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बिहार में 5 सीटों पर उपचुनाव; साख पर नीतीश की प्रतिष्ठा, NDA-INDIA में कौन मारेगा बाजी?

Bihar Bypoll 2024: बिहार की 5 विधानसभा सीटों पर 10 जुलाई को उपचुनाव के लिए मतदान होगा.

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लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के चुनाव परिणामों के बाद अब सभी की निगाहें विधानसभा के उपचुनावों पर है. बिहार में पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसके लिए चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. ऐसे में एक बार फिर उपचुनाव में एनडीए बनाम इंडिया गुट का मुकाबला बिहार में देखने को मिलेगा.

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ताकत दिखाने का प्रयास

हालिया संपन्न हुए लोकसभा चुनाव एनडीए के लिए कुछ खास नहीं रहे हैं, जबकि विपक्षी इंडिया गुट पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा मजबूती से उभरा है. एनडीए को 2019 के मुकाबले 9 सीटों का नुकसान हुआ है जबकि इंडिया गुट के खाते में 10 सीटें ( पूर्णिया से निर्दलीय पप्पू यादव ने कांग्रेस को समर्थन दिया है) आई हैं. ऐसे में अब दोनों ही गठबंधन उपचुनाव में फिर से एक बार अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 में इंडिया गुट को जो 10 सीटें प्राप्त हुई हैं. उनमें आरजेडी को 4, कांग्रेस को तीन, माले को 2 सीटें मिली हैं, जबकि एक पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की है.

एनडीए जहां पांच सीटों पर जीत हासिल कर ये संदेश देना चाहेगा कि एक महीने में ही जनता ने इंडिया गुट के दावों की हवा निकाल दी तो वहीं, इंडिया भी सभी सीटों को जीत कर विधानसभा चुनाव से पहले मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करना चाहेगा. इसमें एक बात तय है कि जो भी गठबंधन विजय हासिल करेगा, वो राज्य में संख्याबल और जमीन दोनों पर मजूबत होगा. ऐसे में दोनों ही गठबंधन अपनी ताकत दिखाने का प्रयास करेंगे.

एनडीए के सामने चुनौती लोकसभा चुनाव के नतीजों से आगे बढ़ने की होगी तो वहीं, इंडिया भी एकजुटता बनाए रखने का प्रयास करेगा, जिससे नतीजे उसके पक्ष में जाएं.

किन सीटों पर है उपचुनाव?

जानकारी के अनुसार, गया, जहानाबाद, आरा, बक्सर और रुपौली सीट पर विधानसभा के लिए उपचुनाव होने हैं. इसमें से चार सीटों के विधायक अब लोकसभा सांसद बन गए हैं, ऐसे में उन्हें विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा जबकि लोकसभा का टिकट जेडीयू द्वारा नहीं दिए जाने के बाद रुपौली विधायक बीमा भारती ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. बीमा आरजेडी के टिकट पर पूर्णिया से लोकसभा का चुनाव लड़ी लेकिन वो निर्दलीय पप्पू यादव से हार गईं.

पांचों सीटों पर किस पार्टी का कब्जा?

पांच सीटों में से तीन महागठबंधन के पास है, जिसमें से आरजेडी दो और एक पर माले का विधायक है. जबकि एनडीए के जीतन मांझी की "हम" की एक सीट है. वहीं, रुपौली पर जेडीयू का कब्जा था लेकिन चुनाव पूर्व विधायक ने पार्टी छोड़ आरजेडी का दामन लिया था, जिससे वो सीट भी खाली है.

आरजेडी के सुधाकर सिंह की रामगढ़, HAM के जीतन मांझी की इमामगंज, माले के सुदामा प्रसाद की तरारी और आरजेडी के सुरेंद्र यादव की जहानाबाद विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है.

विधानसभा में कौन कितना मजबूत है?

एनडीए और इंडिया दोनों के लिए आगामी उपचुनाव विधानसभा में संख्याबल बढ़ाने के लिए काफी अहम है. विधानसभा का अंकगणित देखें तो मौजूदा समय में एनडीए, जिसमें बीजेपी, जेडीयू, हम और निर्दलीय हैं, उनके क्रमश: 78, 45, 04, 01 विधायक हैं, जिसकी कुल संख्या 128 है.

वहीं, दूसरी तरफ इंडिया गुट में शमिल आरजेडी (79) + कांग्रेस (19) + लेफ्ट (16) के कुल विधायकों की संख्या 114 है. हालांकि, इंडिया गुट के तीन विधायक टूटकर सत्ता पक्ष में जा बैठे हैं, जिससे एनडीए की संख्याबल 131 पर पहुंच गई है. जबकि विपक्ष घटकर 111 पर आ गया है. वहीं, सदन में बहुमत का आंकड़ा 122 है.

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इस्तीफे के बाद किस पार्टी के पास कितने विधायक हैं?

विधायकों के इस्तीफे के बाद स्थिति को देखें तो जेडीयू, माले, हम की एक और आरजेडी की दो सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होने हैं. ऐसे में आंकड़ों की बात करें तो जेडीयू (44), हम (3) के सदस्यों की संख्या मिलाकर एनडीए के पास 126 विधायक हैं. वहीं, इंडिया के आरजेडी (77), माले (15) के सदस्यों की संख्या 108 पर पहुंच गई है.

कुल मिलाकर देखें तो 10 जुलाई को होने वाले उपचुनाव, एनडीए और इंडिया गुट, दोनों के लिए अग्निपरीक्षा है. यहां मिली जीत, दोनों दलों को राज्य में मजबूत करेगी.

अगले साल 2025 में बिहार विधानसभा के चुनाव भी होने हैं. ऐसे में दोनों ही गठबंधन की चाहत मुख्य चुनाव से पहले बढ़त हासिल करने पर है, क्योंकि यहां मिली जीत से, गठबंधन को अगले एक साल तक मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल होगी, जो उसकी विधानसभा चुनाव की जमीन तैयार करने में मददगार होगी. इसके अलावा, दलों से ज्यादा ये चुनाव नेताओं की प्रतिष्ठा की साख के लिए भी अहम हैं.

तेजस्वी जहां अकेले इंडिया गुट का बिहार में नेतृत्व आगे बढ़कर कर रहे हैं तो वहीं, एनडीए की तरफ से नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी जैसे नेता कमान संभालें है. ऐसे में उपचुनाव के नतीजों का असर नेताओं की प्रतिष्ठा पर भी पड़ना लाजिमी है.

(इनपुट-महीप राज)

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