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नीतीश कुमार के हाथ में JDU की कमान: लोकसभा चुनाव से पहले क्या होगा उनका अगला कदम?

Bihar Politics: दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह ने जेडीयू अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

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दिल्ली की सर्दी के बीच बिहार (Bihar) का राजनीतिक पारा बढ़ा हुआ है. 2024 के आगाज से पहले बिहार की सियासत ने एक बार फिर करवट ली है. जनता दल यूनाइटेड (JDU) में नया मोड़ आया है. दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह (Lalan Singh) ने JDU अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने खुद पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली है. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश अब महागठबंधन से भी निकल सकते हैं. लेकिन क्या नीतीश के लिए NDA के दरवाजे अभी भी खुले हैं?

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JDU में बदलाव की पटकथा

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की माने तो जेडीयू में बदलाव की पटकथा दो-तीन महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी. उन्होंने कहा कि ये परिस्थिति नई नहीं है. इसकी पटकथा दो-तीन महीना पहले ही लिखी जा चुकी थी. 2023 में सत्ता के परिवर्तन की बात हुई थी. इनकी आपस में कुछ चर्चाएं हुई थी. एक धड़ा नीतीश कुमार पर दवाब डाल रहा था कि सत्ता का परिवर्तन हो और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया जाए. लेकिन जेडीयू में एक धड़ा ऐसा भी है जो ऐसा करने से रोकता था.

इसके साथ ही जीतनराम मांझी ने दावा करते हुए कहा कि जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक से एक हफ्ते पहले दो नेताओं के बीच झड़प हुई थी. उसी दिन फाइनल हो गया था कि ललन बाबू राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं रहेंगे.

इस पूरे घटनाक्रम के बीच दिल्ली में JDU राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई और ललन सिंह ने इस्तीफा दे दिया. नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है.

क्या होगा नीतीश का अगला कदम?

पार्टी की कमान हाथों में लेने के बाद हर तरफ यही चर्चा है कि अब नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा. दिल्ली में पार्टी की बैठक के बाद JDU के सीनियर नेता केसी त्यागी के एक बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश NDA का रुख कर सकते हैं.

त्यागी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में NDA में जाने के सवाल पर कहा, "जनता दल यूनाइटेड है, NDA में जाने के कयास मत लगाइए." हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि "राजनीति में कोई किसी का स्थायी दुश्मन नहीं होता."

उनके इस बयान के बाद से बिहार की सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि नीतीश कुमार ने बंद विंडो को अब खोल दिया है और किसी दिन विंडो दरवाजा बन सकता है. चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज अभियान के प्रमुख प्रशांत किशोर भी कई बार कह चुके हैं कि नीतीश कुमार ने तो सिर्फ दरवाजे बंद किए, विंडो खुला है. हालांकि, बीजेपी लगातार कह रही है की नीतीश के लिए NDA के सभी दरवाजे बंद हो चुके हैं. लेकिन राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है.

पिछले 10 सालों में नीतीश कुमार कई बार पाला बदल चुके हैं.

  • साल 2013 में बीजेपी ने जब नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया तब नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली JDU NDA से अलग हो गई.

  • 2015 में बिहार की राजनीति में एक और बड़ा बदलाव लेकर आया. नीतीश कुमार ने RJD और कांग्रेस के साथ 'महागठबंधन' बनाया.

  • अगस्त 2017 में एक बार फिर नीतीश की JDU NDA में शामिल हो गई.

  • 2022 में एक बार फिर नीतीश ने 'अंतरात्मा की आवाज' सुनी और बीजेपी से असहमति के कारण NDA छोड़ दिया.

क्विंट हिंदी से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने कहा, "फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं, नीतीश कुमार फिर से NDA में आ सकते हैं. दोनों तरफ से रुख नरम हुआ है. दिल्ली में हुई बैठक में बीजेपी या केंद्र सरकार के खिलाफ कोई कड़ा प्रस्ताव नहीं लाया गया और न ही नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है."

JDU की बैठक में चार राजनीतिक प्रस्ताव पास हुए हैं:

  • जाति आधारित गणना

  • INDIA एजेंडे में रहेगा और हम प्रचारित करेंगे

  • संसद शीतकीलीन सत्र में सांसदों का निलंबन शर्मनाक

  • राष्ट्रीय कार्यकारिणी और परिषद में घटक दलों के साथ उम्मीदवारों के चयन, पार्टी के नेता नीतीश कुमार अधिकृत किए गए

'ड्राइविंग सीट पर रहेगी बीजेपी'

हालांकि, इन तमाम कयासों के बीच सवाल उठता है कि जो बीजेपी लगातार कहती आई है कि नीतीश के लिए सभी दरवाजे बंद हो गए हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि "नीतीश कुमार के लिए (NDA में शामिल होने के) सभी दरवाजे बंद हैं. लालू यादव तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक वह तेजस्वी को (बिहार का) सीएम नहीं बना देते, वह (लालू यादव) पार्टियों में फूट डालने में माहिर हैं. नीतीश यह जानते हैं. कुछ भी हो सकता है."

ऐसे में नीतीश दोबारा NDA से हाथ मिलाते हैं तो बीजेपी का स्टैंड क्या होगा? इस पर वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं, "बीजेपी का ये स्टैंड अस्थाई है. अगर अब मिलन (JDU और बीजेपी का) होता है तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनेंगी. सीएम बीजेपी का होगा. ड्राइविंग सीट पर बीजेपी बैठेगी. नीतीश कुमार को कोई दूसरा स्थान दिया जा सकता है."
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नीतीश की प्रेशर पॉलिटिक्स!

इन सब अटकलों के बीच जानकारों की मानें तो नीतीश अब INDIA गठबंधन में अपनी नाराजगी जाहिर कर कद बढ़ाने के लिए दबाव बना सकते हैं. 19 दिसंबर को दिल्ली में INDIA गठबंधन की बैठक हुई थी. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जनुन खड़गे को पीएम फेस घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया. ममता बनर्जी खुद खड़गे की प्रस्तावक रहीं. अरविंद केजरीवाल ने भी खड़गे का समर्थन कर खुद को पीएम की रेस से बाहर कर लिया. लेकिन नीतीश कुमार के नाम का किसी ने जिक्र नहीं किया. नीतीश मीडिया ब्रीफिंग में शामिल हुए बगैर पटना लौट आए.

इसके बाद से कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार INDIA अलायंस से अपनी नाराजगी जाहिर कर कद बढ़ाने का दबाव बना सकते हैं. अगर बात नहीं बनी तो उनकी राह NDA की ओर मुड़ सकती है. नीतीश की बीजेपी में नो एंट्री की रट लगाए बिहार के बीजेपी नेता अब सीधे तौर पर नीतीश के खिलाफ बोलने से परहेज कर रहे हैं.

क्विंट हिंदी से बातचीत में वरिष्ठ पत्र रवि उपाध्याय ने कहा कि "CVoter के ताजा सर्वे के मुताबिक अगर INDIA गठबंधन पूरे दमखम के साथ बिहार में चुनाव लड़ती है तो उसे 21-23 सीटें मिल सकती है. वहीं NDA को 16-18 सीटें मिल सकती है. ऐसी परिस्थिति में बीजेपी को यहां स्पेस चाहिए. बीजेपी को ये स्पेस तब मिलेगा जब INDIA गठबंधन के सूत्रधार नीतीश उनके पाले में आ जाएं, और इसी की कवायद चल रही है."

INDIA गठबंधन में सीट शेयरिंग क्या होगा फॉर्मूला?

INDIA गठबंधन में सीट शेयरिंग का मुद्दा भी अहम है. विपक्षी गठबंधन की पिछली बैठक में सभी नेताओं ने 31 दिसंबर तक सीट शेयरिंग को अंतिम रूप देने का फैसला किया था. इस बीच, ममता बनर्जी ने कह दिया है कि टीएमसी अकेले चुनाव लड़ेगी. उधर, महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) ने 23 सीटों की मांग की है. ऐसे में बिहार में सीट बंटवारे का क्या फॉर्मूला होगा ये देखना होगा. INDIA गठबंधन में शामिल, JDU, RJD, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां बिहार में 'महागठबंधन' का भी हिस्सा हैं.

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो 17-17 सीट पर JDU और RJD चुनाव लड़ेगी. वहीं कांग्रेस को 4 सीटें मिल सकती है. दो सीट कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन को दिया जा सकता है.

दिल्ली से लेकर बिहार तक कयासों और अटकलों का बाजार गर्म है. बहरहाल, अब नए साल में देखना होगा कि बिहार की सियासत कौन सा मोड़ लेती है. लोकसभा चुनाव से पहले कोई बड़ा सियासी उलटफेर होता है या फिर नीतीश INDIA गठबंधन के साथ '2024 के रण' में उतरते हैं.

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