बिहार में विधानसभा चुनाव होने में एक साल का वक्त है. लेकिन बीजेपी ने अभी से चुनावी तैयारी करनी शुरू कर दी है. बीजेपी के नेताओं ने राज्य में एनआरसी लागू करने की कवायद तेज कर दी है. बीजेपी के बिहार से राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने मांग की है कि बिना किसी देरी के राज्य में एनआरसी लागू किया जाए. वहीं बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि एनआरसी लागू कर राज्य में रह रहे सभी बांग्लादेशियों को बाहर किया जाए.
NRC बहाना जेडीयू पर निशाना
एनडीए में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू एनआरसी के खिलाफ है. ऐसे में बीजेपी नेताओं की ओर से एनआरसी पर उग्र रवैया अपनाने का सीधा मतलब है कि वो जेडीयू पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह ने सोमवार को एक वीडियो ट्वीट किया और सीधे तौर पर जेडीयू पर निशाना साधा. गिरिराज सिंह ने कहा,
‘तीन महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता ने एनडीए को 40 में से 39 सीटें दी. हम पीएम मोदी की अगुआई में लड़े थे. बिहार में एनडीए की सरकार है और नीतीश मुख्यमंत्री हैं. अभी नीतीश जी बिहार में NDA की तरफ से मुख्यमंत्री है. बिहार के लोगों को कभी-कभी देश हित के मुद्दे धारा 370, तीन तलाक, NRC पर भिन्न राय से तकलीफ होती है.गिरिराज सिंह
इसके अलावा गिरिराज सिंह ने एक और ट्वीट किया और लिखा, ‘‘ एनआरसी की बात देश के चश्मे से देखें वोट के चश्मे से नहीं. बिहार में एनआरसी की मांग मैं नहीं परिस्थितियां कर रही हैं, सीमावर्ती जिलों में जनसंख्या वृद्धि /डेमोग्राफिक बदलाव बहुत तेजी से हो रहा है. हमें दर्द है क्योंकि 80 के दशक में बांग्लादेशियों को भगाने के लिए हम ने लाठियां खाई थीं.’’
गिरिराज सिंह ने जेडीयू पर अप्रत्यक्ष रूप से एनआरसी को वोटबैंक से जोड़ने का आरोप लगाया.
बिहार में बढ़ी एनआरसी पर तकरार
बिहार में एनडीए की दो बड़ी पार्टियों बीजेपी और जेडीयू के बीच तकरार बढ़ती जा रही है. जहां एक ओर बीजेपी के नेता लगातार एनआरसी लागू करने की बात कह रहे हैं. वहीं जेडीयू नेता इसके खिलाफ हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि नीतीश ने उनको कहा है कि वो अपने राज्य में एनआरसी लागू होने नहीं देंगे और एनआरसी पर नीतीश और उनकी एक ही राय है.
बिहार बीजेपी में एनआरसी को लेकर अलग-अलग राय?
हाल ही में बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट किया था कि बिहार में नीतीश कुमार ही एनडीए के कप्तान हैं और रहेंगे. लेकिन बीजेपी के सीनियर नेताओं जैसे सीपी ठाकुर और संजय पासवान ये कहते नजर आए कि बिहार सरकार की कमान बीजेपी को मिलनी चाहिए. इससे ये तो साफ दिखता है फिलहाल बिहार बीजेपी में नीतीश कुमार को लेकर एक मत नहीं है. बिहार की सत्ता में रहने के बावजूद सालों से दूसरे नंबर की पार्टी बनकर रहने वाली बीजेपी अब सत्ता की कमान संभालना चाहती है. लेकिन नेताओं में एक राय नहीं है.
क्या जेडीयू सच में कर रही है वोट बैंक की राजनीति?
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हुए सीट बंटवारे में जेडीयू के खाते में सीमांचल की पुर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार सीटें आई थीं. इनमें किशनगंज की सीट छोड़कर बाकी तीनों पर जेडीयू जीती थी. इन सीटों पर अल्पसंख्यक वोट बड़ी संख्या में है और राजनीति में खासा प्रभाव भी रखते हैं. बिहार का ये वो प्रांत हैं जहां बीजेपी अभी तक घुसने में कामयाब नहीं हो पाई है. ऐसे में बीजेपी की ओर से लगातार एनआरसी लागू करने की बात कहना और नीतीश का इस मुद्दे पर समर्थन न करना बीजेपी को ये कहने का मौका देता है कि वो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं. बता दें कि जेडीयू ने धारा 370 और तीन तलाक पर भी समर्थन नहीं किया था.
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