लोकसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी और शिवसेना के बीच की कड़वाहट दूर होती नजर आ रही है. बुधवार को शिवसेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे की जयंती के मौके पर देवेंद्र फड़नवीस और उद्धव ठाकरे की दूरियां नजदीकियों में बदल गईं. दोनों नेताओं ने गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे से लंबी बातचीत भी की.
बीजेपी-शिवसेना की मिलती राहें
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की इस मुलाकात के बाद अब कहा जा सकता है कि दोनों पार्टियों की राहें एक हो चुकी हैं. पहले जो बयानबाजी से दूरियां बढ़ती चली जा रही थीं, उन पर अब विराम लगता दिख रहा है. बाला साहब ठाकरे के सम्मान में स्मारक के गणेश पूजन शुरू होने से पहले दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में करीब आधा घंटा बातचीत भी हुई. इस मुलाकात के दौरान सभी शिवसेना के नेता और कार्यकर्ता बाहर खड़े नजर आए.
क्या सुलझ पाएगा गठबंधन का पेंच
बीजेपी और शिवसेना के बीच हुई इस मुलाकात के बाद अब गठबंधन को लेकर फंसा हुए पेंच के भी सुलझने के आसार हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ बनते रिश्ते एक अच्छा संकेत हैं. दोनों पार्टियों के साथ चुनाव लड़ने से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है.
संजय राउत की गैर मौजूदगी से उठे सवाल
एक तरफ जहां बीजेपी और शिवसेना के बनते रिश्तों की चर्चा जोरों पर थी, वहीं दूसरी तरफ शिवसेना नेता संजय राउत की गैर मौजूदगी पर भी सवाल उठ रहे थे. इस बड़े इवेंट में उनके मौजूद न होने से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई. राउत वही नेता हैं जो लगातार शिवसेना के बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर तीखी बयानबाजी करते आए हैं. संजय राउत ने ही पिछले साल शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अकेले लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा था. ऐसे में चर्चा है कि उन्हें जानबूझकर इस इवेंट से दूर रखा गया. क्विंट ने संजय राउत से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया.
इससे पहले खबर आई थी कि संजय राउत ने बाला साहब ठाकरे की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘ठाकरे’ के स्पेशल शो के लिए पीएम मोदी को न्योता दिया है, लेकिन अभी तक इसके लिए तारीख और वेन्यू तय नहीं हुआ है
क्या साथ होंगे विधानसभा चुनाव?
शिवसेना ने BJP के सामने गठबंधन करने के लिए अपने प्रस्ताव में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ कराने का प्रस्ताव दिया था. अब सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने शिवसेना के इस प्रस्ताव को मंजूरी देने का मन बना लिया है. इस बात के संकेत महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट बैठकों से भी मिलते हैं. पिछले दिनों सरकार ने 324 करोड़ रुपये अलग-अलग महामंडल के लिए आवंटित किए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे फैसले लोकसभा चुनाव से पहले क्यों लिए जा रहे हैं? इसीलिए इसे लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव होने के एजेंडे के तौर पर देखा जा रहा है.
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