणा, केरल और बिहार जैसे राज्यों में काफी असर देखा गया है. किसान संगठनों का दावा है कि यूपी, राजस्थान, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में किसानों के भारत बंद को अच्छा समर्थन मिला है.
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