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पुष्पराज पर IT का छापाःअखिलेश ने कहा-नफरत की महक वाले, वित्त मंत्री बोलीं-डर गए

"यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री को कैसे पता चला कि यह बीजेपी का पैसा है? क्या वह भागीदार है? क्या वह डरे हुए हैं. ”

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आजकल रेड और छापेमारी सूर्खियों में हैं. पहले इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर रेड पड़ने के बाद बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) में रार हुई. अब पुष्पराज जैन (Pushpraj Jain) के यहां आयकर विभाग ने छापा मारा है जिसको लेकर केंद्रीय मंत्री निर्मला सितारमण (Nirmala Sitharaman) और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) आमने सामने हैं.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि जब ये एजेंसियां ​​किसी भी जगह पर छापा मारती हैं तो वे कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी के साथ ही जाती है. यह कहना कि गलत आदमी पर छापा मारा गया है, एजेंसी की व्यावसायिकता पर सवाल उठाता है.

निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को कैसे पता चला कि यह बीजेपी का पैसा है? क्या वह भागीदार है? क्या वह डरे हुए हैं. ”

उन्होंने आगे कहा कि पीयूष जैन के परिसरों पर जो छापे पड़े और अब पुष्पराज जैन के यहां शुक्रवार को छापे पड़े वो विशिष्ट इनपुट पर आधारित हैं. "क्या वे खाली हाथ आए थे? इस तरह की चीजों का राजनीतिकरण निंदनीय है."

दरअसल पुष्पराज जैन का संबंध एसपी से बताया जा रहा है हालांकि एसपी ने इस बात को खारिज किया है.

"बीजेपी ने अपने ही बिजनसमैन पर गलती से रेड कर दी"

एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी ने गलती से अपने ही बिजनसमैन पर छापा मारा है. अखिलेश ने कहा, 'गलती से बीजेपी ने अपने ही कारोबारी पर छापा मारा. एसपी नेता पुष्पराज जैन की जगह पीयूष जैन पर छापा मारा."

पुष्पराज जैन एसपी के एमएलसी हैं जिन्होंने समाजवादी परफ्यूम लॉन्च किया है.

यह छापेमारी पहले से ही तय की गई थी. यहां पिछले कुछ दिनों से जानकारी आ रही थी कि एसपी नेताओं के यहां छापेमारी शुरू हो गई है. इधर, पिछले दो सप्ताह से समाजवादी से जुड़े लोगों के यहां छापेमारी हो रही है और जब भी दिल्ली से बीजेपी के नेता उत्तर प्रदेश आते हैं तो इन एजेंसियों को साथ लाते हैं. इस दौरान उन्हें छापेमारी करने का निर्देश दिया गया है.
अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने आगे कहा, "याद रखें, जब पश्चिम बंगाल में चुनाव थे, दिल्ली की सभी एजेंसियां ​​बंगाल पहुंच चुकी थीं. तमिलनाडु में स्टालिन के साथ ऐसा हुआ था और बैंगलुरु में भी यही हुआ था."

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