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शिवसेना CM की कुर्सी चाहती है या ये ‘मलाईदार’ पदों की सौदेबाजी है?

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी है बीजेपी-शिवसेना के बीच खींचतान

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महाराष्ट्र में 'कुर्सी की कलह' जारी है. बीजेपी और शिवसेना दोनों ही झुकने के मूड में नहीं दिख रहे हैं. अब हालत ये हो गई है कि दोनों ही तरफ से एक दूसरे को झूठा बताया जा रहा है और बातचीत पर ब्रेक लग गया है.

वीडियो एडिटर: पुर्णेंदू प्रीतम

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पहले बैकग्राउंड बता दें, 24 अक्टूबर को नतीजे आने के बाद ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनाव के दौरान तय हुए 50-50 फॉर्मूले की बात उठा दी. शिवसेना ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद चाहती है. वहीं बीजेपी की तरफ से खुद फडणवीस ने कह दिया है कि सीएम पद को लेकर कोई भी 50-50 का फॉर्मूला तय नहीं था और वो ही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे.

सच्चाई की नई परिभाषा गढ़ रहे फडणवीस: शिवसेना

अब सीएम फडणवीस की ऐसी बेबाकी से शिवसेना नाराजगी वाले मोड में चली गई है और पार्टी की तरफ से संजय राउत ने दावा किया है कि सीएम ने खुद 50-50 के फॉर्मूले की बात कही थी. संजय राउत अपने इस दावे की पुष्टि में मीडिया को एक वीडियो भी दिखाते नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता मुख्यमंत्री ने क्या कहा? अगर वो कहते हैं कि 50-50 फॉर्मूले पर कभी चर्चा नहीं हुई तो मुझे लगता है कि सच्चाई की परिभाषा बदलने का वक्त आ गया है. जिस बात का फडणवीस जिक्र कर रहे हैं वो सबको पता ही है.’’

संजय राउत आगे कहते हैं-

सीएम ने खुद ही 50-50 फॉर्मूले की बात कही थी. उद्धव जी ने भी यही कहा था ये सब अमित शाह के सामने हुआ. अगर ये कहते हैं कि ऐसी कोई बात नहीं हुई तो मैं प्रणाम करता हूं ऐसी बातों को. वो उन सब बातों से मुकर रहे हैं जो उन्होंने कैमरे पर कही थीं.
संजय राउत, शिवसेना

विधायकों के तोड़फोड़ का नया एंगल

इस बीच बीजेपी सांसद संजय काकड़े पूरे मामले में नया एंगल लेकर आ गए हैं. एंगल है विधायकों के तोड़फोड़ का. काकड़े का दावा है कि सीएम देवेंद्र फडणवीस के संपर्क में करीब 45 शिवसेना विधायक हैं.

“शिवसेना के 45 नए विधायक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के संपर्क में हैं. वो सभी चाहते हैं कि गठबंधन की सरकार बने. मुझे लगता है कि इन 45 विधायकों में से कुछ उद्धव ठाकरे को मनाएंगे और फडणवीस के सीएम बनने के साथ नई सरकार बनेगी. मुझे नहीं लगता है कि इसके अलावा कोई विकल्प है.”
संजय काकड़े, सांसद, बीजेपी

शिवसेना के दबाव का मतलब क्या है?

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर महाराष्ट्र की राजनीति में होने क्या जा रहा है. जीता हुआ गठबंधन यानी शिवसेना-बीजेपी खुद सरकार बनाने में जल्दबाजी नहीं दिखा रहा है. दरअसल, बात तो शिवसेना को भी पता है कि मुख्यमंत्री पद पर 50-50 का फॉर्मूला काम नहीं करेगा. लेकिन शिवसेना की फिलहाल कोशिश ये हो सकती है कि दबाव बनाकर कम से कम कुछ बड़े विभागों को अपनी झोली में डाल लिया जाए. शिवसेना डिप्टी सीएम के साथ ही साथ वित्त, गृह, नगर विकास जैसे विभाग चाहती है, लेकिन उसे ये भी पता है कि बीजेपी ये विभाग देने को कतई तैयार नहीं होगी. ऐसे में शिवसेना की ये मजबूरी है कि जहां तक हो सके दबाव बनाया जाए और बीजेपी से कुछ विभाग अपने हिस्से में लाए जाएं.

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