4 फरवरी को मोदी सरकार ने संसद में जो स्वीकार किया है वो देशभर में बीजेपी की बयानबाजी से बिल्कुल अलग है.
बीजेपी नेता और गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में कहा, “मौजूदा कानून के तहत ‘लव जिहाद’ शब्द परिभाषित नहीं है. किसी भी केंद्रीय एजेंसी की ओर से ‘लव जिहाद’ का ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया है.”
इसके अलावा मंत्री ने कहा, “संविधान के आर्टिकल 25 में सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर आस्था, प्रचलन और धर्म का प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता है. केरल हाई कोर्ट समेत कई अदालतों ने इस नजरिए को बरकरार रखा है.”
रेड्डी सदन में केरल से कांग्रेस सांसद बेन्नी बेहानन के सवाल का जवाब दे रहे थे.
मगर यहां बात यह है कि संसद के भीतर बीजेपी जो बोलती है उससे बिल्कुल अलग वो संसद के बाहर बोलती है.
उदाहरण के लिए, संसद में बीजेपी सरकार के बयान के अगले दिन बीजेपी ने जो कहा, उस पर गौर करें. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य पीके कृष्ण दास ने कहा, “ ‘लव जिहाद’ कानून के तहत परिभाषित नहीं है लेकिन यह सच्चाई है कि लव जिहाद हो रहे हैं (केरल में).” उन्होंने गृह मंत्रालय से ऐसे मामलों की व्यापक रूप से जांच करने का अनुरोध भी किया.
यह साफ करना जरूरी है कि बीजेपी ‘लव जिहाद’ को एक ऐसा सिद्धांत बताती रही है जिसके जरिए भारत के भीतर जबरदस्त षड्यंत्र चल रहा है, इसमें मुसलमान पुरुष गैर मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को आकर्षित करते हैं, प्यार के जाल में उन्हें फंसाते हैं और उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं. बिल्कुल, आपने सही पढ़ा. ये हैं बीजेपी की ओर से ‘लव जिहाद’ के इस्तेमाल के कुछ उदाहरण. इससे क्या फर्क पड़ता है कि वे संसद में इसे परिभाषित नहीं करते हैं, वे निश्चित रूप से इसका हर जगह इस्तेमाल करेंगे. क्यों?
चुनावी मुद्दा क्या है? ‘लव जिहाद!’
फरवरी 2017 में, उत्तर प्रदेश की विधानसभा में योगी आदित्यनाथ ने कहा, “कैराना से हिंदुओं के पलायन और लव जिहाद जैसे मुद्दे चुनाव परिदृश्य पर हावी रहेंगे.”
सीएए विरोधी प्रदर्शनों की आलोचना कैसे करें? ‘लव जिहाद!’
जनवरी 2020 में बीजेपी नेता और केरल की बीजेपी इकाई के पूर्व अध्यक्ष कुम्मानम राजशेखरन ने सीएए विरोधी प्रदर्शनों की आलोचना करते हुए ‘लव जिहाद’ का कीचड़ एक बार फिर उछाला. उन्होंने कहा, “दूसरे देशों में धार्मिक रूप से प्रताड़ित ईसाई, हिंदू, बौद्ध को सामाजिक न्याय देने के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं कांग्रेस, सीपीएम और जिहादी संगठन. लव जिहाद को लेकर भी इनका यही रवैया है.”
बेटी गायब है, क्या बोलूं? ‘लव जिहाद!’
अक्टूबर 2019 में बीजेपी नेता सुरेंद्र नाथ सिंह के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर हुई जिसमें उन पर कई समुदायों के बीच नफरत फैलाने का आरोप था. ऐसा तब हुआ जब बीजेपी विधायक ने अपनी बेटी के कथित रूप से लापता होने को 'लव जिहाद' से जोड़ा और दावा किया कि भोपाल के विधायक और कांग्रेस नेता आरिफ मसूद की इस मामले में भूमिका है.
मुसलमान गाय रखते हैं? ‘लव जिहाद!’
जुलाई 2019 में बीजेपी के नेता रणजीत बहादुर श्रीवास्तव ने एक विवादास्पद बयान में कहा कि मुसलमानों के पास जो गायें हैं उन्हें उनसे हर हाल में वापस लिया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों का गाय रखना भी ‘लव जिहाद’ है.
लोकसभा में मोदी सरकार ने जो कहा
केरल से कांग्रेस के सांसद बेन्नी बेहानन ने लोकसभा में जो सवाल मोदी सरकार से किया वो ये है.
गृह मंत्री देश को यह बताना चाहेंगे :
a) क्या सरकार को यह पता है कि केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि केरल में लव जिहाद का कोई मामला नहीं है.
b) अगर ऐसा है, तो उसका ब्योरा क्या है और
c) क्या किसी भी केंद्रीय एजेंसी ने केरल से लव जिहाद का एक भी मामला बीते दो सालों के दौरान दर्ज किया है और अगर हां, तो उसका ब्योरा क्या है?
ये रहा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी का पूरा जवाब:
संविधान के आर्टिकल 25 में सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर आस्था, प्रचलन और धर्म का प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता है. केरल हाई कोर्ट समेत कई अदालतों ने इस नजरिए को बरकरार रखा है.
‘लव जिहाद’ कानून के दायरे में परिभाषित नहीं है. किसी भी केंद्रीय एजेंसी की ओर से ‘लव जिहाद’ जैसा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. हालांकि, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की ओर से केरल में अलग-अलग आस्थाओं से जुड़ी शादियों के दो मामलों की जांच की गई है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)