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लालू का नीतीश पर निशाना और चिराग-तेजस्वी का याराना-बिहार में कुछ बदल रहा है?

Lalu Yadav करीब 3 साल बाद RJD कार्यकर्ताओं से बोले-''घी से महंगा हुआ पेट्रोल, चुप क्यों हैं''

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बिहार की राजनीति में आज शक्ति प्रदर्शन, इमोशन और कॉम्पिटिशन का दिन रहा. एक तरफ आरजेडी अपनी टीम के सबसे बड़े 'खिलाड़ी' लालू यादव (Lalu Yadav) के साथ मैदान में उतरी तो दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी अपने सबसे बड़े नेता राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की जयंती पर असली वारिस कौन वाला मैच खेल रही है.

एक तरफ लालू अपने छोटे बेटे तेजस्वी को अघोषित अपना अत्तराधिकारी बना रहे थे तो दूसरी तरफ पशुपति पारस एलजेपी के घोषित उत्तराधिकारी चिराग के खिलाफ ही हवा चला रहे.

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चलिए बात शुरू करते हैं लालू परिवार से.

लालू की वापसी और बड़ा संदेश

करीब तीन साल बाद अपनी पार्टी RJD के नेताओं और कार्यकर्ताओं से लालू यादव रूबरू हुए. मौका था पार्टी का 25वां स्थापना दिवस. लालू यादव इलाज की वजह से अपनी बेटी मीसा भार्ती के दिल्ली वाले सरकारी घर पर हैं. वहीं लालू के दोनों बेटे पटना में मोर्चा संभाले हुए हैं. लालू यादव ने एक बार फिर अपने चिरपरिचित अंदाज में जनता को संदेश और विरोधियों को घेरने की कोशिश की. लालू ने इस दौरान अपने राजनीतिक संघर्ष को भी याद किया और फिर अपने विरोधियों पर भी जमकर बरसे.

''जंगलराज'' पर नीतीश-मोदी सब पर निशाना

लालू यादव की सरकार पर जंगलराज का आरोप लगता रहा है, सीएम नीतीश कुमार से लेकर बीजेपी जंगलराज के नाम पर वोट मांगती रही है. फिर क्या था लालू ने भी उन्हीं आरोपों का जवाब देना शुरू किया. लालू ने कहा,

"हमारी सरकार को जंगलराज कहते हैं. तवा पर रोटी एक ही साइड से पक रही थी उसे हमने पलटने का काम किया. हमरा राज जंगलराज नहीं जनराज रहा."

लालू ने केंद्र सरकार पर भी तंज कसा, लालू ने कहा, "कोरोना प्रलय जैसा है. लेकिन उससे बढ़कर महंगाई और बेरोजगारी कमर तोड़ रही है. अगर हमारी सरकार में पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ते तो लोग हमें चलने नहीं देते, लेकिन आज लोग मजबूर हैं. आज पेट्रोल का दाम घी को पीछे कर रहा है."

लालू की नजर अपने मुसलमान वोटर पर

लालू यादव की छवि सेक्यूलर नेताओं की है. जिसने 90 के दशक में राम मंदिर के लिए निकली लाल कृष्ण आडवानी की रथ यात्रा बिहार में रोक दी थी. लालू ने एक बार फिर अपने मुसलमान वोटरों को अयोध्या का जिक्र कर संदेश देने की कोशिश की कि वो और उनकी पार्टी सेक्यूलरिजम पर पीछे नहीं हटेगी. लालू ने कहा,

"कुछ लोग अयोध्या में राम मंदिर के बाद मथुरा का नारा लग रहे हैं. इसका मतलब क्या है? क्या चाहते हैं? सत्ता के लिए इस देश को तबाह बर्बाद करना चाहते हैं ये लोग. आरजेडी के लोगों से यही कहूंगा कि वे सामाजिक तानाबाना को मजबूत करने के लिए काम करते रहें."

पिता MY समीकर्ण देख रहे, बेटा- का निशाना A टू Z पर

जहां एक तरफ लालू अपने मुसलमान वोटर को यकीन दिला रहे थे कि वो उनके मसीहा हैं वहीं बेटा तेजस्वी आरजेडी को MY यानी मुसलमान-यादव की पार्टी के अलावा A टू Z की पार्टी बता रहे थे. तेजस्वी ने मंच से कहा,

ये MY की नहीं बल्की A टू Z की पार्टी है. अगर मुसलमान और यादव सिर्फ वोट करते तो क्या हमको 2020 विधानसभा चुनाव में सिर्फ 12 हजार कम वोट आते? हर वर्ग, धर्म और जाति ने वोट दिया. ये विरोधियों की चाल है कि आरजेडी को सीमित कर दो, लेकिन आरजेडी सबकी पार्टी है."

लालू परिवार में क्या सब ठीक है?

तेजस्वी ने नीतीश और बीजेपी पर भी हमला बोला. महंगाई से लेकर एनडीए गठबंधन में तकरार की बात भी कही. तेजस्वी ने कहा, "विश्व की सबसे बड़ी पार्टी (BJP) के पास एक सीएम का चेहरा नहीं था. अब दोनों (JDU-BJP) के बीच झगड़ा हो रहा है."

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अब भले ही तेजस्वी नीतीश कुमार और बीजेपी के गठबंधन पर सवाल उठाएं लेकिन खुद के परिवार में भी चेहरे और उत्तराधिकारी पर खटपट जारी है. इसकी एक झलक आज के कार्यक्रम में भी दिखी जब लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने जमकर अपनी भड़ास निकाली. तेज प्रताप ने कहा, "मैं जब भी मंच पर आता हूं तो पिताजी (Lalu Yadav speech) की तरह मनोरंजन करने का काम करता हूं. संगठन में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो संगठन को आगे जाने देना नहीं चाहते हैं. मैं नाम नहीं लेना चाहता हूं, लेकिन सच्चाई लोग सुनना नहीं चाहते हैं. हम इशारे में बहुत बात बोल गए हैं, समझने वाल समझ गए हैं."

लालू परिवार ने अपने इस कार्यक्रम में MY से A टू Z पर बात तक अपनी बात पहुंचानी चाही. इसलिए ही तो लालू यादव से लेकर तेजस्वी ने राम विलास पासवान को याद किया. अब राम विलास पासवान से प्रेम दिखाने से पिछड़े तबके के वोटरों के मन में कुछ जगह तो बन ही सकती है.

Lalu Yadav करीब 3 साल बाद RJD कार्यकर्ताओं से बोले-''घी से महंगा हुआ पेट्रोल, चुप क्यों हैं''

राम विलास पासवान की तस्वीर पर माला चढ़ाते तेजस्वी यादव

(फोटो: RJD)

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चिराग और पारस को राम विलास का ही सहारा

अब बात पासवान परिवार की. 5 जुलाई को एलजेपी के संस्थापक राम विलास पासवान की जयंती है. लेकिन उनका परिवार और पार्टी बिखर चुकी है. राम विलास के भाई चाचा पशुपति कुमार पारस ने एलजेपी के 5 सांसदों के साथ मिलकर चिराग पासवान को अलग कर दिया है. अब चिराग अपने पिता के विरासत और पार्टी को अपने पाले में रखने के लिए लड़ रहे हैं. इसी लड़ाई को जीतने के लिए या कहें खुद को मजबूत दिखाने के लिए चिराग पासवान ने 5 जुलाई से आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की है.

चिराग ने आशीर्वाद यात्रा से पहले कहा,

"मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, शेर का बेटा हूं, जैसे पापा कभी नहीं डरे थे वैसे ही मैं भी कभी नहीं डरूंगा."

पशुपति पारस का नया दांव- भारत रत्न

जहां एक तरफ चिराग पिता की मौत और परिवार में फूट का इमोशनल एंगल निकाल कर जनता के बीच जा रहे हैं वहीं पशुपति पारस के पास भी कहने को भाई राम विलास के नाम के सिवा कोई सहारा नहीं है. पशुपति पारस भी पटना से लेकर हाजीपुर में राम विलास की जयंती समारोह मना रहे हैं.

यही नहीं पशुपति पारस ने एक दाव चला है. वो है राम विलास पासवान के लिए भारत रत्न सम्मान की मांग. पारस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की कि राम विलास पासवान की राजनीति और देश के विकास में योगदान को देखते हुए उन्हें भारत रत्न से नवाजा जाए.

दलित वोटर को एकजुट रखने की चिराग की कोशिश

चिराग पासवान ने राम विलास पासवान के पुराने क्षेत्र हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की है. एलजेपी के लिए हाजीपुर संसदीय क्षेत्र पारंपरागत सीट रही है. रामविलास पासवान इस क्षेत्र का कई बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन फिलहाल यहां से चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस सांसद हैं. हाजीपुर जाने से पहले चिराग पटना पहुंचे थे. यहां उन्हें भीम राव आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करना था, लेकिन ऐसा न हो सका. जिसपर चिराग नाराज होकर वहीं धरने पर बैठ गए.

आंबेडकर के सहारे पिछड़े वोटरों को संदेश देना राजनीति में पुराना तरीका रहा है. हालांकि कुछ देर आंबेडकर मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर चिराग वैशाली के लिए रवाना हुए.

बीजेपी को चिराग का संदेश

बताया जाता है कि चिराग की रैली में करीब 200 से ज्यादा गाड़ियां थीं. मतलब साफ है चिराग अपने चाचा और बीजेपी दोनों को अपनी ताकत का अंदाजा कराना चाहते हैं.

अब शायद आपके मन में सवाल उठे कि बीजेपी का इससे क्या लेना देना है. दरअसल, एलजेपी में फूट के बाद से ही ये सवाल बार-बार उठ रहा है कि बीजेपी किसके साथ है? लेकिन बीजेपी की तरफ से न तो पारस के समर्थन में बयान दिया गया है न ही चिराग को लेकर किसी तरह की टिप्पणी हुई. जबकि चिराग 2020 विधानसभा चुनाव में खुलकर बीजेपी और पीएम मोदी से अपना प्यार दिखा चुके हैं. यहां तक कि पीएम मोदी को राम और खुद को हनुमान बता चुके हैं.

अब माना जा रहा है कि बीजेपी जनता का रुझान देखना चाहती है. जनता जिसके साथ होगी उससे ही दोस्ती में भलाई है.

भले ही बिहार चुनाव को अभी 4 साल का वक्त हो लेकिन बिहार में जिस तरह से अलग-अलग राजनीतिक दल और उसके साथियों के बीच अंदुरूनी कलह नजर आ रहा है, उससे गठबंधन, शक्ती प्रदर्शन और इमोशन का तड़का काम आ सकता है.

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