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बिहार:जीतनराम मांझी के बेटे संतोष का मंत्री पद से इस्तीफा,नीतीश को घाटा या फायदा

Santosh Kumar Suman ने कहा कि JDU उनकी पार्टी को विलय करने के लिए कह रही थी, जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं.

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बिहार (Bihar) सरकार में SC/ST कल्याण विभाग के मंत्री, बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार 'सुमन' ने नीतीश कुमार कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. सुमन ने बिहार के वित्त मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा है. संतोष मांझी के इस्तीफे ने मुख्यतः तीन सवाल खड़े किये हैं. पहला सुमन ने इस्तीफा क्यों दिया? इस्तीफे के क्या मायने हैं? और अब उनका अगला कदम क्या होगा? आइये आपको अब इन तीनों सवालों का जवाब खोजने की कोशिश करते हैं.

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संतोष मांझी ने इस्तीफा क्यों दिया?

संतोष मांझी ने इस्तीफा देने के बाद पटना में कहा कि जेडीयू की तरफ से उनकी पार्टी को विलय करने के लिए कहा जा रहा था, जिसके लिए वो तैयार नहीं हैं.

हमारी पार्टी का अस्तित्व खतरे में था. उसको बचाने के लिए हमने ये कदम उठाया है. मैं महागठबंधन में आज भी रहना चाहता हूं. अभी मैंने ऐसा (NDA में शामिल होने की बात) कुछ नहीं सोचा है.
संतोष मांझी, HAM, नेता

मांझी क्यों हैं नाराज?

दरअसल, पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की होने वाली बैठक में HAM को आमंत्रित नहीं किया गया है, जिससे जीतनराम मांझी नाराज हैं. उन्होंने इसको लेकर इशारा भी किया था. मांझी ने 12 जून को कहा था कि उनकी पार्टी लोकसभा में एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी.

सूत्रों की मानें तो, HAM लोकसभा चुनाव में पांच सीटों की मांग कर रही थी, जिस पर JDU तैयार नहीं थी.

हालांकि, कुछ लोग इसे प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा बता रहे हैं. उनका कहना है कि मांझी पहले भी ऐसा करते रहते हैं. क्योंकि इस्तीफा सीएम को सीधे न देकर, वित्त मंत्री विजय चौधरी को सौंपा गया है.

Santosh Kumar Suman ने कहा कि JDU उनकी पार्टी को विलय करने के लिए कह रही थी, जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं.
इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी
(फोटो: ट्विटर)

क्विंट हिंदी से बात करते हुए जीतन राम मांझी के एक करीबी व्यक्ति ने कहा, "हम लगातार कोआर्डिनेशन कमेटी की मांग कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री उसको अनसुना कर रहे थे. सत्ता परिवर्तन के बाद हमारा मंत्रालय कम कर दिया गया. बार-बार विलय का दबाव बनाया जा रहा था. ऐसे में हमें यह कदम उठाना पड़ा है."

HAM के एक नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर क्विंट हिंदी से कहा, "हम नीतीश कुमार के साथ गये थे, ना कि महागठबंधन के. मुख्यमंत्री लगातार हमारी बातों को नकार रहे हैं. सत्ता परिवर्तन के बाद से आये दिन नीतीश कुमार के बयान बदल रहे हैं. ऐसे में स्थिति ठीक नहीं थी."

HAM नेता ने कहा कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है. RJD-JDU के नेताओं में अभी तक समन्वय नहीं हो पाया है, लेकिन अभी सब चुप हैं. आने वाले समय में बड़ी टूट हो सकती है.

संतोष सुमन के इस्तीफे के क्या मायने?

दरअसल, पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक से पहले मांझी के बगावती तेवर और संतोष सुमन का इस्तीफा महागठबंधन से अधिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए खतरा है. मांझी पहले भी आरजेडी से विवाद के चलते कई बार अलग हो चुके हैं. लेकिन वो ये कहते आये हैं कि वो नीतीश कुमार के साथ हमेशा खड़े हैं. मांझी ने कई बार इसका परिचय भी दिया है. नीतीश जब NDA से अलग हुए, तब मांझी JDU के साथ गये.

Santosh Kumar Suman ने कहा कि JDU उनकी पार्टी को विलय करने के लिए कह रही थी, जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं.

जीतन राम मांझी

(पुरानी तस्वीर)

विपक्षी दलों की बैठक से पहले सुमन के इस्तीफे ने बीजेपी को बूस्टअप होने का बड़ा मौका दे दिया है. बीजेपी अब खुलकर प्रचार कर रही है कि बैठक के पहले विपक्षी एकता फेल साबित हो रही है. इसका नुकसान नीतीश कुमार को होगा, क्योंकि RJD पहले से ही मजबूत है, जबकि कांग्रेस और वामदल बिहार में JDU से अधिक RJD को तवज्जो देते आये हैं.

पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से नीतीश के साथी, उनको बॉय-बॉय कर रहे हैं, वो उनके उम्मीदों के पंख को काफी नुकसान पहुंच सकता है.
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मांझी को क्या होगा अगला कदम?

संतोष कुमार सुमन ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि उन्होंने अभी NDA में शामिल होने के बारे में नहीं सोचा है. जबकि विजय चौधरी से मुलाकात के बाद जीतनराम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार अगर उनकी शर्तों को मानते हैं तो वे महागठबंधन के साथ बने रहेंगे.

Santosh Kumar Suman ने कहा कि JDU उनकी पार्टी को विलय करने के लिए कह रही थी, जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं.

पटना में विपक्षी दलों की बैठक से पहले मांझी ने बढ़ाई नीतीश कुमार की टेंशन

(Photo: IANS)

वहीं, JDU मांझी की नाराजगी की बात को नकार रही है. उसका कहना है कि नीतीश कुमार ने मांझी को मुख्यमंत्री तक बनाया है. इतना सम्मान दिया है, ऐसे में कोई नाराजगी नहीं होनी चाहिए.

मांझी ने पहले भी दिखाये थे बगावती तेवर

दरअसल, जीतन राम मांझी पिछले कुछ महीनों से लगातार बगावती तेवर दिखा रहे हैं. उन्होंने कुछ महीनों पहले कहा था कि उनके बेटे संतोष सुमन के अंदर सीएम बनने की सारी काबिलियत है. इस पर RJD-JDU दोनों ने आपत्ति जताई थी. वहीं, मांझी ने ये भी कहा था कि राजनीति में कुछ पक्का नहीं होता है.

Santosh Kumar Suman ने कहा कि JDU उनकी पार्टी को विलय करने के लिए कह रही थी, जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं.

हिंदुस्तान आवाम पार्टी (हम) के अध्यक्ष जीतनराम मांझी और तेजस्वी यादव

(फोटो: PTI)

इस बीच, कुछ महीने पूर्व, जीतनराम मांझी ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात भी की थी. इसके बाद से ही, मांझी किस नाव पर सवार होंगे, इसपर संशय किया जा रहा है.

बीजेपी की मांझी पर निगाह!

बिहार बीजेपी से जुड़े एक नेता ने क्विंट हिंदी से कहा, "जीतनराम मांझी वरिष्ठ नेता हैं, अगर वो बीजेपी में आते हैं, तो उनका स्वागत है."

Santosh Kumar Suman ने कहा कि JDU उनकी पार्टी को विलय करने के लिए कह रही थी, जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं.

जीतनराम मांझी और अमित शाह की पुरानी तस्वीर.

(फोटो: क्विंट हिंदी)

BJP के लिए क्यों अहम है मांझी?

दरअसल, बीजेपी की निगाह वोटबैंक पर हैं. जीतन राम मांझी महादलित समाज से आते हैं और इसकी राज्य में 10 प्रतिशत आबादी है. पार्टी महागठबंधन की काट निकालने के लिए लगातार छोटे दलों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. लेकिन अब क्या मांझी भी बीजेपी के 'कमल' पर सवाल होंगे, ये देखना दिलचस्प है, पर मांझी के बेटे ने इस्तीफा देकर बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल जरूर मचा दी है.

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