5 राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में हुए विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के नतीजे 3 और 4 दिसंबर को सामने आ गए. बीजेपी ने 5 में से 3 राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीत हासिल की, कांग्रेस ने तेलंगाना जीता और जोरम पीपल मूवमेंट (ZPM) ने मिजोरम में जीत हासिल की.
हालांकि, ये कहना पूरी तरह ठीक नहीं होगा कि ये जनादेश 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले "सेमी-फाइनल" है. ये नतीजे बीजेपी के लिए, खासकर हिंदी पट्टी के राज्यों में उत्साह जनक जरूर हैं.
चुनावों में बीजेपी ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा. इसके अलावा उन्हें सत्ता विरोधी लहर का भी साथ मिला. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं ने अहम भूमिका निभाई.
तो आइए समझने की कोशिश करते हैं कि 5 राज्यों के चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन से क्या बड़ी बातें निकलकर सामने आती हैं.
मोदी फैक्टर
बीजेपी ने मध्य प्रदेश में 230 में से 163, राजस्थान में 199 में से 115 और छत्तीसगढ़ में 90 में से 54 सीटों पर जीत हासिल की. तेलंगाना में बीजेपी को 119 में से केवल 8 सीटों पर जीत मिली. यहां कांग्रेस ने 64 सीटें जीतकर के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति को किनारे कर दिया. मिजोरम में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही मुख्य भूमिका में नहीं थीं. वहां एक नई पार्टी जोरम पीपल मूवमेंट (ZPM) ने मिजो नेशनल फ्रंट को हराकर सत्ता से बाहर कर दियतीनों राज्यों में बीजेपी का प्रचार काफी हद तक पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर निर्भर था.
किसी भी राज्य में बीजेपी ने सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया. यहां तक कि मध्य प्रदेश में भी नहीं, जहां शिवराज सिंह चौहन मौजूदा मुख्यमंत्री थे.
हिंदी पट्टी के राज्यों में बीजेपी की जीत बताती है कि मजबूत लोकल लीडरशिप के बिना भी अभी भी पीएम मोदी के चेहरे पर राज्यों के चुनाव जीतना संभव है.
तेलंगाना में बीजेपी की हार काफी हद तक वैसी ही है जैसी कर्नाटक में थी, जहां बीजेपी ने पीएम मोदी के कंधों पर सवार होकर और राष्ट्रीय मुद्दों को आगे करके चुनाव लड़ा. कांग्रेस ने इसके उलट क्षेत्रिय मुद्दों को प्राथमिकता दी.
वोट शेयर की तुलना
मध्य प्रदेश में, 20 साल (पिछले कार्यकाल में 18 महीनों को छोड़कर) सत्ता में रहने के बावजूद, बीजेपी के आंकड़े 2018 में 109 से बढ़कर 2023 में 163 पहुंच गए. 2018 की तुलना में पार्टी के वोट शेयर में भी 7 फीसदी का इजाफा हुआ और बीजेपी ने 48.55 प्रतिशत वोट हासिल किए.
राजस्थान में पार्टी ने 115 सीटें जीतीं और वोट शेयर 2018 में 38.08% से बढ़कर 2023 में 41.69% हो गया.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने 46.27% वोट हासिल किए. ये 2018 की तुलना में 6.8% ज्यादा है.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी का वोट शेयर लगभग 7% बढ़ा और राजस्थान में लगभग 3%. दूसरी ओर, तीनों राज्यों में कांग्रेस का वोट शेयर कमोबेश स्थिर रहा.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का वोट शेयर 2018 के 43.04% से घटकर 2023 में 42.23% हो गया.
मध्य प्रदेश में, जहां पार्टी ने 66 सीटें जीतीं, ये पिछली बार के 40.89 प्रतिशत की तुलना में इस बार 40.45 प्रतिशत रहा.
राजस्थान में भी वोट शेयर लगभग स्थिर रहा. कांग्रेस ने 2018 में 39.30 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, इस बार 39.53 प्रतिशत वोट मिले.
इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि जहां जीत बीजेपी के लिए एक अच्छी खबर हो सकती है, वहीं कांग्रेस इन राज्यों में हार से काफी दूर है और उसे एक बड़ा वोट शेयर मिला है, और वो अगले साल आम चुनावों की तैयारी कर रही है.
2024 के लिए क्या सीख
पोलिंग एजेंसियों के सर्वे को देखें तो ये साफ है कि कथित 'उच्च' जाति के वोट बीजेपी के पास गए हैं. आदिवासियों और दलितों के बीच पार्टी का प्रदर्शन अभी भी चिंता का कारण है.
उदाहरण के लिए, एक्सिस-माय इंडिया का मध्य प्रदेश और राजस्थान का सर्वे देखें.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस को SC और ST समुदाय के 45 और 46 फीसदी, जबकि बीजेपी को 41 और 43 फीसदी वोट मिलने का अनुमान था. जनरल कैटेगिरी के वोट में बीजेपी को 58% और कांग्रेस को 30 % मत मिलते दिखाई दिए.
राजस्थान में, कांग्रेस को क्रमशः 57 और 51 प्रतिशत SC और ST वोट मिले, जबकि बीजेपी को इन श्रेणियों में केवल 26 और 29 प्रतिशत वोट मिले. बीजेपी को सामान्य वर्ग के 62 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 22 प्रतिशत वोट मिले.
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