बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गुरुवार को कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह उर्फ कार्तिक मास्टर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने को लेकर राज्य के राजनीतिक क्षेत्र में हंगामे के बीच कहा कि अदालत का फैसला अंतिम होगा और उनकी पार्टी इसे स्वीकार करेगी।
तेजस्वी ने कहा, कार्तिकेय सिंह के वकीलों ने स्पष्ट किया है कि उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था। पूरा विवाद भाजपा और कुछ मीडिया समूहों द्वारा बनाया गया है। थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी लेकिन उसका नाम उसमें नहीं था जिसे पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है।
भाजपा नेताओं के पास जनता के सामने उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं है। इसलिए, वे हमारे नेताओं के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री द्वारा 20 लाख नौकरियों की घोषणा के बाद, भाजपा के नेताओं को एक असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। हम काम पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अदालत का फैसला अंतिम होगा और हम इसे स्वीकार करेंगे। भाजपा के आरोप के आधार पर हम मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे।
इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा: हम इसे देख रहे हैं।
कार्तिकेय सिंह अपहरण के आरोपों का सामना कर रहे हैं और उनके खिलाफ 2014 में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
उनके खिलाफ अनुमंडल न्यायालय दानापुर ने 12 अगस्त को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था और उन्हें 16 अगस्त तक अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा गया था।
हालांकि कार्तिकेय सिंह ने कोर्ट में सरेंडर करने की बजाय राजभवन में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली।
उनके वकील मधुसूदन शर्मा ने दावा किया कि प्राथमिकी में उनका नाम दर्ज नहीं है। शर्मा ने कहा, राजीव रंजन नाम के पीड़ित ने धारा 164 के तहत अपने बयान में कार्तिकेय सिंह का नाम लिया, जो 2014 में अपहरण के समय सड़क पर मौजूद था।
कार्तिकेय सिंह ने कहा, मैं इस मामले में पहले ही सब कुछ कह चुका हूं। मैं किसी मामले में शामिल नहीं था। फिर से बयान दोहराने की जरूरत नहीं है।
--आईएएनएस
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)