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नड्डा की नई टीम घोषित: तारिक मंसूर-अनिल एंटनी को जगह, संजय बंदी को मिला प्रमोशन

BJP Central Leaders List: जेपी नड्डा की नई टीम में कुल 38 पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है.

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शनिवार (29 जुलाई) को अपने केंद्रीय पदाधिकारियों की सूची जारी की. इसमें कुछ नामों को छोड़ दिया जाये तो, ज्यादातर पुराने चेहरों को ही जगह दी गई है. हालांकि, इस लिस्ट को आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि बीजेपी ने अपनी रणनीति के तहत केंद्रीय पदाधिकारियों की नियुक्ति की है.

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लिस्ट में किसको मिली जगह?

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की तरफ से जारी लिस्ट में कहा गया है कि पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी टीम ने इन नेताओं को जगह दी है. नड्डा की नई टीम में 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, 8 राष्ट्रीय महामंत्री, 1 राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन), एक राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री, 13 राष्ट्रीय सचिव, एक कोषाध्यक्ष और एक सह-कोषाध्यक्ष बनाया गया है. यानी जेपी नड्डा की टीम में कुल 38 पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है.

BJP Central Leaders List: जेपी नड्डा की नई टीम में कुल 38 पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है.

नड्डा की नई टीम में 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाये गये हैं.

(फोटो: BJP/ट्विटर)

किन नए नामों को मिली जगह?

उत्तर प्रदेश के तारिक मंसूर, यूपी के राधा मोहन अग्रवाल, तेलंगाना से आने वाले संजय बंदी, केरल के अनिल एंटनी, उत्तराखंड के नरेश बंसल और असम के कामाख्या प्रसाद तासा को नए चेहरे के रूप में नड्डा की टीम में जगह मिली है.

BJP Central Leaders List: जेपी नड्डा की नई टीम में कुल 38 पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है.

बीजेपी ने 13 राष्ट्रीय सचिवों की भी नियुक्ति की है.

(फोटो: BJP/ट्विटर)

नए चेहरों को क्यों जगह मिली?

इस लिस्ट में तारिख मंसूर सबसे चौकाने वाला नाम है. तारिक मंसूर यूपी विधान परिषद के सदस्य हैं. वो 6 साल तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वीसी रह चुके हैं. उन्हें बीजेपी और संघ का करीबी माना जाता है. सीएए-एनआरसी के विरोध के दौरान एएमयू के छात्रों ने प्रदर्शन किया था तो, उस वक्त वीसी मंसूर ने कैंपस में पुलिस बुलाई थी, जिसकी उस वक्त खूब चर्चा हुई. मंसूर काफी वोकल हैं और मुद्दों पर बहुत ही स्पष्टता से अपनी बात भी रखते हैं.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी का मौजूदा समय में पसमांदा मुसलमानों पर विशेष फोकस है. पार्टी ने इसी रणनीति के तहत मंसूर की नियुक्ति है और उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर दिल्ली बुलाया है.

बीजेपी से जुड़े एक नेता ने कहा, "बीजेपी सभी धर्मों को साथ लेकर चलती है, हम कभी भी जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं. पीएम मोदी ने 2019 में साफ कहा था, "सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास", हम इसी लाइन पर काम कर रहे हैं. इसमें पसमांदा मुस्लिम भी हैं."

पसमांदाओं का वोट लेकर राजनीतिक दलों ने उनके साथ हमेशा भेदभाव किया, लेकिन हम लगातार उनके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे हैं, और आगे भी करेंगे. हम चाहते हैं कि पसमांदाओं को उनका हक मिले. तारिक मंसूर वरिष्ठ नेता हैं, वो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाये गये हैं, तो देशभर में बीजेपी के लिए ही काम करेंगे. हां, पसमांदों की जो समस्या है या जरूरत हैं, उसे जरूर अब वो राष्ट्रीय स्तर पर उठाएंगे.
बीजेपी नेता
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राधा मोहन अग्रवाल, यूपी से राज्यसभा सांसद हैं, वो वैश्य समुदाय से आते हैं. यूपी में वैश्यों की आबादी का कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है लेकिन माना जाता है कि ये आबादी में 2 से 3 फीसदी है और प्रदेश के 22 से 25 जिलों में इनका प्रभाव है. लोकसभा चुनाव और यूपी में सबसे अधिक सीट होने के कारण बीजेपी ने राधा मोहन अग्रवाल को महामंत्री बनाया है.

इसके अलावा, पार्टी ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के बाद से ही अग्रवाल को गिफ्ट दे रही है. अग्रवाल ने विधानसभा चुनाव में सीएम योगी के लिए गोरखपुर सीट छोड़ी तो पार्टी ने पहले उन्हें राज्यसभा भेजा और अब राष्ट्रीय टीम में जगह दी है.

संजय बंदी अभी तक तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष थे. उनका कार्यक्राल पूरे होने के बाद पार्टी ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया. उसके बाद से ही चर्चा थी कि बंदी को केंद्र नहीं तो राष्ट्रीय टीम में जगह मिलेगी.

कुछ दिनों पहले जारी हुई राष्ट्रीय कार्यसमिति की लिस्ट में भी संजय बंदी का नाम थे और अब पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री बनाकर साफ संदेश दिया है. वैसे तेलंगाना में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. पार्टी इस बार राज्य में अपने अच्छे प्रदर्शन को लेकर आशान्वित है, इसलिए वो एक-एक कदम फूंक-फूंक कर उठा रही है.

पार्टी ने पहले रेड्डी को अध्यक्ष और राजेंदर को चुनाव प्रबंधन समिति की कमान दी और अब बंदी को राष्ट्रीय महासचिव बनाया है. जानकारी के मुताबिक, ईटेला राजेंदर पिछड़ी जाति से आते हैं और उनकी जातीय वोट बैंक का 53 फीसदी हिस्सा है जबकि रेड्डी की जातीय का लगभग 5 फीसदी वोट है. बाकी 10-11 फीसदी कप्पस हैं, जिनका प्रतिनिधित्व बंदी और अरविंद धर्मपुरी जैसे अन्य नेता करते हैं.
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इसके बाद नाम आता है केरल के अनिल एंटनी जो कांग्रेस के दिग्गज नेता एके एंटनी के बेटे हैं. अनिल इस साल अप्रैल में भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. अनिल को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है.

क्विंट हिंदी से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार संजय दुबे ने कहा, "बीजेपी दक्षिण भारत में कर्नाटक को छोड़कर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल हर जगह कभी मजबूत स्थिति में नहीं रही. इसमें भी केरल में उसका जनाधार इन राज्यों की तुलना में सबसे कम है. तेलंगाना और तमिलनाडु में धीरे-धीरे बीजेपी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रही है. लेकिन केरल में तमाम कोशिशों के बावजूद पार्टी को उतनी सफलता नहीं मिली है."

अनिल एंटनी ईसाई समुदाय से आते हैं. राज्य में बीजेपी लगातार ईसाई और मुस्लिमों पर फोकस किये हुए है. कर्नाटक चुनाव के बीच पीएम मोदी केरल गये थे और वहां एक भव्य रोड शो किया था. पीएम ने अपने केरल दौरे के दौरान ईसाई संप्रदायों के बिशप से भी मुलाकात की थी. इसके अलावा पार्टी लगातार विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए ईसाई और मुस्लिमों से संवाद स्थापित कर रही है.
संजय दुबे, वरिष्ठ पत्रकार
2011 की भारत की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, केरल में 18.38% ईसाई और 26.56% मुस्लिम हैं.

राजनीतिक विश्लेषक आलोक त्रिपाठी ने कहा, "ए के एंटनी तीन बार केरल के सीएम, देश के रक्षा मंत्री और 27 साल राज्यसभा के सांसद रहे हैं. एंटनी परिवार से केरल के लोगों का भावनात्मक लगाव रहा है. और अनिल अभी 37 साल के हैं. एंटनी परिवार से केरल के लोगों के जुड़ाव का फायदा बीजेपी को मिल सकता है और वो भविष्य में केरल में अनिल एंटनी को पार्टी का चेहरा भी बना सकती है.

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नड्डा की टीम में नरेश बंसल को सह-कोषाध्यक्ष बनाया गया है, जो उत्तराखंड से आते हैं. वो पिछले कुछ समय से राज्यसभा में लागातार पार्टी के मुद्दे मुखर तौर पर उठा रहे हैं. वहीं, असम के कामाख्या प्रसाद तासा को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी गई है. दोनों नए चेहरे हैं.

हालांकि, तासा को पहली बार केंद्रीय टीम में जगह मिली है. तासा पार्टी के पुराने नेता हैं और राज्य बीजेपी में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं. उनकी गणना बीजेपी के जमीनी कार्यक्रता के रूप में होती है.

तासा को असम में बसे विभिन्न जाति समूहों में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव का श्रेय दिया जाता है, जो विशेष रूप से उल्लेख करने के लिए राज्य के चाय बागानों में नौकरियों की तलाश में पहुंचे थे. नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) के संयोजक डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के साथ-साथ भारत के पूरे उत्तर-पूर्वी हिस्से में बीजेपी की सफलता के लिए पार्टी नेता के रूप में तासा की भूमिका महत्वपूर्ण है.

बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "सभी नियुक्ति रणनीति और काम के आधार पर की गई है. अब चुनाव में समय बहुत कम बचा है, ऐसे में पार्टी ने सब पर विश्वास जताकर बड़ी जिम्मेदारी दी है."

किसकी हुई छुट्टी?

पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से दिलीप घोष और भारतीबेन शायल की छुट्टी कर दी है. इसी तरह महासचिव पद से भी सीटी रवि और दिलीप सैकिया को हटाया गया है. हरीश द्विवेदी को सचिव पद से हटा दिया है. आंध्र प्रदेश के प्रभारी सुनील देवधर को राष्ट्रीय टीम से हटाया गया. सीटी रवि और दिलीप सैकिया को भी महामंत्री पद से हटा दिया गया है.

माना जा रहा है कि जिन नेताओं को हटाया गया है, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उनके कामों से खुश नहीं था. दिलीप घोष बंगाल में पार्टी को मजबूत करने में बहुत सफल नहीं हो रहे थे, सीटी रवि पर कर्नाटक चुनाव के बाद से ही गाज गिरनी तय मानी जा रही थी. जबकि सैकिया और देवधर को कुछ और जिम्मेदारी दी जा सकती है.

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इन सबके अलावा, जिन नामों को जगह दी गई है, वो पहले से ही केंद्रीय टीम का हिस्सा हैं. रमन सिंह, वसुंधरा राजे, रघुवर दास और अब्दुल्ला कुट्टी लंबे समय से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. सरोज पांडेय और लता उसेंडी को प्रमोट करके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. दोनों छत्तीसगढ़ से आती हैं और राज्य में इस साल विधानसभा चुनाव है. लक्ष्मीकांत बाजपाई को भी प्रमोट किया गया है और उन्हें महासचिव से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है.

हालांकि, पंकजा मुंडे के नाम को लेकर तमाम तरह के कयास लगाये जा रहे थे. लेकिन पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाये रखा है.

कुल मिलाकर देखें तो पहले कई प्रदेश प्रभारी बदले गये और कई प्रदेशों में अध्यक्ष की निुयक्ति हुई, फिर कार्यसमिति में कुछ चेहरों को जगह दी गई और अब राष्ट्रीय टीम का ऐलान किया गया. बीजेपी से जुड़े सूत्रों की मानें तो, अब जल्द ही विभिन्न प्रकोष्ठ और मीडिया पैनलिस्ट के भी नाम जारी होंगे. साथ ही कुछ राज्यों में मंत्रिमंडल विस्तार भी संभव है.

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