बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर टिप्पणी करने वाले बीजेपी के MLC टुन्ना पांडे को पार्टी ने सस्पेंड कर दिया है. अब जेडीयू के कुछ नेता खुश हैं कि हमारे नेता का अपमान करने वाले पर बीजेपी ने एक्शन ले लिया. लेकिन क्या सब कुछ इतना अच्छा है जितना दिख रहा है या दिखाने की कोशिश हो रही है? क्या इस खट्टे-मीठे गठबंधन (NDA) में सब चंगा सी?
पहले बीजेपी के इस एक्शन और रिएक्शन को समझिए
दरअसल, टुन्ना पांडे ने सीएम नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वो 2009 के शराब घोटालेबाज हैं और वह जल्द ही उन्हें जेल भेजेंगे. यही नहीं टुन्ना पांडेय ने आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद उनके समर्थन में बयान दिया और कहा कि शहाबुद्दीन को सच बोलने की सजा मिली है.
उन्होंने भागलपुर जेल से सिवान आने के बाद कहा था कि नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं. यही सच बोलने की उन्हें सजा मिली. नीतीश कुमार एक बार दूसरी नंबर की पार्टी, तो एक बार तीसरी नंबर की पार्टी होने के बाद मुख्यमंत्री बने. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वे परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं. ये बात सच है.”
टुन्ना पांडे के इस बयान के बाद बिहार में हंगामा शुरू हो गया. गठबंधन के नेता के खिलाफ बयान देने पर जब मामला तूल पकड़ा तो पहले बीजेपी ने कारण बताओ नोटिस दिया. 10 दिनों में उन्हें जवाब देने के लिए कहा गया, लेकिन नोटिस मिलने के बाद भी टुन्ना पांडेय गठबंधन के खिलाफ बयान देते रहे. इस पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया.
जेडीयू का आरोप- शराब बंदी से दुखी टुन्ना पांडे
टुन्ना पांडे के सस्पेंशन पर जेडीयू के एमएलसी नीरज कुमार कहते हैं,
“ये बीजेपी का अंदरूनी मामला है. लेकिन ये भी सच है कि टुन्ना पांडे राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं बल्कि बिजनेसमैन हैं. शराब के व्यापारी हैं, शराब पर बैन लगेगा तो दुख होगा ही. इसलिए नीतीश जी के खिलाफ बयान दिए. यही नहीं सिवान में एंबुलेंस खरीदारी में करोड़ों के घोटाले की बात भी सामने आई है. 7 लाख का एंबुलेंस 22 लाख में खरीदा गया. टुन्ना पांडे की अनुशंसा पर एंबुलेंस खरीदी गई हैं. लेटर हेड पर उन्होंने लिखा था. अब ऐसे में एंबुलेंस घोटाले में उनका नाम आ रहा है.”
RJD से टुन्ना पांडे का रिश्ता?
नीरज कुमार कहते हैं, “टुन्ना पांडे के भाई बच्चा पांडे आरजेडी के टिकट पर सिवान के बड़हरिया से विधायक हैं. अब बाकी आप खुद समझदार हैं.”
वहीं जब क्विंट ने बच्चा पांडे से बात की तो उन्होंने कहा कि बीजेपी ने उन्हें पार्टी से सस्पेंड किया है इसमें हम लोग कुछ नहीं कह सकते, हम आरजेडी से हैं. जब हमने टुन्ना पांडे के आरजेडी में जाने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, “मेरे चाहने से क्या होता है, ये उनका फैसला होगा कि वो किस पार्टी में जाएंगे. मुझे नहीं लगता वो अभी आरजेडी में आएंगे.”
नीतीश तो बहाना, टुन्ना पांडे को था जाना
अब सवाल है कि क्या बीजेपी ने अपने बिहार के एमएलसी टुन्ना पांडे को सस्पेंड इसलिए किया है ताकि जेडीयू-बीजेपी गठबंधन में सब ठीक दिखे या ठीक रहे?
ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि बीजेपी ने जिस टुन्ना पांडे को नीतीश कुमार के खिलाफ बोलने पर एक्शन लिया है उनका एमएलसी का कार्यकाल इसी साल जुलाई में खत्म हो रहा है. साथ ही टुन्ना पांडे का नाम कथित एंबुलेंस घोटाले में भी आ रहा है. इसके अलावा टुन्ना पांडे पर 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए की जगह अपने भाई के लिए वोट मांगने का आरोप भी लगा था. मतलब नीतीश का बहाना था, पांडे को आज न कल जाना था.
तो टुन्ना के जाने को गठबंधन में गहरी छन रही है, इसका सबूत नहीं मान लेना चाहिए. जेडीयू-बीजेपी गठबंधन में चुनाव से पहले से लेकर अब तक कई बार तलखी साफ दिखी है. सीधा बयान न दिखे लेकिन छिप-छिपकर 'तीर' खूब चले हैं. चाहे वो चिराग पासवान की पार्टी का जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारना हो या कैबिनेट विस्तार के लिए महीनों तक रस्साकशी हो.
अभी हाल ही में बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जेडीयू नेता का कहना कि ममता ने बीजेपी के 'चक्रव्यूह' को तोड़ डाला. जेडीयू के वरिष्ठ नेता और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट में कहा था,
‘भारी चक्रव्यूह को तोड़कर पश्चिम बंगाल में फिर से शानदार जीत के लिए ममता बनर्जी को बहुत-बहुत बधाई.’
नीतीश के करीबी और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने भी ट्वीट कर ममता बनर्जी को जीत की बधाई देते हुए कहा कि ममता जी आपको जीत की बधाई, यह जीत बंगाली अस्मिता की जीत है.
रूड़ी के खिलाफ ऑपरेशन एंबुलेंस चलाने के बाद पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह से मांझी ने था कि जनसेवक की गिरफ्तारी खतरनाक है वो गठबंधन के बार में काफी कुछ बताता है.
मार्च महीने में डिप्टी सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता ताराकिशोर प्रसाद का वो बयान गौर करने लायक है जिसमें उन्होंने कहा था -
बिहार की एनडीए सरकार में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है लेकिन सरकार के कामकाज और नीतियो में बीजेपी का असर नहीं अपेक्षा के मुताबिक नहीं दिखता
ताराकिशोर की ये प्रतिक्रिया चौंकाने वाली बात नही है. नीतीश कम सीटों के बावजूद मनमाफिक कैबिनेट लेने में कामयाब रहे. जाहिर है लोकल बीजेपी नेताओं में आग लगी है, धुआं बीच-बीच में निकलता रहता है, कब धधक जाए कह नहीं सकते.
टुन्ना पांडे का निलंबन संदेश देने के काम आ सकता है कि हम साथ-साथ हैं, लेकिन दोनों पार्टी के बीच सब कुछ एकदम ठीक है ये कहना वैसा ही जैसे मशहूर शायर गालिब का शेर है,
‘हम को मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल के खुश रखने को 'गालिब' ये खयाल अच्छा है.’
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